महिलाओं में आजकल पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) बहुत सामान्य समस्या हो गई है। पहले जहां महिलाएं घर की चारदीवारी में ही अपना जीवन बिता देती थींं लेकिन अब समय इतना बदल गया है कि आज महिलाएं घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी सभाल रही हैं, जिससे उन्हें संतुलन बनाये रखने में अपने लिए समय निकालने में कठिनाई होती है। असमय भोजन, स्वास्थ्य की अनदेखी, मशीनी जीवनशैली और तनाव के कारण आजकल महिलाएं अनेक बीमारियों से ग्रस्त रहने लगी हैं। कैंसर, हृदय रोग व आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से आज हर दूसरी महिला परेशान है। वर्तमान में महिलाओं में सबसे अधिक होने वाली बीमारी है, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस। सरकारी बैंकों पर है काफी दबाव रेहड़ी पटरी वालों को लोन देने के लिए…

Ovarian Cyst | ओवेरियन सिस्ट के घरेलू उपचार | Ovarian Cyst Treatment

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) महिलाओं में होने वाली बेहद ही आम समस्या है। पहले यह समस्या 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में देखने को मिलती थी, लेकिन आज यह समस्या छोटी उम्र की लड़कियों को भी होने लगी है। पीसीओएस महिला में होने वाली एक ऐसी समस्या हैं जिसमें ओवरी में सिस्ट यानी गांठ आ जाती है। हार्मोंस में गड़बड़ी इस बीमारी का मुख्य कारण है। कई बार यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। इसके अलावा खराब जीवन शैली, व्यायाम की कमी, खान-पान की गलत आदतें भी इसका बहुत बड़ा कारण है। महिला रोग विशेषज्ञों के अनुसार, पीसोओएस की समस्या पिछले 10 से 15 सालों में दोगुनी हो गई है। मनोज सिन्हा: कश्मीर पंडितों की वापसी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

लड़कियों में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या डॉ. मेघना शर्मा बताती हैं कि आजकल अनियमित पीरियड्स की समस्या किशोरियों में बेहद आम हो गई है। यही समस्या आगे चलकर पीसीओएस का रूप ले सकती है। पीसीओएस अंतः स्रावी ग्रंथि से जुड़ी ऐसी स्थिति है जिसमें महिला के शरीर में एंड्रोजेन्स या पुरुष हार्मोन अधिक होने लगते हैं। ऐसे में बॉडी का हार्मोनल संतुलन गड़बड़ हो जाता है, जिसका असर अंडे के विकास पर पड़ता है। इससे ओवुलेशन और मासिक चक्र रुक सकता है। इस तरह से सेक्सो हार्मोन में असंतुलन पैदा होने से हार्मोन में जरा सा भी बदलाव पीरियड्स पर तुरंत असर डालता है। इस अवस्था के कारण ओवरी में सिस्ट बन जाती है। इस समस्या के लगातार बने रहने से ओवरी के साथ फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है।रक्षा मंत्री के बाद अब विदेश मंत्री जयशंकर जाएंगे तेहरान

यह स्थिति सचमुच में खतरनाक होती है। ये सिस्ट छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होते हैं, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है। ओवरी में ये सिस्ट इकट्ठा होते रहते हैं और इनका आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है। यह स्थिति पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है और यही समस्या ऐसी बन जाती है, जिसकी वजह से महिला को गर्भधारण में समस्या होती हैं।संस्कृत में रचे गए हमारे प्राचीन ग्रंथों में गणित-विज्ञान की समृद्ध विरासत है, मगर वर्तमान पीढ़ी इस ज्ञान से अनभिज्ञ

- चेहरे पर बाल उगना

- यौन इच्छा में अचानक कमी

- वजन बढ़ना - पीरियड्स का अनियमित होना

- गर्भाधान में मुश्किल आना आदि शामिल है।

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- इसके अलावा त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे अचानक भूरे रंग के धब्बों का उभरना या बहुत ज्यादा मुंहासे भी हो सकते हैं। क्या हैं पीसीओएस के कारण पीसीओएस के प्रमुख कारणों में अनियमित दैनिक जीवन शैली, तनाव और चिंता, खान-पान पर ध्यान न देना, देर तक जागना, जंक फूड, शारीरिक मेहनत की कमी, मोटापा, आलसी जीवन आदि प्रमुख हैं। एलआईसी की यह योजना खास ग्राहकों के लिए है, जानिए प्लान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

कैसे बचें पीसीओएस से - जंक फूड, अत्यधिक तैलीय, मीठा व फैट युक्त भोजन खाने से बचें। नई शिक्षा नीति में शिक्षक तकनीकी रूप से भी दक्ष हों

- भोजन में हरी सब्जियों और फलों को शामिल करें। हार्मोनल असंतुलन को दूर करके पीसीओएस की समस्या को ठीक किया जा सकता है इसके लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाने की जरूरत है। डॉ. मेघना शर्मा, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जीवनी मंडी - Sabhar Alok Vaidy

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