संसार की उन्नति के लिए आर्यसमाज के नियम
आर्यसमाज के नियम:- स्पैम मैसेज की बाढ़ आई जीमेल में, कई यूजर ने की शिकायत
1. सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदिमूल परमेश्वर है।
2. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।Religious Story अध्यात्मिक कहानी Story Writing
3. वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।
4. सत्य के ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।
5. सब काम धर्मानुसार अर्थात सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए।
6. संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है अर्थात शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना । देश बदलेंगे देसी पौधे ही, लेकिन इसके लिए जरूरी है सही पेड़ और पौधों की जानकारी
7. सबसे प्रीतिपूर्वक धर्मानुसार यथायोग्य वर्तना चाहिए।
8. अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।
9. प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिए किन्तु सबकी उन्नति में ही अपनी उन्नति समझनी चाहिए। हिंदू शब्द की प्रासंगिकता कब, क्यों और कैसे बढ़ी क्या है अर्थ...10. सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतन्त्र रहें।
आर्यों यह वेबसाईट https://yatharthbharatjagran.blogspot.com / https://www.deshduniyanews.com आपकी अपनी है। संसार में वैदिक धर्म का डंका बजाने के लिए जितना प्रचार कर सको करो । इसके जरिये बहुत बड़ी संख्या आज वैदिक धर्म के गूढ़ रहस्यों व शिक्षाओं से जुड़ चुकी है । आप सभी मुझसे व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर सकते है । -आलोक आर्य
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