क्या Pok से होगा तीसरा विश्वयुद्ध ?

POK में चीन VS दक्षिण कोरिया भय का नाम ही भूत

वैश्विक सामन्जस्यवादी परिस्थिति तेजी से बदल रही है । विश्व तेजी से तीसरे विश्वयुद्ध की और अग्रसर है । इसबार युद्ध क्षेत्र एशिया भूखंड होगा । पिछले 7-8 वर्षो से अमेरिका भारत में करीबियां बढ़ी है व चीन-पाकिस्तान आपस में सगे भाई बने हुए है । पाकिस्तान ने पीओके चीन को सौंप दिया है जो भारत के लिए बड़ी चिंता की बात है । अब खबर आई है की दक्षिण कोरिया (अमेरिका समर्थित देश ) ने अपनी सभी कंपनियो को पीओके (pok) से कारोबार समेटकर स्वदेश आने की कही है । आज है सावन का पहला सोमवार, जगत के पालनकर्ता हैं देवाधिदेव महादेव

दक्षिण कोरिया सरकार इस कदम को भारत के समर्थन में लिया निर्णय बता रही है । लेकिन सच बात तो यह है की चीन पीओके में किसी अमेरिका अथवा भारत समर्थित व्यापार को चलने ही नहीं दे रहा । दक्षिण कोरिया यदि भारत समर्थन में यह कदम उठाता है तो बहुत पहले उठा लेता । मजबूरी में लिए इस फैसले को भारत समर्थन में लिया फैसला बताना दक्षिण कोरिया की कूटनीति का हिस्सा है । बहरहाल, दक्षिण कोरिया का यह कदम बदलते वैश्विक समीकरण को दर्शाता है ।रोचक कहानी – विचार शक्ति से विश्वविजय

अमेरिका अपने सभी सहयोगियों को भारत के समर्थन में लाकर चीन की बढ़ती ताकत को रोकना चाहता है । जबकि भारत के लिए वर्तमान वैश्विक परिस्तिथि में अमेरिका का सात मजबूरी है । चीन-पाक हर कीमत पर इकोनामिक कॉरिडोर को पूरा करना चाहता है

भारत को फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा । अमेरिका पहले विश्वयुद्ध में (1914-18) तटस्थ रहकर अन्तिम्वार से महाशक्ति बना था । हो सकता है अमेरिका अपने वर्चस्व को बचने हेतु भारत को सातवे आसमान के सपने दिखाकर तीसरे विश्वयुद्ध की और न धकेल दे । कही हमको उस स्थिति में न पंहुचा दे जहाँ युद्ध टालना असंभव हो जाये और जब एशिया में महायुद्ध समाप्त होने को हो तब 1914-18 के प्रथम विश्वयुद्ध की भांति तीसरे विश्वयुद्ध में अंतिम निर्णायक प्रहार करके पुन: 50-100 वर्षो तक महाशक्ति बना रहे । -आलोक प्रभात  

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