Alok Aarya/Prabhat BLOG’S यथार्थ भारत जागरण yatharthbharatjagran


सादर नमस्ते !!! 

महर्षि दयानन्द जी ने वेदभाष्य तथा अन्य आर्ष ग्रंथ (ऋषिकृत सत्य पुस्तकें) आदि छपवाने व वेद ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए सन 1880 में बनारस में वैदिक प्रेस  की स्थापना की थी। उसी कार्य को यथासामर्थ्य तीव्रता से आगे बढ़ाने के लिए सर्वशक्तिमान परमपिता परमेश्वर जिसकी वेद विद्या सनातन है, सब ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण है उसको अत्यंत प्रेमभक्ति से नमस्कार करके इस वैबसाइट के द्वारा वैदिक ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार का कार्य आरंभ किया है। 

महाभारत में महात्मा विदुर ने कहा है 

धर्मे चार्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ । 
यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित् || 

हे भरतश्रेष्ठ ! धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष अर्थात् समस्त ज्ञान-विज्ञान के सम्बन्ध में जो बात इस वैदिक राष्ट्र भरतखंड में है, वही अन्यत्र भी है; जो इसमें नहीं है, वह कहीं भी नहीं है । 

Map of Vedic India - The position of the Kuru Kingdom in Iron Age ...
वैदिक/यथार्थ भारत
यह बड़ी दृढ़ बात है कि तिनके से ब्राह्मण पर्यन्त जितनी भी विद्याएँ है उन सबका आदि स्त्रोत चारों वेद  ही है । वेदों में ज्ञान-विज्ञान की बाते शिक्षाएं भरी हुई है । चाहे भौतिक विज्ञान की बात करें या अध्यात्म विज्ञान की वेदों में मनुष्य की उन्नति  के लिए  आवश्यक सभी ज्ञान संक्षेप में उपलब्ध है । दुर्भाग्य से, आज हमारे  देश में वेदों के मन्त्रों का अर्थ विदेशी मेक्समूलर व  सायण का मिलता है जिनमें मनघडंत झूठी, असंभव, घटिया बातें लिख दी । जिनको संस्कृत का कोई ज्ञान नहीं था उनके लिखी झूठी बातों को पढ़कर लोग वेदों को कोसकर अपनी अपाहिज बुद्धि का परिचय देते    है । ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि आज सम्पूर्ण विश्व के वैज्ञानिकों ने वेदों का अनुसरण करके सृष्टि के गूढ़ रहस्यों को जाना जा रहा है व वेदों की प्रशंसा सभी एक स्वर में कर रहे है । क्वार्क जहाँ से आज की साइंस की खोज शुरू होती है वेदों की  ही देन है जबकि वेदों में क्वार्क से आगे ५-६  चरण ओर बताये गए है ।

Map of India | Atlas | Infoplease.com
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इस वेबसाईट के द्वारा समस्त देशवासियों व विदेशियों को अमूल्य वैदिक ज्ञान , वैदिक संस्कृति आदि की विस्तार से जानकारी प्राप्त होगी जिससे अधूरी पड़ी व लक्ष्य से भटकी विज्ञान को एक नई दिशा मिल सके व भौतिक उन्नति के साथ अध्यात्मिक-वैचारिक उन्नति भी विश्वव्यापी आन्दोलन बन सके । आप जानेंगे वैदिक संस्कृति के उस स्वर्णिम अतीत (Golden Past)को जिसके बल पर भारत आज भी विश्वगुरु (World master) माना जाता है । आप सभी सज्जनों से अनुरोध है कि इस वेबसाईट को बिना किसी अहम् भाव के सभी के लाभार्थ जितना हो सके प्रचारित करें । सभी को  वेबसाईट का लिंक www.https://yatharthbharatjagran.blogspot.com & www.https://deshduniyanews.com.com भेजें या जो पोस्ट / Article आपको अच्छा लगे उसे दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें व अपनी आस-पास की Society को मानसिक, शारीरिक, वैचारिक व सामाजित स्तर पर सशक्त बनाने, ज्ञानवान बनाने में अपना अमूल्य योगदान दें व पुण्य के भागी बने |
वैदिक धर्मी ( Alok Aarya ) 

ओ‍‌उम् सच्चिदानन्देश्वराय नमो नमः ।।

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