माइक्रोवेव ओवन कितना कारगर है ?
माइक्रोवेव ओवन
एक अध्ययन में दावा किया गया है कि पूरे यूरोप में माइक्रोवेव ओवन से जितने कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है उतना ही कार्बन डाइऑक्साइड करीब 70 लाख कारों से निकलता है। ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने माइक्रोवेव के पर्यावरणीय प्रभावों के पहले व्यापक अध्ययन के बाद यह दावा किया है। बेवकूफ की बात-ऐसे तो हर एक वस्तु हानिकारक है। पेपर भी तो कितने पेड़ों से बंटा है हर एक वस्तु से कुछ ना कुछ नुकसान तो होता ही है।
इस अध्ययन में पाया गया कि पूरे यूरोपीय संघ में हर साल माइक्रोवेव से करीब 77 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार मानी जाने वाली इस गैस की करीब 77 लाख टन की मात्रा हर साल 68 लाख कारों से उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बराबर है।
माइक्रोवेव का वातावरण पर क्या इम्पैक्ट होता है इसका आकलन करने के लिए उनके लाइफ साईकल यानी जीवन चक्र का निर्धारण किया गया जिसमें माइक्रोवेव के मैनुफैक्चर से लेकर उनके इस्तेमाल और उनकी समाप्ति तक कितना वेस्ट मैनेजमेंट होता है, इसे इस स्टडी में शामिल किया गह। रिसर्च में यह बात भी सामने आयी कि माइक्रोवेव ओवन का निर्माण करते वक्त जिन सामानों का इस्तेमाल होता है उनसे वातावरण को अधिक खतरा होता है।
माइक्रोवेव ओवन से होने वाले नुक्सान रक्त की रचना में परिवर्तन होता है । ह्रदय की धड़कन बदल जाती है । प्रतिरक्षण क्षमता कम होती है । कैंसर होने वाले कारक बनाता है । भोजन के पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है । माताओं के दूध को नष्ट कर देता है । पोषक तत्वों में विटामिन की मात्रा समाप्त होती है । ग्लोबल वार्मिंग को जन्म देता है । खाने की प्रकृति को बदल देता है । मानसिक तनाव उत्पन्न करता है । -आलोक प्रभात
माइक्रोवेव ओवन
एक अध्ययन में दावा किया गया है कि पूरे यूरोप में माइक्रोवेव ओवन से जितने कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है उतना ही कार्बन डाइऑक्साइड करीब 70 लाख कारों से निकलता है। ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने माइक्रोवेव के पर्यावरणीय प्रभावों के पहले व्यापक अध्ययन के बाद यह दावा किया है। बेवकूफ की बात-ऐसे तो हर एक वस्तु हानिकारक है। पेपर भी तो कितने पेड़ों से बंटा है हर एक वस्तु से कुछ ना कुछ नुकसान तो होता ही है।
इस अध्ययन में पाया गया कि पूरे यूरोपीय संघ में हर साल माइक्रोवेव से करीब 77 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार मानी जाने वाली इस गैस की करीब 77 लाख टन की मात्रा हर साल 68 लाख कारों से उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बराबर है।
माइक्रोवेव का वातावरण पर क्या इम्पैक्ट होता है इसका आकलन करने के लिए उनके लाइफ साईकल यानी जीवन चक्र का निर्धारण किया गया जिसमें माइक्रोवेव के मैनुफैक्चर से लेकर उनके इस्तेमाल और उनकी समाप्ति तक कितना वेस्ट मैनेजमेंट होता है, इसे इस स्टडी में शामिल किया गह। रिसर्च में यह बात भी सामने आयी कि माइक्रोवेव ओवन का निर्माण करते वक्त जिन सामानों का इस्तेमाल होता है उनसे वातावरण को अधिक खतरा होता है।
माइक्रोवेव ओवन से होने वाले नुक्सान रक्त की रचना में परिवर्तन होता है । ह्रदय की धड़कन बदल जाती है । प्रतिरक्षण क्षमता कम होती है । कैंसर होने वाले कारक बनाता है । भोजन के पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है । माताओं के दूध को नष्ट कर देता है । पोषक तत्वों में विटामिन की मात्रा समाप्त होती है । ग्लोबल वार्मिंग को जन्म देता है । खाने की प्रकृति को बदल देता है । मानसिक तनाव उत्पन्न करता है । -आलोक प्रभात
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