सूर्य नमस्कार का वैज्ञानिक महत्व और प्रसिद्द लोगो के अनुभव


सूर्य नमस्कार का वैज्ञानिक स्वरूप 

सूर्य नमस्कार

संसार में प्रचलित व्यायामों में सर्वश्रेष्ठ और सबके करने योग्य पूर्ण वैज्ञानिक व्यायाम ‘सूर्य नमस्कार’ हैं। इसे बालक-वृद्ध, स्त्री-पुरुष सभी कर सकते हैं । आयुर्वेद तो अपने जन्मकाल से ही सूर्य को आरोग्य का देवता मानता आ रहा हैं । अब यूरोप और अमेरिका के सभी विख्यात पुरुषों ने भी हाईजीनिया की जगह सूर्य को ही आरोग्य का देवता स्वीकार कर लिया हैं ‘फिजिकल कल्चर’ मासिक पत्रिका जुलाई 1926 में में डॉ. गार्डनर रों ने लिखा हैं । “वस्त्र-रहित होकर धूप में बैठों। सूर्य वैद्यों तथा औषधियों का राजा हैं शास्त्र कहता हैं कि सूर्य आरोग्य का प्रदाता हैं । 

सूर्य नमस्कार से शारीरिक और मानसिक लाभ 

सूर्य नमस्कार एक ऐसा व्यायाम हैं, जिसके शारीरिक बल बढ़ता ही है, मानसिक उन्नति भी होती है,  क्योंकि कसेरू-संकोच तथा कसेरू-विकसन से स्नायु मंडल का व्यायाम होता हैं , जिससे स्नायु मंडल सशक्त होकर मानसिक बल प्राप्त करता हैं । हिन्दू सूर्य को ईश्वर का प्रतिक मानते हैं एवं उसकी उपासना द्वारा निश्चित रूप में अध्यात्मिक उन्नति करते हैं । इस प्रकार सूर्य-नमस्कार से सर्वांगीन विकास और अध्यात्मिक उन्नति होती हैं ।

प्रात: काल जब तक सूर्य का रंग लाला रहता हैं, तब तक उसमें से नील लोहितातित (Ultra Violet Rayes) नाम की किरणों का निकलना होता हैं । आज-कल कृत्रिम नील-लोहितातित किरणों (Ultra Violet Rayes) द्वारा कई दु:साध्य रोगों को दूर किया जाता हैं फिर प्राकृतिक नील लोहितातित किरणों (Ultra Violet Rayes) में सूर्य नमस्कार व्यायाम किया जाय तो कितना लाभ होगा, यह प्रत्येक विचारशील मनुष्य स्वयं समझ सकता हैं । 

राजा साहब श्री भगवान श्रीनिवासरावजी का सूर्य नमस्कार करने का अनुभव 

सूर्य नमस्कार के विषय में आंध के राजा साहब श्री भगवान राव श्रीनिवासरावजी पन्त ने अपना अनुभव इस प्रकार लिखा हैं-

“अपनी युवावस्था  में मैंने पंजाब के स्व. प्रसिद्द पहलवान इमामुद्दीन से कुश्ती की शिक्षा प्राप्त की थी । कुश्ती के अलावा जोर जोड़ी-बैठक आदि भी मैं करता था । पुरानी व्यायाम पद्धति के अनुस्व आवश्यक स्निग्ध और भारी चिज़े भी मेरे खाने में आने लगी । इस सबके फलस्वरूप मेद बढ़ने लगा।” 

“सन 1898 में मैंने व्यायामपटु सैंण्डो के सम्बन्ध की कुछ पुस्कतें पढ़ी। तुरंत मैंने सैकंडो के व्यायाम का साहित्य मंगवाया और पुरे दस वर्ष तक इस पद्धति  से नियमित और अव्याहत व्यायाम किया। उनसे छाती के घेर में तो कुछ फर्क पड़ा, परन्तु कमर और पेट कुछ कम हुए।”

“आगे चलकर मेरे परम मित्र श्रीमान राजा गंगाधार राव उर्फ़  बाला साहब पटवर्धन के उदाहरण सहित उपदेश के अनुसार मैंने 1908 से नित्य नियम से पद्धतियुक्त और मंत्रयुक्त सूर्य नमस्कार करना आरम्भ कर दिया । इनका परिणाम यह हुआ कि पहले का भारीपन नष्ट हुआ और शरीर हल्का हो गया । पेट का घेरा 14 इंच कम हुआ और छाती 43 इंच कायम हैं।

वृति आनंदपूर्ण एवं उत्साहयुक्त हुई और मालूम होना लगा कि मुझे जवानी की फुर्ती फिर प्राप्त हो गई हैं । सर्वोतम लाभ यह हुआ कि 25 वर्ष से ज्वर आदि विकारों से मैं बिलकुल अलिप्त हूँ । यही नहीं, बल्कि डॉक्टरों के मतानुसार सर्दी खांसी आदि जो सामान्य विकार अनिवार्य है वे मेरे पास नहीं फटके।”

“आज पच्चीस वर्ष के पूर्ण अनुभव से मैं अधिकारयुक्त वाणी में जोर देकर कहता हूँ कि सब व्यायाम-पद्धतियों में सूर्य नमस्कार अति उत्तम हैं । परमोत्तम शारीरिक एवं मानसिक आरोग्य प्राप्त करा देनेवाली हैं तथा किसी भी विकार परिस्थिति में या मानसिक आपति में अचल एकाग्रता एवं मनोधैर्य प्राप्त करा देने वाली हैं । अतएव मैं निशित रूप से कहता हूँ सूर्य नमस्कार पद्धति अन्य सभी व्यायाम-पद्धति से श्रेष्ठ है।”

सूर्य नमस्कार का वैज्ञानिक लाभ :-

नित्य प्रति सूर्य नमस्कार करनेवाले का अनायाम ही प्राकृतिक व्यायाम होकर शारीरिक अंग-प्रत्यंग सुदृढ़ व बलवान होता है और किसी प्रकार के रोगशोकादी पास नहीं फटकते । सूर्य नमस्कार में सूर्य भगवान जैसे भौतिक जगत में अंधकार मिटा प्रकाश फैलाते है, वैसे ही आन्तरिक-जगत में भी उनके प्रकाश –प्रसार से अशुभ और असुखमयी अंधकार की शक्तियों का नाश होता है । -आलोक प्रभात 

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