अभिमन्यु की चक्रव्यूह रचना का पर्दाफास



क्या अभिमन्यु ने गर्भ में ही  चक्रव्यूह रचना सिख लिया था ? 

महाभारत के अनुसार सुभद्रा और अर्जुन का विवाह हुआ था। और इस विवाह को श्री कृष्ण जी कहने पर यदुवंशियों ने भी अपनी स्वकृति दे दी । और उसके बाद अर्जुन और सुभद्रा को इन लोगों ने अपने यहाँ यदुवंश में बुलाया । एक वर्ष तक अर्जुन विवाह के उपरांत सुभद्रा के साथ श्री कृष्ण के यहाँ रहे । और एक वर्ष उपरांत अर्जुन अपने खांडव-परस्त में लौट गए और समय बाद सुभद्रा को एक पुत्र पैदा हुआ। पुत्र का नामकरण संस्कार किया गया और अभिमन्यु नाम रखा गया। ‘बफेट की सोच नई है नई संभावनाओं पर और नजरिया वही पुराना’

अभिमन्यु का पालन-पोषण श्री कृष्ण जी ने अपने राज्य में ही किया अर्थात् वह अपने मामा के घर में ही पला । और इस प्रकार जन्म से ही अभिमन्यु के लालन-पालन श्री कृष्ण जी ने ही किया और शुक्ल पक्ष के चन्द्रमा की भांति अभिमन्यु अपने मामा श्री कृष्ण के घर पलने-बढ़ने लग गया। अर्जुन ने अपने पुत्र को धनुर्वेद आदि की शिक्षा-दीक्षा उसके उपरांत दी । जो विद्या श्री कृष्ण और अर्जुन के पास थी। वह सारी विद्या अर्जुन ने अपने पुत्र अभिमन्यु को प्रदान कर दी ।                                    

महाभारत के अनुसार ध्रतराष्ट्र ने अर्जुन को आधा राज्य दिया था। उस आधे राज्य में इनको वन क्षेत्र ज्यादा दिया गया था । और उस वन का नाम खांडव वन था जिसे अर्जुन के द्वारा समतल व कृषि योग्य भूमि बनाने के लिए जला दिया गया था। ताकि इनके राज्य में आने वाले लोग खेती कर सके। जिससे इनका शासन-प्रशासन आगे बढ़े। भगत सिंह का नामकरण बिना किसी पंडित के हुआ था ?

महाभारत के अनुसार खांडव वन जलने से पूर्व अर्जुन और श्री कृष्ण ने अभिमन्यु को धनुर्वेद की  सारी शिक्षा प्रदान कर दी थी। उसके बाद खांडव वन जलाया गया था। और इस वन को जलाने के बाद अर्जुन और श्री कृष्ण जी ने वहां राजसु यज्ञ किया। राजसु यज्ञ में जो राजा-महाराजा अतिथि बनकर आते है उनको बाहर तक छोड़ा जाता है अर्थात यहाँ भी ऐसा हुआ जो भी अतिथि राजसु यज्ञ में आये थे उनको राज्य के बाहर तक छोड़ने के लिए राज्य से अर्जुन, श्री कृष्ण, भीम, नकुल, सहदेव आदि सभी किसी न किसी अतिथि को छोड़ने के लिए गए थे। और “अभिमन्यु भी किसी को छोड़ने के लिए गया था”। अर्थात् उपरोक्त पंक्तियों से पता चलता है की यहाँ तक अभिमन्यु की आयु 3 वर्ष से बहुत ज्यादा थी। जबकि महाभारत के भाष्य में अभिमन्यु की आयु 3 वर्ष बताई गई है जो एक बहुत मिलावट है । क्योंकि 3 वर्ष का बालक किसी को छोड़ने नहीं जा सकता और यहाँ तक अभिमन्यु की आयु 16 वर्ष थी। SC कोयला ब्लॉक, 2जी लाइसेंस रद करते वक्त भटक गया था :रोहतगी

जब युद्ध की स्थिति बनी तब धृतराष्ट्र संजय से कहते है, कि पाण्डव तो बहुत ज्यादा शक्तिशाली है और अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर भी आदि बहुत बलवान है और उनके साथ श्री कृष्ण जी भी है। और इसी दौरान धृतराष्ट्र संजय को कहते है की 33 वर्ष पूर्व अर्जुन ने खांडव वन को जला दिया था। और जो राक्षक वन को जलाने देना नहीं चाहते थे उन्हें अर्जुन ने अकेले ने तबाह कर दिया था। और मैंने अपने सम्पूर्ण जीवन में अर्जुन को कभी हारते हुए नही देखा। अगर ऐसा हुआ तो अकेला अर्जुन हमे तबाह कर देगा। और जैसा की धृतराष्ट्र बताते है की 33 वर्ष पूर्व अर्जुन ने खांडव वन को जलाया था। और महाभारत के अनुसार खांडव वन जलने से पूर्व अभिमन्यु का जन्म हो गया था। और इस वन को जलाने से पूर्व अभिमन्यु ने वेद की सारी शिक्षा अपने मामा कृष्ण और अपने पिता अर्जुन से ले ली थी। इससे सिद्ध होता है की इस समय अभिमन्यु की आयु 16 साल से बहुत ज्यादा थी। Maharishi Dayanand Saraswati (महर्षि दयानन्द सरस्वती ) का मृत्यु रहस्य

