Golden Deer Story in Ramayana
आज कल कुल तथाकथित मुस्लिम और कुछ कम्युनिस्टो का कहना है कि श्री राम शिकारी थे । शिकार खलने जाते थे। मौलाना जगदीश अंसारी ने तो सारी हदें ही पार कर दी और कहते है कि श्री राम प्रतिदिन शिकार खलते थे। और माँस भी खाते थे। उपरोक्त विषय पर आज https://yatharthbharatjagran.blogspot.com/ये सिद्ध कर देगा। कि क्या सही और क्या गलत।
आप पढ़ रहे है Who is Golden Dear In Ramayana. यह प्रकरण अरण्य काण्ड रामायण से लिया गया है । जब सूपर्णखा श्री राम से विवाह करने के लिए बार-बार आग्रह करती है। ओर जब श्री राम के मना करने पर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण को मारने के लिए दौड़ती है। तब श्री राम की आज्ञा पाकर लक्ष्मण सूपर्णखा का नाक और कान काट देते है। क्योंकि उस समय महिलाओं को मारा नही जाता था। तब सूपर्णखा सारा का सारा व्रतांत अपने भाई खर ओर दूषण को जाकर बता देती है। खर, दूषण, और शुलाक्ष व त्रिपरा अपने 14,000 सैनिकों के साथ श्री राम से उद्दत होकर युद्ध के लिए चढ़ाई कर देते है। तो श्री राम लक्ष्मण और सीता को पहाड़ी की एक कतरा में जाने का आदेश देते है और सारे हथियार और कवच को धारण करते हुए युद्ध को उद्दत हो जाते है। और देखते ही देखते श्री राम सवा घंटे में 14,000 सैनिकों को मौत के घाट उतार देते है। अर्थात उनको मृत्यु दण्ड दे देते है। क्या रामायण में पशुओं की बली जाती है।
यह सारा का सारा व्रतांत राक्षक कंपन देख लेते है और रावण को आंखों देखा हाल सुना देते है जिसे सुन कर रावण श्री राम से युद्ध करने और सीता के हरण करने के लिए उद्दत हो गए। और मारीच की सहायता से पंचवटी पहुँच जाते है। मारीच के विषय में एक बात कही जाती है कि हिरण के सोनेमयी चर्म Goledn Deer Skin को धारण कर लेता था। तथा हिरण की भाषा Golden Deer Languages बोलने लगता था। मारीच को देखकर ओर उसकी सोनेमयी त्वचा व उस पर आभूषण लगे देखकर माता सीता आश्चर्यचकित हो जाती है। और श्री राम और लक्ष्मण को यह कहते हुए बुलाती है कि हे! राम और लक्ष्मण अपने आयुद्ब अर्थात अस्त्र-शस्त्र ले आओ।
इस मृग का हमें निरिक्षण-परीक्षण करना चाहिए। जब श्री राम मृग को देखते है तो लक्ष्मण जी कहते है “ये निश्चित ही मारीच है जो सोनेमयी मृग Golden Deer का वेश धारण कर लेता है और मृग की ही वाणी बोलता है, व इस संसार में ऐसा कोई नही जो मृग का चर्म धारण कर सकता है तब श्री राम कहते है कि अगर ये मारीच होगा तो निश्चय ही मैं इसका वध कर दूंगा । अगर ये मारीच नहीं हुआ तो मैं इसको पकड़कर यहां ले आऊंगा। अगर राम शिकारी होते तो निश्चित ही चाहे यह मृग होता । इसका शिकार कर देते। अगर श्री राम प्रतिदिन शिकार करते तो इस मारीच नाम के सोनेमयी मृग को बिना कुछ सोचे समझें इसका वध कर देते।
रामायण में बहुत ज्यादा मिलावट की जा चुकी है। आज हिन्दुओ के द्वारा भी कहा जाता है मारीच सोनेमयी मृग Golden Deer का रुप धारण कर लेता था। और रामायण में लक्ष्मण कहते है कि इस संसार में ऐसा कोई कार्य नही जो सृष्टि नियम के विपरीत हो जाये। श्री राम ने मारीच को पहचान कर मार दिया और तीर उसकी कृत्रिम त्वचा में जा लगा जिससे उसने उस कृत्रिम त्वचा वाले शरीर को उतार फेंका था। यहां तो रामायण में यह बात सिद्ध नही हो रही। कि श्री राम प्रतिदीन शिकार करते थे। या मांस खाते थे। ये सारी बाते काल्पनिक है। जिन्हें टीवी सीरियल, काल्पनिक किताबों ने जन्म दिया है। जिसका बहुत बड़ा कारण है कि जैसा सुना बिलकुल वैसा ही मान लिया । न तो उस विषय पर विचार किया ओर न ही कभी उसे पढ़ने की कोशिश की बल्कि जो सुना, जैसा सुना उसका वैसा ही प्रचार ओरों में भी कर दिया । -आलोक आर्य
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