श्रीराम ने किसलिए किया बाली वध ?
बाली वध क्यों और कैसे :- आज के समाज में नितांत धारणा बनी हुई है की श्री राम ने बाली को छिप कर मारा था। क्या ये सत्य है या भ्रान्ति है। आज https://yatharthbharatjagran.blogspot.com/ वाल्मीकि रामायण के माध्यम से आपकी ये भ्रान्ति दूर कर देगा की क्या श्री राम ने बाली को छिप कर मारा या आमने-सामने होकर मारा ?
आप पढ़ रहे है बाली वध क्यों और कैसे ? वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब सुग्रीव बाली को युद्ध के लिए ललकारते है तब बाली की पत्नी तारा बाली को श्री राम के विषय में यह कहकर समझती है की श्री राम तो हिमालय जैसी सभी धातुओं का मिश्रण अपने अन्दर समेटे हुए है उसी प्रकार श्री राम गुणों की महा खान है और ऐसे महापुरुष का विरोध करना हमारे लिए अच्छा नहीं होगा जो पुरुषों में सर्वोत्तम हैं और इतने महान व्यक्तित्व वाले महापुरुष का सामना करना ठीक नहीं है। इससे तो आप मुसीबत में पड़ जाओगे।
युद्ध होने से पूर्व ही बाली और उसकी पत्नी तारा को पता चल गया था की श्री राम भी इस युद्ध के विरोध में हैं और सुग्रीव और श्री राम दोनों ही अच्छे मित्र भी है, ‘जब उन्हें पता चल ही गया था तो फिर ये बात कहाँ से आई की श्री राम ने बाली को छिप के मारा था।
युद्ध के दौरान जब श्री राम ने बाली को तीर मारा कैसे हुआ बाली वध तो बाली श्री राम को कोसते हुए कहते है की श्री राम मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? मेरी दुश्मनी तो सुग्रीव से थी आप ने मुझे क्यों मारा ? तब श्री राम शलोकों के माध्यम से कहते है की आप धर्म का हनन करने वाले हो, कुकर्म में रत्त रहते हो और केवल काम के दास आदि में रक्त रहते हो और कुकर्म हीपने किया है उससे आपने राजधर्म की उपेक्षा की है अर्थात् अपने राजधर्म का पालन नहीं किया। इससे सिद्ध होता है की बाली कोई अच्छा व्यक्तित्व वाला इंसान नहीं था ओर न ही धार्मिक विचारों वाला था और समाज में कहा जाता है बाली तो वीर योद्धा था उसे भी राम ने छिप कर मार दिया ये धारणा समाज में गलत रूप से प्रचारित प्रसारित की गई है।
क्या श्री राम ने बाली वध करके ठीक किया? श्री राम बाली को कहते है की तुमने परंपरागत धर्म छोड़कर अपने ही भाई की पत्नी रूमा के साथ पत्नी उपभोग किया वह बिलकुल भी धर्म का आचरण नहीं था वह धर्म के विरुद्ध था। तुमने अपने ही छोटे भाई की पत्नी जो तुम्हारी पुत्रवधु के समान थी, उससे तुमने उपभोग किया है जो बिलकुल अधर्म का कार्य किया है और कामासत होकर तुमने ये पाप कार्य किया है और राजधर्म का पालन नहीं किया, कुकर्म आदि सब गलत कार्य तुमने ही किये है और इसी का दंड मैंने तुम्हे दिया है।
श्री राम मनुस्मृति(रामायण काल में संविधान) के दो शलोकों जिनमे राजा के लिए किस प्रकार के व्यक्ति
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