इतिहास को बरगलाने के लिए ढोंगियों द्वारा लिखा गया है की अभिमन्यु ने 16 वर्ष की आयु में दुर्योधन (70 वर्ष), भीष्म पितामह (155 वर्ष), दुराचार्य(105), कृपाचार्य (103 वर्ष), करण (73), अस्वथामा व दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण आदि शूरवीरों को हराया। इतनी बड़ी-बड़ी उम्र के महाबलियों को अभिमन्यु भला 16 साल की आयु में कैसे हरा सकता है। जबकि श्री कृष्ण की आयु भी युद्ध के दौरान 105 वर्ष थी। इन सभी ने बहुत दीर्घ काल तक धनुर्वेद आदि का अभ्यास किया हैं। क्या मात्र 16 वर्ष का कोई भी युवक इतने बड़े-बड़े धुरंधरों को भला कैसे हरा सकता है । महाभारत का सारा का सारा भाष्य कपोलकल्पित किया गया है। यहाँ पाखंडियों ने दैवीय शक्ति बताने के लिए महाभारत में मिलावट की गई है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना क्या है और कैसे उठा सकते हैं फायदा

जबकि उपरोक्त शलोकों पता चलता है की अभिमन्यु की अभिमन्यु ने कम से कम 18-20 वर्ष वेद और धनुर्वेद आदि की शिक्षा ली थी। जबकि धृतराष्ट्र के अनुसार युद्ध से 33 वर्ष पूर्व खांडव वन अर्जुन द्वारा जलाया गया था। तो इससे स्पष्ट होता है की युद्ध के समय अभिमन्यु की आयु लगभग 50 वर्ष थी। तथा 50 वर्ष की आयु तक अर्जुन ने वेद, धनुर्वेद आदि शिक्षा-दीक्षा और अस्त्र-शस्त्र चलाना सिखा था। व पूर्ण विद्या ग्रहण करने और पूर्ण ब्रहमचारी होने के पश्चात अर्थात् 48 से 49 वर्ष की आयु में अभिमन्यु का विवाह किया गया था। महर्षि दयानन्द द्वारा लिखित ‘सत्यार्थ प्रकाश’ में भी लिखा गया है की कोई भी मनुष्य 48 वर्ष में पूर्ण ब्रहमचारी होता है । और शुरूआती चरण में 24 वर्ष का ब्रहमचारी होता है तथा अंतिम चरण 48 वर्ष होता है। और जिसे पूर्ण वेद का ज्ञाता बनाना हो उसे 48 वर्ष की आयु में विवाह करना चाहिए ।  Chanakya Niti, चाणक्य नीति श्लोक हिंदी अनुवाद :- भाग-5 :- 81 से 100

                                                                     
श्री कृष्ण ने दी अभिमन्यु को चक्रव्यूह रचना की विद्या कैसे ? चक्रव्यूह रचना  अर्जुन ने अभिमन्यु को गर्भ में नहीं सिखाई थी। क्योंकि जब अर्जुन 12 वर्ष तक वनवास और 1 वर्ष इनका अज्ञातवास में था तो उस दौरान 13 वर्ष तक खांडव परस्त में लौटने तक श्री कृष्ण ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह रचना करना सिखाया था । जबकि सम्पूर्ण महाभारत में चक्रव्यूह रचना व चक्रव्यूह रचना से बाहर निकलना केवल तीन व्यक्तियों को आता था। जिसमे सर्वप्रथम द्रोणाचार्य, दूसरे- योगिराज श्री कृष्ण जी और तीसरे अर्जुन को चक्रव्यूह रचना और उससे बाहर निकलना आता था। और श्री कृष्ण जी के पास अभिमन्यु का लालन-पालन हुआ था। तो इससे सिद्ध होता है की श्री कृष्ण ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह रचना  सिखाई । बल्कि आज के युग में सम्पूर्ण राष्ट्र में प्रचार किया जा चूका है की अभिमन्यु ने गर्भ में ही चक्रव्यूह रचना सिख लिया था। जबकि उपरोक्त तथ्यों से सिद्ध होता है की अभिमन्यु को चक्रव्यूह रचना श्री कृष्ण जी ने  सिखाई गई थी । -Alok Nath

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