बवासीर का अर्थ, प्रकार, कारण और उपाय
इस रोग में प्राय: गुदा-द्वार की त्रिवली की नसें फूलती और बड़ी हो जाती है। जो मटर, मुन्नका या इनसे भी बड़े आकर की देखने में होती है । इसको अर्श या बवासीर कहते है । एक या कई बवासीर के मस्से एक बात में हो जाते हैं । गुदा द्वार के बाहर होने से वहिर्वलि और गुदा-द्वार के भीतर होने से अन्तर्वलि बवासीर कहलाती है। बवासीर के प्रकार ये दोनों बवासीर दोनों ही तरह देखी जाती है –खूनी और वादी ।
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1. खूनी बवासीर :- खूनी में प्राय: खून ज्यादा निकलता है। खुनी बवासीर प्राय: अन्तर्वलि में होती है ।
2. वादी बवासीर :- वादी में खून नहीं गिरता बल्कि दर्द होता है । बराबर कब्जियत के कारण मल फिरने के समय मल निकलने के लिए बहुत जोर लगा कर खांसना पड़ता है । इसी खांसने से प्राय: यह रोग उत्पन्न होता है ।
बवासीर होने के प्रमुख कारण वेदों में बताए देवता God described by Vedas
बार-बार जुलाब लेना
चटपटी मसालेदार चीजों का अधिक सेवन
मद्यपान करना
रात को जागना
बिना शरीरिक परिश्रम के जीवन बिताना
घी, मलाई आदि गुरुपकी चीजें अधिक खाना
खूब सख्त आसन पर बैठकर काम करना आदि कारणों से बवासीर जैसे समस्या उत्पन्न होती है । यह ध्यान देना चाहिए की लीवर की खराबी से बवासीर उत्पन्न होती है ।
शरीर में पानी की कमी होना
अत्यधिक समय से एक ही स्थान पर बैठना
बवासीर के लक्षण
मल द्वार के पास कुटकुट करना
कांटा चुभने जैसी वेदना
मन्दाग्नि रोग का बढ़ना
बार-बार दस्त आने की इच्छा
गुदा में जलन और खुजली होना
मल का खांसने पर निकलना
आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम होना
गुदे के आस-पास मस्से या गांठ का होना
बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना लेकिन त्यागते समय मल न निकलना
बवासीर की चिकित्सा Mutual Fund क्या है, इसमें कैसे करें निवेश?
इस रोग की सर्वोतम चिकित्सा है की योग्य चिकित्सक द्वारा शस्त्र या क्षार सूत्र से कटवा कर सब मस्से निकलवा दिए जाये या जोंक लगाकर शमन करा दिए जाएं । इस रोग में वायु की गति प्रतिलोग हो जाती है । जिससे वायु की गति अनुलोम हो, वही चिकित्सा विधेय है ।
1 नीम की निबौली की गिरी, खूनखराबा, मुनक्का, गेरू और कहरवा इन पांचो दवाओं को बराबर लेकर जल के संयोग से चने के बराबर की गोलिया बना लें । दो-दो या चार-चार गोली दोनों समय खाने से खूनी बवासीर में निश्चय फायदा होता है ।
2 रीठा, जो रेशमी कपड़ों के धोने के काम आता है- के छिलके को झालाक्र भस्म एक ग्राम शहद के साथ चाटने से खून गिरना बंद हो जाता है ।
3 मोती की सीप को महीन चूर्ण कर गुलाब जाल से घोंटे । इसकी 250 मि० ग्राम खुराक मक्खन में मिलाकर खाने से खून गिरना बंद हो जाता है । यह रक्त प्रदर में भी बहुत फायदा करता है ।
4 काली मिर्च 12 ग्राम, पीपल 25 ग्राम, सौंठ 36 ग्राम, चित्रक 48 ग्राम और सुरण 60 ग्राम इन सब पांचों चीजों का महीन चूर्ण करके 180 ग्राम गुड़ में मिलाकर 12 ग्राम की गोलियां बना लें । दूध या जल के साथ खाने से दोनों तरह की खूनी और वादी में फायदा होता है । राफेल-पर पप्पू (राहुल)-क्यों-फेल-राफेल-तो-आ-गए…
5 जमीकंद का घी में भुरता बना कर दही के साथ सेवन करने से दोनों तरह की बवासीर में आराम होता है ।
6 लाल चन्दन, चिरायता, जबासा और सौंठ—इन चरों दवाओं का काढ़ा पीने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है ।
7 ताकत की दवाओं में लिखा हुआ भिलावा खाना बवासीर में अत्यंत लाभ पहुँचाता है ।
8 गेरू 60 ग्राम को भृंगराज के रस में तीन भावना दें और टिकिया बना लें । फिर एक पाँव कंडे में रख कर फूंक दें । 500 मि० ग्राम की मात्रा में यह भस्म शहद के साथ चाटने से बवासीर में खून गिरना निश्चित ही बंद हो जायेगा ।
9 नागकेसर 1.5 ग्राम या धुले हुए काले तिल 12 ग्राम ताजा घी या माखन के साथ खाने से खून गिरना बंद हो जाता है । Hridaya – Heart in the Vedas
10 निबौलियों के बीज 10-15 करके दो-तीन बार जल के साथ खाने से भी खून गिरना बंद हो जाता है ।
11 कुछ बर्फ को एक साफ़ कपडे में बांध कर मस्सों पर 10-15 मिनट घुमाए यह क्रिया दिन में कम से कम 3-4 बार अवश्य करें इससे किसी भी प्रकार की बवासीर जल्द ठीक हो जाती है ।
12 यह रोग होने पर पानी पीने की मात्रा को बढ़ा दें दिन में कम से कम 8-10 लीटर पानी का सेवन करें इससे इस रोग में आराम मिलेगा ।
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1 आलू और बैंगन का सेवन करने से बचें ।
2 किसी भी स्थान पर लंबे समय तक न बैठे बीच-बीच में टहलने की कौशिस करें ।
3 अधिक मात्र में पेय पदार्थों का सेवन करें जैसे जूस, छाछ,सूप आदि घर का बना हुआ पियें ।
4 तले भुने खाद्य पदार्थों के सेवन से बचे और ओरों को भी इनसे बचाएं ।
5 बीड़ी सिगरेट, तंबाकू आदि किसी भी तरह के मादक पदार्थों के सेवन से बचे ।
6 ज्यादा खटाई का सेवन न करें ।
7 समय पर सोने और समय पर उठने की कोशिस करें ।
8 प्रतिदिन व्यायाम करें । एक-दूसरे से बातें करना और सुनना उतना ही जरूरी है जितना जीने के लिए हवा-पानी...
9 नित्य जननांग की सफाई जरुर करें ।
10 आवश्यकता से अधिक खाना सभी रोगों को जन्म देता है इसलिए जितनी भूख हो उतना ही खाना खाएं । -Alok Vadyachary
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