राजा भोज का न्याय व महाभारत में मिलावट



राजा भोज की सच्ची घटनाएँ 

वैदिक संस्कृति (vedic culture) में पले-बढ़े राजा-महाराजा अपनी सत्यप्रियता तथा न्याय के लिए सारे संसार में जाने जाते है। हनुमान जी कौन थे ? क्या लंका में तैरकर गए ? इसी प्रकार आज से लगभग डेढ़ हजार वर्ष पूर्व हुए राजा भोज (raja bhoj) के समय की उनकी दो मुख्य सत्य घटनाओं पर हम सभी को पक्षपात-रहित होकर सोचना होगा। हम आपको बता दें की राजा भोज एक वैज्ञानिक, सदाचारी, व वैदिक धर्म में आस्था रखने वाले व्यक्ति है। उनके समय में भारतवर्ष में बहुत वैज्ञानिक प्रगति हुए थी। नेपाल ने की भारत के साथ विदेश सचिव स्तरीय वार्ता की पेशकश
राजा भोज का न्याय व महाभारत में मिलावट 

राजा भोज के राज्य में व्यास जी (vyas) के नाम से मार्कण्डेय और शिवपुराण (shivpuran) किसी ने बना कर खड़ा किया था । उसका समाचार राजा भोज को होने से उन पंडितों को हस्तच्छेदनादि दण्ड दिया और उन से कहा कि जो कोई काव्यादि ग्रंथ बनावे तो अपने नाम से बनावे ; ऋषि – मुनियों के नाम से नहीं । यह बात राजा भोज के बनाए संजीवनी नामक इतिहास में लिखी है कि जो ग्वालियर के राज्य ‘भिण्ड’ नामक नगर के तिवाड़ ब्राह्मणों के घर में है ।सोते समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए जिस को लखुना के रावसाहब और उनके गुमाश्ते रामदयाल चौबे जी ने अपनी आँखों से देखा है । उसमें स्पष्ट लिखा है कि व्यास जी ने चार सहस्त्र चार सौ और उनके शिष्यों ने पाँच सहस्त्र छ: सौ श्लोकयुक्त अर्थात सब दश सहस्त्र श्लोकों के प्रमाण भारत बनाया था । वह महाराजा विक्रमादित्य (vikramaditya) के समय में बीस सहस्त्र , महाराजा भोज कहते है कि मेरे पिता जी के समय में पच्चीस और मेरी आधी उम्र में तीस सहस्त्र श्लोकयुक्त महाभारत (mahabharata) का पुस्तक मिलता है । प्रमुख क्रांतिकारी वीर सावरकर Veer Savarkar in hindi जो ऐसे ही बढ़ता चला तो महाभारत का पुस्तक एक ऊंट का बोझा हो जाएगा और ऋषि मुनियों के नाम से पुरानादि ग्रन्थ बनावेंगे तो आर्यावर्तीय लोग भ्रमजाल में पड़ वैदिकधर्मविहीन होके भ्रष्ट हो जायेंगे । इस से विदित होता है कि राजा भोज को कुछ-कुछ वेदों का संस्कार था । -Alok Nath

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