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जिहाद का लक्ष्यइस्लाम एक धर्म प्रेरित मुहम्मदीय आन्दोलन है। कुरान जिसका दर्शन, पैगम्बर(prophet) मुहम्मद जिसका आदर्श, शरियत जिसका आचरण, जिहाद जिसकी कार्य प्रणाली, मुसलमान जिसके सैनिक, मदरसे जिसके प्रशिक्षण केन्द्र, गैर मुस्लिम भू-भाग जिसकी युद्ध भूमि और विश्व इस्लामी साम्राज्य जिसका अंतिम उद्देश्य है । इसलिये क़यामत तक चलने वाली जिहाद की यात्रा अंतहीन है । इस्लाम के अनुसार “जिहाद फ़ी सबी लिल्लाह” अर्थात अल्लाह के लिए काम करना जिहाद है । जिहाद मुसलमानों के लिए सर्वोच एवं महत्वपूर्ण कर्त्यव्य है ।
जिहाद का विस्तृत अर्थ है- गैर मुसलमानों पर आक्रमण करना, उनका वध करना, दास या गुलाम बना लेना, धर्मांतरण(Canversion) कर देना, भले ही उन्होंने मुसलमानों की कोई भी कैसी भी हानी नहीं की हो और भले ही वे निहत्थे हो।
जिहाद अल्लाह के लिए किया जाता है । अल्लाह की सेवा के लिए पूजा और युद्ध एक समान है । जिहाद से बचना सबसे बड़ा पाप व पूजा और युद्ध एक समान है । जिहाद से बचना सबसे बड़ा पाप व अपराध है; जिहाद के माध्यम से महिमा बडप्पन प्राप्त कर लेना सबसे बड़ी उपलब्धि है । इस्लाम में विश्व विजय कर लेने सम्बन्धी अहंकार एक भीषण रोग है । इस्लाम कहता है कि दूसरें पन्थों पर विजय प्राप्त कर लेनी है क्यूंकि वह ही अकेला अंतिम सच है । शेष सारे पंथ पूरी तरह झूठे है और उसमें कोई त्रुटी नहीं है ।
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इस्लाम में यह रूढ़िवादिता आकस्मिक न होकर एक अनिवार्यता है । इस्लाम में ज्ञान का आशय पान्थिक ज्ञान से है जो पैगम्बर(prophet) मुहम्मद को अल्लाह द्वारा प्रगटीकरण से उपलब्ध कार्य गया था वह ही एक मात्रा सच है । वह परिवर्तनशीलता के अभाव को ही शक्ति मानता है । यही कारण है कि इस्लामी धार्मिक नेताओ व विचारकों को सुधार शब्द से असीमित घृणा है। इस्लामी धर्म ग्रन्थ जिहाद के आदेशों, निर्देशों, व आज्ञाओं से भरे पड़े हैं और इसमें विचार विनियम, एवं पारस्परिक सहमती के लिए कोई कैसा भी स्थान नहीं है । -आलोक आर्य
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