अमेरिका खंडो में वैदिक सभ्यता के प्रमाण आज भी मौजूद है कैसे ?


अमेरिका में आज भी पाए जाते है वैदिक सभ्यता के प्रमाण

पृथ्वी के गोले में हिन्दुस्थान के ठीक दूसरी तरह उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका खण्ड है । कहते हैं की भारत से यदि पृथ्वीतल में 80 मील नीचे आर-पार गड्ढा खोद दिया जाए तो वह अमेरिका में निकल आएगा ।

अत: अमेरिका का उल्लेख पुराणों में समय-समय पर पाताललोक, नागलोक आदि कहकर होता रहा है । उस भूमि का पता कोलम्बस से पहले किसी को था ही नहीं, ऐसी धौंस यूरोप के विद्वानों ने रूढ़ की है । उसी पराक्र विद्या के क्षेत्र में भी बिजली, तार, टेलीफोन आदि विभिन्न शास्त्रीय शोध और प्रग्री साडी कोपरनिकस, गैलीलियो, न्यूटन, फैराडे, मार्कोनी, थॉमस बैट आदि यूरोपीय के नाम ही मढ़ दी गई है ।हिंदू शब्द की प्रासंगिकता कब, क्यों और कैसे बढ़ी क्या है अर्थ...

इस अनादि जीवनचक्र में वर्तमान आश्चर्यकारी शास्त्रीय प्रगति रामायण, महाभारत जैसे प्राचीन युगों में भी हुई थी । इतिहास की उथल-पुथल में उस प्रगति की जानकारी लुप्त हो जाती है । अत: प्रत्येक ने युग में अप्रगत अवस्था से मानव प्रथम बार ही कुछ प्रगति कर पा रहा है ऐसा आभास निर्माण होता रहता है ।

वर्तमान युग में जैसे द्रुतगति विमानों से विश्व के एक कोने से दूसरे कोने तक कुछ घंटों में ही जाया जा सकता है  उसी प्रकार के उल्लेख प्राचीन संस्कृत साहित्य में विपुल होते हुए उन्हें झूठ कैसे कहा जा सकता है ?

भूगोल शब्द से ही पृथ्वी के गोल आकर की पूरी कल्पना प्राचीन भारतियों को थी ऐसा स्पष्ट निष्कर्ष निकलता है ।

अब अमेरिका के विविध भागों के नाम देखे । Canada प्रदेश का नाम प्राचीन शास्त्रज्ञ ‘कणाद’ मुनि से पड़ा है, ऐसा डोरोथी चपलीन का अनुमान उसके ग्रन्थ में उद्धत है ।, महासचिव गुटेरेस के प्रयासों को मिला समर्थन UNSC में…

कनाडा के उत्तर में जो Alaska प्रदेश है वह अलका (Alka) का अपभ्रंश हैं । वैदिक परम्पुरानुसार कुबेर उत्तर दिशा का स्वामी हैं । कुबेर की राजधानी अलका नागरी या अलका प्रदेश थी । उसी का वर्तमान उच्चारण अलका है ।

अमेरिका में शिव, गणेश आदि देवताओं की मूर्तियाँ तथा शिलालेख आदि जो सामग्री प्राप्त होती है, उससे वहां की प्राचीन वैदिक सभ्यता की पुष्टि होती है । इसका ब्यौरा भिक्षु चमनलाल द्वारा लिखित Hindu America पुस्तक के चित्रों सहित उपलब्ध हैReligious Story अध्यात्मिक कहानी Story Writing
Mexico एक प्रदेश है । उसका नाम ‘माक्षिक’ यानी चांदी नाम के संस्कृत शब्द से पड़ा है । वहां के लोग भारतीय वंश के हैं । वे भारतियों जैसी रोटी भस्म थापते है, पान, चूना, तमाखू आदि चबाते है । नववधू को ससुराल भेजते समय की उनकी प्रथाएं, दंतकथाएं, उपदेश आदि भारतीयों जैसे ही होते है ।

दक्षिण अमेरिका में Uruguay प्रदेश विष्णु के उरुगाव: नाम से है । Guatamala नाम का दूसरा प्रदेश गौतमालय का अपभ्रंश हैं । Beunos Aires नगर का उच्चारण ‘ब्यूनस आयरिश’ किया जाता है जो वास्तव में प्राचीन भुवनेश्वर नाम है । Argentina नाम का अन्य एक देश है जो अर्जुनस्थान का अपभ्रंश है ।

वैदिक नरेश जब विश्व सम्राट थे, तब के यह सारे नाम पड़े है । पाण्डवों का स्थपति था ‘मय’ । उसी के द्वारा बने या उसी की प्रणाली के जो प्राचीन खण्डहर अमेरिका खंडो में पाए जाते है वे अभी तक मय सभ्यता के अवशेष कहे जाते है । ब्रह्म चेलानी बोले, भारत के पलटवार की दृढ़ता दर्शाता है PM का लद्दाख दौरा

उस मय सभ्यता का जो प्राचीनतम धर्मग्रन्थ है उसका नाम है Popal Vuh । उसमें सृष्टि उत्पत्ति के पूर्व की जो स्थिति वर्णित है, वह वेदों में दिए संस्कृत वर्णन का ही पूरा अनुवाद है । वह इस प्रकार है ।

 “सर्वत्र निश्चल स्तब्धता थी । वायु या ध्वनी कुछ नहीं था । अन्तरिक्ष सारा रिक्त था । मानव, पशु या अन्य कोई भी जीव नहीं था । पक्षी, मछलियाँ, शंख, पेड़, पत्थर, गुफा, खाई, घास, जंगल आदि कुछ नहीं था । केवल आकाश-अवकाश था । उसमें केवल एक क्षीरसागर था । कुछ वस्तुएं, पदार्थ आदि जुटाएं नहीं गए थे । कहीं से किसी प्रकार की ध्वनी भी नहीं थी । एकदम एक सन्नाटा-सा था । कहीं कुछ गतिमान था ही नहीं । आकाश का सन्नाटा भंग करने वाली अल्प सी भी ध्वनी कहीं थी नहीं । कोई वस्तु खड़ी नहीं थी । केवल एक क्षीरसागर ही था-वह भी एकदम शांत तथा सुनसान । सर्वत्र निश्चल अँधेरा ही अँधेरा था । तब विधाता ने आज्ञा दी, “यह अवकाश भर दिए जाए । जल दूर हो ताकि पृथ्वी निकल सके और जीमात्र के लिए आधार निर्माण हो ।”एक आर्य बहू की सीख Signs of Slavery

उसी Popal Vuh ग्रन्थ अरण्यवासी यानि असुरों से देवों के संघर्ष का वर्ना उसी प्रकार का है जैसे भारत में हैं ।

अमेरिका में नरसिंह प्रतिमाएं गुरुकुल की शिक्षा कहाँ गई ?

Petar Kolosimo के ग्रन्थ में पृष्ठ १६५ पर उल्लेख है, “It is thought by some that the statues of cat men spread all over central and southern America represent an ancient race” । यानी “मध्य तथा दक्षिण अमेरिका में जो विपुल नरसिंह प्रतिमाएं बिखरी पड़ी हैं वे किसी प्राचीन जमात को होंगी, ऐसा कुछ लोगों का अनुमान है ।” हमारा मत तो यह है कि नरसिंह का अवतार का बड़ा महत्व रहा होगा, तभी इतनी प्रतिमाएं उपलब्ध है । -आलोक आर्य 

Post a Comment

0 Comments