सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास क्या, कब और कैसे रखा गया ?

सप्ताह के 7 दिन किसके नाम पर रखे, कब और क्यों रखे गए ?

गृह किसे कहते है ? परिवार के संकट की साथी बन रहीं बीमा योजनाएं...

सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास जो निरंतर गतिशील होते है तथा सूर्य के चारों और परिक्रमा  करते है उसे गृह कहते है 

वर्ष कैसे बनता है ?

सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास जब गृह सूर्य के चरों और घूमते है और परिक्रमा करके एक चक्र पूरा कर लेते है उस समय एक वर्ष बनता है । साथ ही साथ गृह दो प्रकार से गति करते है । सूर्य के चारों ओर गति करते है , गति करते-करते अपनी धुरी पर भी घूम जाते है ।  जब वे इस परिक्रमा के एक चक्र को पूरा कर लेते है तो वह दिन कहलाता है । 

24 घंटे में पृथ्वी अपनी धुरी पर एक बार पूरी तरह घूम जाती है तो उसे वार, दिन-day आदि कहते है । 

ऋषियों, ग्रंथों, के अनुसार रविवार इस सृष्टि का पहला दिन था । जिसे गणना के अनुसार सिद्ध भी किया जा चूका है । छोटे परिवार की अलख जगाएं, समाज में खुशहाली लाएं : Family Planning

रवि को सूर्य,दिनकर,भास्कर आदि कहते है क्योंकि ये इसके पर्यायवाची शब्द है । 


सूर्यवार किसके नामकरण पर हुआ ? 

आइये जानते है । सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास संध्या के अघमर्षण मंत्र में सूर्य परमपिता परमात्मा का एक नाम है अर्थात् जो साभी जीवो, स्थावर जंगम जातियों, जड़ पदार्थों को प्रकाशित करने वाला है  जो उसके ह्रदय में प्रकाश प्रेषित करता है । समस्त जीवों और ब्रहमाण्ड को प्रकाशित करता है । स्वयं प्रकाश स्वरुप है ।  इसलिए परमपिता-परमात्मा का नाम सूर्य है ।  और यह गुण सौरमंडल के एक गृह में दिखता है ।  जिसको आज सूर्य के नाम से जानते है । तो इस गृह का नाम परमात्मा के सूर्य नाम को लेकर रखा गया । इसी को अंग्रेजो ने ऐसा ही सूर्य दिवस से सूर्य डे  अर्थात् Sun Day क्योंकि सूर्य को आज के समय पर SUN कहा जाता है । बिलकुल ऐसा का ऐसा ही कॉपी किया  गया । लेकिन फिर भी ये कहते है यह संसार को हमने दिया और हमारी ही रचना है । लंबी उम्र जीना चाहते हैं तो आज ही छोड़ दें ये 6 अवगुण

चंद्रवार अर्थात् सोमवार  

सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास चंद्रवार जिसे सोमवार कहा जाता है क्योंकि चन्द्र को सोम भी कहते है क्योंकि चन्द्र उसी परमपिता परमात्मा का एक नाम है । आइये जानते है ? कैसे ? जो आनंद स्वरूप है और सबको आनंद देने वाला है । इसलिए उस पिता परमात्मा को चन्द्र कहा जाता है । उसी चन्द्र से पृथ्वी को  आनंदमय करने वाला रात्रि के समय पर एक उपगृह है । इसलिए उस उपगृह का नाम चन्द्र है क्योंकि रात्रि के समय सबको शीतलता और आनंद देने वाला है । जिस परमात्मा सबको आनंदमय रखता है उसी प्रकार यह उपगृह पृथ्वी को आनंद अर्थात् शीतलता प्रदान करता है । इसलिए इस उपगृह का नाम चन्द्र रखा गया । और इसी गृह के नाम से ऋषिमुनियों दूसरा दिन बनाया जिसे चंद्रवार अर्थात् सोमवार कहते है । इसी प्रकार अंग्रेजो ने इसे चंद्रवार से Moon Day कर दिया जिसे आज Monday कहा जाता है । 

