आखिर म्यूचुअल फंड क्या है, आज इसके बारे में कुछ जानते है क्युकी जिसको देखो वो म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश की बात कर रहा है. रेडिओ में और अब टीवी में भी इसका ऐड आता है की आप अपनी कमाई का कुछ हिस्सा म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करके एक्सट्रा इनकम करे. निवेश करने से पहले म्यूचुअल फंड को जान लेना बहुत जरूरी है. इससे आपको निवेश के फैसले लेने में मदद मिलेगी. आइए जानते हैं क्या है म्यूचुअल फंड? धर्म में भक्ति का महत्व (भक्तियोग)
Table of Contents
म्यूचुअल फंड क्या है:
म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार (Mutual Fund Types):
1. Asset based funds:
इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Fund):
डेट म्यूचुअल फंड (Debt Fund):
सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड:
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Fund):
2. Investment based funds:
Pension scheme:
Capital protection:
Fixed Maturity fund:
Tax saving:
3. Risk based funds:
4. Structured Based Funds:
5. Characteristics based funds:
म्यूचुअल फंड के फ़ायदे:
म्यूचुअल फंड में कैसे इन्वेस्ट करे:
म्यूचुअल फंड क्या है: निवेशकों की एक बड़ी संख्या के द्वारा जमा पैसा राशी को म्यूचुअल फंड कहते हैं जिसे एक फण्ड में डाल दिया जाता है। जहा पर हमारे और आप जैसे छोटे-बड़े बिज़नेस एम्प्लोयी पैसा यानि फण्ड जमा करते है. इन्वेस्टर्स द्वारा जमा किये गए पूँजी को एक जहा पर एक साथ उसे किया जाता है से ज्यादा प्रॉफिट कमाने के लिए. म्यूचुअल फंड कई तरह से निवेश करता है जिससे उसका रिस्क और रिटर्न निर्धारित होता है. आइये जानते है यह कितने प्रकार का होता है. त्रेता युग की झलक 400 हेक्टेयर में विकसित नव्य अयोध्या में मिलेगी…
म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार (Mutual Fund Types): म्यूच्यूअल फण्ड कई तरह के होते है, और इस सभी तरह के Mutual Fund का काम भी अलग अलग होने के साथ-साथ फायदा भी अलग होता है। मेरे हिसाब से Asset based fund और Investment based fund प्रमुख होते है। तो आइये इन दोनो फण्ड के अलावा और भी तरीके के फण्ड के बारे मे भी जान्ते है।
1. Asset based funds: इस तरह के Mutual fund scheme में main feature होता है asset value और इसे asset के base पर 4 sub-categories में बताया गया है. ये चारो कुछ इस तरह है। नीम-नीबू से बना स्प्रे फ्रिज, मोबाइल, कंप्यूटर और कमरे को वायरस मुक्त बनाएगा
इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Fund): ये स्कीम निवेशकों की रकम को सीधे निवेश शेयरों में करती हैं. छोटी अवधि में ये स्कीम जोखिम भरी हो सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि में इसे आपको बेहतरीन रिटर्न कमाने में मदद मिलती है. इस तरह की स्कीम में निवेश से आपका रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि शेयर का प्रदर्शन कैसा है. जिन निवेशकों का वित्तीय लक्ष्य 10 साल बाद पूरा होना है, वे इस तरह की स्कीम में निवेश कर सकते हैं. इक्विटी स्कीम के भी 10 अलग प्रकार हैं.
डेट म्यूचुअल फंड (Debt Fund): ये स्कीम डेट सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए निवेशक इनमें निवेश कर सकते हैं. पांच साल से कम अवधि के लिए इनमें निवेश करना ठीक है. ये स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं और बैंक के फिक्स्ड डिपाजिट की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं.
सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड: ये स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती हैं. इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चे की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. इन स्कीम में आपको कम से कम पांच साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है.
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Fund): म्यूचुअल फंड स्कीम में होने वाले सभी खर्च को एक्सपेंस रेश्यो कहते हैं. एक्सपेंस रेश्यो से आपको यह पता लगता है कि किसी फंड के प्रबंधन में प्रति यूनिट क्या खर्च आता है. आम तौर पर एक्सपेंस रेश्यो किसी स्कीम के साप्ताहिक नेट एसेट के औसत का 1.5-2.5 फीसदी होता है.
2. Investment based funds: सबसे बेहतर और साफ सुथरा प्लान यही लगा। इस Scheme के नाम ही investment शब्द आ गया है और इसके सभी sub-plans किसी ना किसी तरह के Invest पर Saving पर depend होते है. जैसे की… इस चाय के सेवन से इम्युनिटी मजबूत करने में मिलेगी मदद
Pension scheme: म्यूचुअल फंड्स के पेंशन प्लांस कस्टमर्स को रिटायरमेंट के लिए पैसा जमा करने में हेल्प करते हैं। फंड्स इसके लिए इक्विटी और डेट सिक्यॉरिटीज का कॉम्बिनेशन यूज करते हैं। इनमें रिटायरमेंट के लिए फंड तैयार किया जाता है। इसलिए फंड्स से 58 की उम्र से पहले निकासी किए जाने पर ज्यादा एग्जिट लोड वसूल किया जाता है। इन फंड्स में किए गए इन्वेस्टमेंट पर इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है।
Capital protection: कैपिटल प्रोटेक्शन-ओरिएंटेड फंड क्लोज-एंड हाइब्रिड फंड का एक वर्ग है। इसका प्राथमिक उद्देश्य बाजार में गिरावट की स्थिति में निवेशकों की पूंजी की रक्षा करना है, साथ ही साथ इक्विटी बाजार के शेयरों में भाग लेकर उन्हें पूंजीगत प्रशंसा की गुंजाइश प्रदान करता है। हालाँकि, भारत में पूंजी सुरक्षा की गारंटी नहीं है।
Fixed Maturity fund: फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान म्यूचुअल फंड द्वारा शुरू की गई योजनाएं हैं जो स्पष्ट रूप से परिभाषित कार्यकाल तीन साल के साथ आती हैं. Fixed Maturity fund उनके लिए निवेश का आदर्श विकल्प है. यहां आपको बैंक अकाउंट और फिक्स्ड डिपाजिट से थोड़ा अधिक ब्याज कमाने का मौका मिलता है.
