रात्रि के नियम Religious Story अध्यात्मिक कहानी Story Writing
संध्याकाल
दैनिक जीविका कार्य या पढ़ाई से निबट कर एक बार शाम को भी शौच जाना चाहिए । शौच के अनंतर हाथ-पैरों और मुंह की सफाई तो सदा करनी आवश्यक है ही, ग्रीष्म ऋतु में संध्या को स्नान करना भी अच्छा होता हैं। सूर्यास्त के बाढ़ थोड़ी देर ईश्वर का स्मरण करना चाहिए । विधार्थी संध्या को थोड़ा नाश्ता करके खेल-कूद में जाया करें ।
रत्रिभोजन
रात में 7-8 बजे के बीच रात्रि का भोजन कर लेना चाहिए। यह समय बारहों मास के लिए ठीक है । भोजन के अनंतर थोड़ी देर टहलना चाहिए फिर कुछ देर घर में बच्चों से विनोद-वार्ता करनी चाहिए । रात्रि में हल्के भोजन का सेवन ही उत्तम माना गया है । सुखपूर्वक सोने के लिए रात्रि को इच्छानुसार खाना नहीं चाहिए बल्कि जितनी भूख हो उससे आधा ही खाकर संतुष्ट होना चाहिए ।एक आर्य बहू की सीख Signs of Slavery
रात्रि के 9-10 बजे ईश्वर का स्मरण करते हुए सो जाना चाहिए । नित्य निश्चित समय पर सो जाना स्वास्थ्य के लिए परम हितकर अभ्यास होता हैं । बहुधा लोग रात्रि में मित्र-गोष्ठियों या सिनेमा-क्लब आदि में समु खोते है और देर में सोते हैं । यह आदर स्वास्थ्य नाश करनेवाली है । जो विधार्थी रात मंदर तक पढ़ते है और फिर सुबह देर तक सोते रहते है, वे स्वास्थ्य के प्रति तो अनाचार करते ही हैं, पढना भी व्यर्थ करते रहते है।हिंदू शब्द की प्रासंगिकता कब, क्यों और कैसे बढ़ी क्या है अर्थ...
क्योंकि रात में नींद के समय की उस पढ़ाई में ज्ञानार्जन में रत्ती भर भी लाभ नहीं होता, रात में ठीक समय पर सोयें और सुबह तड़के उठकर पढ़े तो वह निश्चित ही उपयोगी ही होता हैं । सुबह का एक वार का ही पढ़ा बहुत दिनों तक याद रहता है, क्योंकि प्रात:काल की स्मरण शक्ति तीव्र होती है । भारत में छात्रो में प्राचीन जीवनचर्या के विरुद्ध चलने की आदत आजकल पनप रही है वह स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद हैं ।चीन-पाक हर कीमत पर इकोनामिक कॉरिडोर को पूरा करना चाहता है
विधार्थी रात्रिचर्या
विधार्थी को रात में 9-10 बजे सोकर सुबह 4-5 बजे उठने से, सात घंटे की नींद पूरी हो जाती है जो स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त और उत्तम होती हैं । छोटे बच्चे स्वभावत: अधिक समय तक सोते है। इसलिए उनको भी रात में जल्दी सुलाकर सुबह तड़के उठने का अभ्यास आरम्भ से ही करना चाहिए। स्पैम मैसेज की बाढ़ आई जीमेल में, कई यूजर ने की शिकायत
उपरोक्त नियमों का पालन कर कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक ज्ञानवान, दृढ़ निश्चयी और स्वस्थ रह सकता हैं । किसी भी मशीन को अगर उसके नियमों में रहकर चलाया जाये तो वह लंबे समय तक कारगर सिद्ध होती हैं लेकिन अगर उसे नियमों के विपरीत चलाया जाये तो प्रतिदिन उसमें कुछ न कुछ खराबी उत्पन्न हो जाती है । इसी प्रकार मनुष्य शरीर भी एक मशीन है जिसे नियमानुसार चलाना अति उत्तम सिद्ध होता हैं। रात्रि के नियम भी उचित प्रकार से निभाने बहुत जरुरी हैं । - आलोक प्रभात
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