त्वचा की सफाई कैसे करें और किन-किन बातो का ध्यान रखे 

त्वचा की सफाई का अर्थ :- चर्म की सफाई का अर्थ है सम्पूर्ण बाह्य शरीर की सफाई । इसके लिए नियमित स्नान सर्वोपरि है ।मौसम के अनुसार दिन में दो बार स्नान अवश्य करना चाहिए ।  स्नान के समय गिले खुरदरे कपडे या रोयेंदार तौलिया से रगड़कर त्वचा की अच्छी सफाई होती है । SC: महंगे इलाज के कारण कोरोना का कोई मरीज अस्पताल से नहीं लौटना चाहिए

स्नान का उद्देश्य प्रधानत: त्वचा की सफाई ही है । रोमछिद्र की सफाई त्वचा में करोड़ों की संख्या में रोम छिद्र है, वे पसीने के कारण सदा तरल रहते है, बाहर से धूलिकण पसीने में मिलकर मैल के रूप में रोमछिद्रों पर जम जाते है। जिस कारण रोमछिद्र बंद हो जाने के कारण भीतर का पसीना बाहर निकलना रुक जाता है । इसका स्वास्थ्य पर बहुत ख़राब प्रभाव पड़ता है । इसलिए स्नान द्वारा इन रोमछिद्रों को साफ़ और कुला रखना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है । आँखों के रोग कौन-कौन से हैं और इनका इलाज कैसे करें ?

भारत में उष्ण जलवायु होने के कारण ठन्डे जल से स्नान करना सर्वथा उपर्युक्त है । ठन्डे पानी में स्नान से त्वचा के रोमछिद्रों की सफाई के अतिरिक्त शरीर में एकदम नई और सहज स्फूर्ति आती है तथा मन प्रसन्न रहता है । ठंडी हवाओं से भी डरना उचित है, लेकिन ठंडे पानी से डरना उचित नहीं, वह तो बलप्रद होता है । सर्दी में आवश्यक होने पर गुनगुने पानी से नहाया जा सकता है । परन्तु मस्तक पर गर्म जल नहीं डालना चाहिए । उससे मस्तिष्क के स्नायुओं पर हानिकर प्रभाव पड़ता है । 

स्नान का महत्व 
1. स्वस्थ व्यक्तियों के लिए तो प्रतिदिन स्नान करना अत्यंत आवश्यक है ही, रोगियों के लिए भी स्थिति के अनुसार स्नान करना रोग-मुक्ति में सहायक होता है । रोगी को गुनगुने जल से ही स्नान करना चाहिए । यदि रोगी स्नान करने लायक स्थिति में न हो तो गिले कपडे से उसके बदन को रगड़कर तवचा की सफाई अवश्य करनी चाहिए । जीवन में सादगी क्यों जरूरी है जानिए क्या हैं इसके फायदे…

2. स्नान से पहले शरीर पर पूर्ण रूप से तेल मालिश करना बड़ा उपयोगी होता है । उससे त्वचा की स्निग्धता सुरक्षित रहती है । और तौलिये से अंगों को पोंछने पर त्वचा का मैल भी शीघ्र साफ़ होता है । 

3. दो-चार लोटा पानी बंदन पर दल लेने को स्नान करना नहीं कहा जा सकता है। घर में ही स्नान  तोकफी पानी से बदन को खूब मल-मल कर नहाना चाहिए । नदी या स्वच्छ तालाब का स्नान बढ़िया होता है । तैरना एक अच्छी कला और उपयोगी कसरत है । इसलिए नदी या तालाब में स्नान करने से त्वचा की भरपूर सफाई के अतिरिक्त व्यायाम भी होता है । 

स्नान करते समय इन बातो पर ध्यान दें Ancient Biology Science In TheVedas

1. गंदे और कीटाणु युक्त पानी के तालाब में भूलकर भी नहीं नहाना चाहिए । उससे निश्चित चर्म रोग होते है और तैरते समय थोड़ा भी कीटाणु युक्त पानी पेट में चला हाय तो भयंकर उदार रोगों का कारण बन सकता है । अपरिचित नदी में स्नान करना उत्तम है । 

2.  नहाने में साबुन का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि उससे त्वचा की स्वाभाविक स्निग्धता नष्ट होती है । 

3.  भोजन के तुरंत बाद अथवा व्यायाम के तत्काल पश्चात स्नान नहीं करना चाहिए । साधारणतया किसी भी परिश्रम में काम के अनंतर एकाध घंटा रूककर ही स्नान करना चाहिए । 

4.  स्नान करने के लिए प्राय: हर ऋतु में प्रात:काल का ही समय उत्तम माना गया है । 

5.  अगर ठण्ड के समय में प्रात: स्नान कठिन हो, तब दोपहर में भी स्नान किया जा सकता है । 

6. स्नान करते समय हवा के झोंके से बचना चाहिए । स्नान का स्थान खुले में न हो तो उत्तम है । 

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आदि सभी रोगों को शरीर से दूर रखने के लिए त्वचा की सफाई अत्यंत महत्वपूर्ण है । त्वचा की  समय पर सफाई न होने के करना उपरोक्त विकार उत्त्पन होते है । जिनसे त्वचा ख़राब होने लगती है । निरंतर रोगों को पनाह देने कर कार्य करती   है जिस कारण शरीर कमजोर होता है । शरीर की ताकत खत्म होने लगती है । -Alok Prabhat