मानव सृष्टि के साथ ही ईश्वर ने चार ऋषियों को वेद का ज्ञान दिया और तभी से यह संवत चला। चूँकि आर्य लोग आदि मानव संसार के आदि आर्य वंशज है और आज भी वेद तथा संस्कृति व सभ्यता के ध्वजवाहक है इसलिए आर्य (श्रेष्ठ) लोग सृष्टि संवत को वेद संवत तथा आर्य संवत् के नाम से पुकारते है ।
विक्रम संवत् 2074 के त्रैतमास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (28 मार्च सन 2017 ई0) को सृष्टि संवत् 1,96,08,53,118 वर्ष का होता है, जिसकी गणना निम्न प्रकार है:-
इस समय सातवें वैवस्वत मनवन्तर की अट्ठाईसवीं चतुर्युगी का कलियुग चल रहा है। इस चतुर्युगी में कलयुग कर 5118 वर्ष बीत चुके है ।
अतः-
1 चतुर्युगी = 43,20,000 वर्ष
1 मनवन्तर = 71 चतुर्युगी = 30,67,20,000 वर्ष
अब तक बीते 6 मनवन्तर = 1,84,03,20,000 वर्ष
सातवें मनवन्तर की 27 चतुर्युगी पूरी बीत गई अर्थात् 43,20,000×27= 11,66,40,000 वर्ष 28वीं चतुर्युगी का
बीता समय अर्थात् सतयुग+त्रेतायुग+द्वापरयुग+कलियुग के बीता
समय=17,28,000+12,96,000+8,64,000+5118= 38,93,118 वर्ष
इस प्रकार सृष्टि संवत :-
6 मनवन्तर 1,84,03,20,000
27 चतुर्युग 11,66,40,000
सतयुग+त्रेतायुग+द्वापरयुग+कलियुग के बीता समय 38,93,118
[12/22, 12:01 PM] Manish 860760: वर्तमान सृष्टि संवत् 1,96,08,53,118
प्रलय।
चौदह मन्वन्तरों की एक मानव सृष्टि होती है, इसके पश्चात प्रलय होता है। उपरोक्त गणना के अनुसार वर्तमान सृष्टि संवत् तक मनुष्य एवं वेदों की उत्पत्ति हुए 1,96,08,53,118 वर्ष बीत चुके है । अभी मानव सृष्टि 2,33,32,26,882 वर्ष और रहेगी, इसके पश्चात प्रलय होगा। गणना निम्न प्रकार है-
एक मन्वन्तर = 30,67,20,000 वर्ष
चौदह मन्वन्तर = 4,29,40,80,000 वर्ष
मानव सृष्टि का बिता समय = 1,96,08,53,118 वर्ष
अभी मानव सृष्टि रहेगी = 4,29,40,80,000 वर्ष – 1,96,08,53,118 वर्ष
अभी मानव सृष्टि का शेष समय = 2,33,32,26,882 वर्ष
https://youtu.be/VNMoucyhbhY
सृष्टि रचना सभी मत-पंथ सम्प्रदायों की अपनी अपनी मान्यता है जिसे लेकर आगे बढ़ रहे है । क़ुरान का अपना मत है, बाइबिल का अपना मत, और भी बहुत मत-मतान्तर के लोग अपने अपने मत को अहमियत देते है । जब की संसार की सबसे पुरानी पुस्तक ऋग्वेद है । जो वेदों का ही एक भाग है । साधारणतया इस संसार में मुख्यतः चार वेद है जो ईश्वर कृत है :- ऋग्वेद, अर्थववेद, यजुर्वेद और सामवेद । और अब तो मनुष्यों ने भी वेद अपने-अपने मतों के आधार पर वेद बना लिए है ।
संसार उत्पत्ति के विषय में नासा (National Aeronautics and Space Administration) जो सयुंक्त राज्य अमेरिका की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अन्तरिक्ष कार्यकर्मो व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए भी जिम्मेदार है लेकिन मूर्ख लोग नासा (National Aeronautics and Space Administration) के कहने पर बाकि सभी बातों को पूर्णत: सत्यापित मान लेते है।
इस सृष्टि उत्पत्ति के विषय में अपने ही मत को मान्यता देते फिरते है। जबकि सत्यार्थ प्रकाश में महर्षि दयानन्द जो एक महान ऋषि हुए है न की भगवान, उन्होंने इस पुस्तक में संसार उत्पति से तक एक-एक दिन की गणना की है। और ये सिद्ध भी किया है की इस सृष्टि को 1,96,08,53,118 वर्ष बीत चुकें है ।
इन अलग-अलग सम्प्रदायों के भगवानों ने तो बता दिया की अल्लाह ने 14,00 वर्ष पहले संसार की रचना की, ईशा मसीह ने 2,000 साल पहले की लेकिन कोई भी न तो तथ्य देकर सिद्ध करना चाहता है और इनमे से न कोई नासा (National Aeronautics and Space Administration) की बात मानना चाहता है। और हिन्दुओं में भी कुछ लोग नास्तिक है जो ना तो ईश्वर को मानते है और ना किसी मत को मान्यता देते है। अब आपको भी विचार करना है की कोनसा सा मत सत्य की कसोटी पर खरा उतरता है और कौन लोगों को जानवर बनाने पर तुला हुआ है । -आलोक नाथ
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