पवित्रवार अर्थात मंगलवार  सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास मंगलवार को अंग्रेजों ने रोम के एक देवता के नाम पर रख दिया । मंगल को मार्श कर दिया गया । रोम का इस अंग्रेजी कैलेन्डर पर और इन वार पर बहुत ज्यादा प्रभाव है । रोम के ही सम्राट जुलियस सीज़र के नाम पर ही जुलाई रखा गया था और आगस्टस के नाम पर अगस्त महिना कर दिया । रोम के ही एक देवता के नाम पर मंगल को मार्श कर दिया गया क्योंकि ये मंगल को ही मार्श कहते थे । इसी प्रकार इस वार का नाम मंगलवार कहा गया । सपना चौधरी के आज हैं करोड़ों दीवाने, कभी जहर खाकर जान देने चली थी

मंगल भी परमपिता परमात्मा का ही एक नाम है आइये जानते है ? कैसे ? 

जो मंगल स्वरूप है और सभी जीवों का मंगलकारण है  तो इसीलिए  उस ईश्वर का एक नाम मंगल भी है और इसी परमात्मा के एक नाम पर ऋषिमुनियों मंगल कर दिया । 

बुध 

सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास बुध भी परमपिता परमात्मा का एक नाम है आइये जानते है ? कैसे ? जो बुध स्वरूप है जो महान बुद्धिमान है  सब जीवो का जाननेहारा है क्योंकि वह सभी जीवो को जनता है उनके अंत:करण में वास करता है इसलिए वह बुध कहलाता है । अर्थात वो महान बुद्धिवाला है । इसलिए सौरमंडल के एक ग्रह को बुध कहा जाता है । क्यूंकि बुध बहुत तीव्र गति से सूर्य की परिक्रमा करता है जैसे बुद्धि तीव्र गति से । सभी संस्कृत के शब्द चयन ऋषिमुनियों ने  अपने ग्रहों के लिए किये है । और अंग्रेजो ने कॉपी कर लिया । बुध मात्र 88 दिन में सूर्य की एक परिकर्मा कर देता है उसे बुध ग्रह का नाम हमने दे दिया था । 

बृहस्पति 

सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास बुध भी परमपिता परमात्मा का एक नाम है आइये जानते है ? कैसे ? "योग्‍य बेटी के लिए योग्‍य वर" सरल से दिखाई देने वाले सवाल का जवाब बहुत मुश्किल है

जो बड़ो से भी बड़ा है समस्त ब्रहमाण्ड से भी बड़ा है जिसका कोई ओर-छोर नहीं है जिसमें सबकुछ समाया हुआ है । इसलिए उस परमपिता परमात्मा को बृहस्पति भी कहते है ये सब नाम एक ही परमात्मा के है । बृहस्पति ग्रह बहुत बड़ा है ऋषिमुनियों ने  परमात्मा के एक नाम से ही एक ग्रह का नाम बृहस्पति रखा है । और उसी नाम से  ऋषिमुनियों एक वार बनाया जिसका नाम बृहस्पतिवार रखा गया है । जिस प्रकार परमात्मा में सब कुछ समाया हुआ है उसी प्रकार बृहस्पति ग्रह में सौरमंडल के सभी के सभी ग्रह इसमें समा सकते है केवल सूर्य को छोड़कर । 