Tax saving: म्यूचुअल फंड टैक्स सेविंग के लिए आज के वक्त में एक अच्छा टूल साबित हो रहे हैं। एक तो म्यूचुअल फंड से टैक्स सेविंग मिलती है साथ ही अच्छा रिटर्न भी मिलता है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम या ELSS में निवेश पर टैक्स छूट प्राप्त किया जा सकता है. ये फंड इक्विटी में निवेश करते हैं और इनमें ग्रोथ या डिविडेंड ऑप्शन चुना जा सकता है
3. Risk based funds: भाई रिस्क तो हर जगह होता हिया और हम सभी को पता है, Business हो या Money investment plan सभी में risk होता है और mutual funds, Share Market plan की तरह होता है, म्यूचुअल फंड में जोखिम का स्तर इस बात पर निर्भर करता है कि वह किसमें निवेश करता है। स्टॉक आमतौर पर बांड की तुलना में जोखिम भरा होता है, इसलिए एक इक्विटी फंड एक निश्चित आय फंड की तुलना में जोखिम भरा होता है। इसके अलावा कुछ विशेष म्यूचुअल फंड कुछ प्रकार के निवेशों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे कि उभरते बाजार, उच्च रिटर्न अर्जित करने की कोशिश करना। और इसी आधार पर इसे 3 भाग में बाटा गया है. Hridaya – Heart in the Vedas
High Risk
Medium Risk
Low Risk
4. Structured Based Funds: Structure-based funds में आने वाले सभी scheme के पास के pre-defined structure होता है और पूरी investment scheme उसी आधार पर काम करता है. मुख्य रूप से structure फण्ड को निम्न भागो में बाटा गया है.
Open Ended
Close Ended
Interval Scheme
5. Characteristics based funds: Mutual fund की सबसे बड़ी खाश बात है की यह किसी Region या किसी field तक सिमित नहीं है. यह National से लेकर इंटरनेशनल तक और agriculture से लेकर real estate तक सभी field और region के लिए मौजूद है. इसके इसी characteristics के आधार पर इस निम्नलिखित भागो में बात गया है. भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्यों के साथ बातचीत की PM मोदी ने
International fund
Global fund
Sector fund
Exchange traded fund
Real Estate fund
म्यूचुअल फंड के फ़ायदे: ऐसे में म्यूचुअल फंड का खासियत है उसमें कैसे टैक्स सेविंग मिलती है, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80 सी के तहत निवेश पर आयकर में छूट का फायदा भी देता है। इसका मतलब है कि ऐसे म्यूचुअल फंड में निवेश पर आप आयकर की छूट ले सकते हैं। म्यूचुअल फंड में सेविंग की बात आते ही सबसे पहले बात होती है रिस्क की। अगर आप अपना पूरा पैसा किसी एक कंपनी में इनवेस्ट कर दें और किसी वजह से वह कंपनी डूब जाए तो आपका सारा पैसा भी डूब जाएगा। शिक्षा का उद्देश्य स्कूल जाकर नंबर लाना ही ना रखें बल्कि अपना टैलेंट पहचानें और वो ही काम करें
ऐसे में म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा यही है कि यहां आपके पैसे को अलग-अलग कंपनियों में लगाया जाता है। सभी म्यूचुअल फंड निवेशक जो हाई, मीडियम या फिर लो रिस्क वाले फंड चूज करते हैं। वे पैसे के रिटर्न को देखते हुए ही इन्हें चुनते हैं। इसका मतलब है कि वे या तो एक ऐसा फंड चुन सकते हैं जहां कम समय में अच्छा रिटर्न मिल जाए। वहीं, दूसरी ओर वे लंबी अवधि को चुनते हैं जहां लंबे समय में प्लानिंग के साथ पैसे को इनवेस्ट किया जा सके।
आपको बता दें कि आप यहां रिस्क को भी अपने हिसाब से मैनेज कर सकते हैं। जैसे यहां तीन कैटेगिरी हाई रिस्क, मीडियम रिस्क और लो रिस्क। जब आप एक म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपके पास दो विकल्प होतेे हैं। इसमें एक ऑप्शन है कि आप रेगुलर फंड में निवेश करें और दूसरा यह है कि आप टैक्स सेवर फंड में निवेश करें। परिश्रमी किसान की बुद्धिमता
म्यूचुअल फंड में कैसे इन्वेस्ट करे: India में बहुत से Sponsors और Asset management companies है जो की तरह-तरह के म्यूच्यूअल fund scheme लाते रहते है. लेकिन किसी भी स्कीम को select करने से पहले और कही पर भी पैसा लगाने से पहले ये बहुत जरुरी की हमें इसके बारे में कम्पलीट जानकारी होना चाहिए.
अगर आप Mutual fund scheme और इसके सभी terms और conditions को नहीं समझते है तो हमारा Investment risk में आ सकता है और हमें benefit होने की वजाय नुकसान हो सकता है. इसलिए पहले आप किसी expert से इसके बारे में समझे उसके बाद बताये गए किसी भी स्कीम के साथ जुड़े. जीवन में सादगी क्यों जरूरी है जानिए क्या हैं इसके फायदे...
L&T mutual fund -Alok Prabhat
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