देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में गणित और विज्ञान की पढ़ाई अमूमन अंग्रेजी में होती है, लेकिन अब उस कक्षा की कल्पना कीजिए, जिसमें इन विषयों के प्राचीन पाठ संस्कृत में पढ़ाए जाएंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), इंदौर ने यह पहल की है। उसने प्राचीन ग्रंथों में सदियों पहले संजोए गए गणितीय और विज्ञान विषय के ज्ञान से वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराने के लिए एक ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें प्रतिभागियों को संस्कृत में पढ़ाया जा रहा है। दरअसल संस्कृत में रचे गए भारत के प्राचीन ग्रंथों में गणित और विज्ञान की समृद्ध विरासत है, लेकिन वर्तमान पीढ़ी इस ज्ञान से अनभिज्ञ है।नई शिक्षा नीति में शिक्षक तकनीकी रूप से भी दक्ष हों
संस्कृत विश्व की सबसे स्पष्ट भाषा है। इसमें जैसे बोला जाता है, वैसे ही लिखा जाता है। इसका शब्दकोश बहुत विशाल है। इसमें 102 अरब, 78 करोड़, 50 लाख शब्द हैं। संस्कृत ही ऐसी भाषा है, जिसमें कम से कम शब्दों में वाक्य पूरे हो जाते हैं। एक वक्त नासा विज्ञानियों द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों को भेजे जाने वाले संदेश पलट जाते थे, जिससे उनके अर्थ भी बदल जाते थे। एलियन से संवाद स्थापित करने के लिए भी नासा और अन्य संस्थानों ने संस्कृत वाक्य ही अंतरिक्ष में भेजे। हालांकि उनका अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला है। प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण समय की मांग है कि प्रत्येक व्यक्ति, चिंतन-वंदन की ओर अग्रसर हो
दुनिया की तमाम प्राचीन रचनाएं संस्कृत में लिखी गई हैं। ज्यामिति, बीजगणित और ज्योतिष एवं खगोल विद्या पर अति प्राचीन किताबें संस्कृत में ही हैं। अमेरिकन हिंदू विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार, संस्कृत में वार्तालाप से मानव का तंत्रिका-तंत्र सक्रिय रहता है। इसका सकारात्मक प्रभाव रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करता है। गायत्री मंत्र के 24 अक्षर शरीर की 24 ग्रंथियों को प्रभावित कर मानव की एकाग्रता बढ़ाते हैं और बोली को स्पष्ट करते हैं। ऋषि कणाद ने भौतिकी में प्रकाश एवं ऊष्मा को एक ही तत्व के विभिन्न रूप हजारों साल पहले बता दिया था। नागार्जुन ने रसायनशास्त्र का प्रसिद्ध ग्रंथ रस-रत्नात्कर संस्कृत में लिखा है। हाई कोर्ट के जजों ने जमानत के लिए रखी अनोखी शर्त…
आर्यभट्ट ने अपने खगोलीय एवं बीजगणितीय सिद्धांतों के आधार पर ईसा की छठी शताब्दी में ही बता दिया था कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। आर्यभट्ट ने पृथ्वी का जो व्यास निर्धारित किया था, वह आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा तय व्यास के लगभग बराबर है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र को आज भी दुनिया में मान्यता प्राप्त है। संस्कृत के ग्रंथों की वैज्ञानिकता को व्यावहारिक रूप में समझने की दृष्टि से अमेरिका के सेटों हॉल विवि. ने गीता को वहां के प्रत्येक विद्यार्थी के लिए पढ़ना अनिवार्य कर दिया है। बरसाना में एक नहीं दो राधाओंं के बीच रहते हैं कान्हा, जानिए क्या है ये रहस्य
कुछ साल पहले राजस्थान विवि. ने हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के ग्रंथों को प्रबंधन के पाठ्यक्रम में शामिल किया था। बहरहाल आइआइटी, इंदौर द्वारा संस्कृत में गणित एवं विज्ञान का ऑनलाइन अध्यापन कराना भाषा के लिए ही नहीं, देश के लिए भी गौरव की बात है। -Alok Prabhat
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