उत्तम पुरुष कौन है किन मनुष्यों की संगति वा शिक्षा से मनुष्य को लाभ उठाना चाहिए उसका वर्णन-
- जो आयु में वृद्ध अनुभवी, माता-पिता तथा गुरुजन है, उन सब को सेवा तथा संगति से लाभ तथा उन्नति की प्राप्ति होती है ।
- जो स्वाध्यायशील, वेदादि सत्य शास्त्रों का पठन-पाठन करने वाले है अथवा जो प्राकृतिक नियमानुसार जीवन व्यतीत करने वाले है ।
- जो सत्य ज्ञान को जीवन में धारण करने वाले है तथा लोकोपर में प्रसिद्धि को प्राप्त किया है ।
- जो ब्रह्म विद्या अध्यात्म विद्या के विस्तार एवं प्रसार में लगे हैं ।
- जो अपनी तथा संसार की अध्यात्म उन्नति में तत्पर है जो मंत्र द्रष्टा है । वेद एवं जगत के रहस्यों को जानकार उनका लोकोपकार में सदुपयोग करते है । सत्संग से मनुष्य जीवन कैसे बदल सकता है ?
- तो तपस्वी है अर्थात् जाति धर्म देश के लिए बड़े से बड़ा संकट अपने सिर पर लेने को उद्यत रहते है ।
- जो शूरवीर तथा पराक्रमी हैं । जो अपना बलिदान देने के लिए सदा अपने सर को हथेली पर रखकर शत्रुओं से लोहा लेते है । संग्राम में युद्ध करने वाले है ।
- जो ईश्वर भक्त है । ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना, उपासना में लीन रहते हैं ।
- जो बड़े बड़े यज्ञ रचाते है और उन यज्ञों में सहस्त्रों रुपयों सत्पात्रों एवं विद्वानों को दक्षिणा देकर उनका सम्मान करते है ।
- जो सूर्य और चन्द्र के समान नियमबद्ध जीवन व्यतीत करने वाले है दानी, अहिंसक और ज्ञानी हैं
- उनकी सत्संगति तथा सेवा से मनुष्य लाभ तथा उन्नति को प्राप्त करते हैं ।
- ऐसे सदाचारी पुरुषों का संग सदा करना चाहिए तथा अन्यों से बहना चाहिए ।
वेद का आदेश है-
ये चित् पूर्वे ऋतजाता ऋता वृधा ।
ऋषीन् तपस्यतो यम तपोजाना गच्छतात् । (अथर्व १८-२-२५)
ये युध्यन्ते प्रधनेषु शूरासो ये तनू त्यज: ।
ये वा सहस्त्र दक्षिणास्तांश्चिद्देवाऽपि गच्छतात् । (अथर्व १८-२-२०)
स्वस्ति पन्थामनु चरेम सूर्या चन्द्रमसाविव ।
पुनर्ददताघ्नता जानता संगमेमहि ।। (ऋ.मं. सू. ५ मं. १५)
हे यम नियम पालन करने वाले सदाचारी पुरुष तू वृद्धों, प्राकृतिक नियम पालन करने वालों, स्वाध्यायशिलों, आध्यात्म विद्या के प्रचारक ब्रह्म ज्ञानियों, देश सेवकों को प्राप्त हो उनकी संगति कर । जो शूरवीर है, जो बलिदान देने वाले हैं, अन्याय के विरुद्ध संग्राम करने वाले हैं, बड़े-बड़े यज्ञ रचा कर सैकड़ों और हजारों रुपयों की दान दक्षिणा देने वाले हैं उनके पास जा, उनकी संगति कर । -आलोक नाथ
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