शुक्रवार 

सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास बुध भी परमपिता परमात्मा का एक नाम है आइये जानते है ? कैसे ? जो अत्यंत पवित्र है जिसके संग से, साथ से सभी जीवात्मा पवित्र हो जाती है जो स्वयं भी पवित्र है । इसलिए उस परमपिता परमात्मा का एक नाम शुक्र भी है क्योंकि वो पवित्र है और शुक्र का अर्थ होता है पवित्र अर्थात् सौन्दर्य से भरपूर । इसी प्रकार ऋषिमुनियों परमात्मा के ही एक नाम पर एक ग्रह का नाम शुक्र रखा । क्योंकि आज सभी ग्रहों में शुक्र सबसे ऐश्वर्यवान है और बहुत चमकीला है । जैसा परमात्मा है वैसे इस ग्रह का नाम शुक्र रखा है । और इस ग्रह के नाम से ही शुक्रवार रखा गया । अंग्रेजो द्वारा रोम की ही एक देवी के नाम पर इस शुक्र का नामकरण किया गया । क्योंकि वीनस को प्यार और सुन्दरता की देवी माना जाता है रोम में ।  विदेश मंत्रालय का करारा पलटवार ढांचा ध्वंस मामले में पाक के बयान पर…

शनिवार  

सप्ताह के 7 दिनों का इतिहास शनि भी परमपिता परमात्मा का एक नाम है आइये जानते है ? कैसे ? जो सबसे सहज से प्राप्त हो जाता है और सबसे धर्यवान है । इसलिए उस परमपिता परमात्मा का एक नाम शनि है । अर्थात् इसी से एक ग्रह से एक ग्रह का नाम रखा है शनि । क्योंकि ये सभी ग्रहों में सबसे आराम से सूर्य की परिक्रमा करता है । इसी ग्रह के नाम पर ऋषिमुनियों ने एक वार शनिवार रखा गया । जिसका अर्थ सबसे हल्का भी है और वास्तव में शनि ग्रह सबसे हल्का है । भारत के एक ऐसे पीएम के बारे में जानें जिनके पास नहीं था अपना घर

उपरोक्त 7 दिन हमारे ऋषिमुनियों ने परमपिता परमात्मा के नाम पर रखे हुए है । 

1. सूर्यवार अर्थात् रविवार 

2. चन्द्रवार अर्थात् सोमवार 

3. सृष्टि के तीसरे दिन जब सब मंगल लगा तो तीसरे दिन का नाम ऋषिमुनियों ने भोमवार अर्थात् मंगलवार कर दिया । 

4. अगले दिन बुद्दी का प्रकाश हुआ और हमने बुद्धि से सभी वस्तुओं को देखा तो ऋषिमुनियों ने बुधवार कर दिया । 5. सृष्टि में सबसे पहला गुरु परमात्मा है और इसके ही एक नाम पर ऋषिमुनियों ने गुरुवार अर्थात् बृहस्पतिवार रखा । इस दिन तक परमपिता परमात्मा का ज्ञान धीरे-धीरे सब तक पहुंचना प्रारंभ हो गया था । 

6. सृष्टि के आदि समय में वीर्य का ठीक ठीक उपयोग करके संतान उत्पत्ति प्रारंभ कर दी थी । जिस प्रकार शुक्र बहुत कम होता है उसी प्रकार शरीर में धातु अर्थात् वीर्य बहुत कम मात्र में उत्पन्न होता है ।जिसके लिए हमें अपने ब्रह्मचर्य की रक्षा करनी चाहिए । स्मृति ईरानी UNGA में बोलीं, सभी क्षेत्रों में लैगिक भेदभाव खत्म करने पर जोर दे रहा भारत

7. शनि बहुत पवित्र है जो परमात्मा का ही एक नाम है और सृष्टि के 7 वे दिन को शनिवार रखा गया क्योंकि इस दिन हमने सभी वस्तुओं का उपभोग करना प्रारंभ कर दिया था ।  

1,96,08,53,118 वर्ष पहले सृष्टि का पहला दिन रविवार रखा गया । आने वाले 18 मार्च,2018 को 119 वर्ष हो जायेंगे । यही नववर्ष होता है यही सम्पूर्ण सृष्टि का नववर्ष है । -Alok Arya