भगवान के विभिन्न रूपों के स्मरण का दिन है अनंत चतुर्दशी, जानिए 14 अंक का महत्व


 अनंत चतुर्दशी व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। इस त्योहार को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है।यह दिन भगवान विष्णु के कई अवतारों का स्मरण कराता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चततुर्दशी का व्रत रखा जाता है। यह भगवान गणेश के विसर्जन का दिन भी होता है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर को है। पंचांग के अनुसार  भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के 14वें दिन अनंत चतुर्दशी पड़ती है। यह त्योहार उत्सव और भाईचारे की भावना का प्रतीक है। अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद बांह पर एक धागा बांधा जाता है। यह धागा या तो रेशम का या कपास हो सकता है और इसमें 14 गांठे होनी चाहिए। बरसाना में एक नहीं दो राधाओंं के बीच रहते हैं कान्हा, जानिए क्‍या है ये रहस्‍य

क्या है अनंत में बंधी 14 गांठ का राज

अनंत चतुर्दशी तिथि और मुहूर्त साल 2020 में अनंत चतुर्दशी मंगलवार, 1 सितंबर, 2020 को मनाई जाएगी भारत ने पाक को फटकारा, कहा- मसूद अजहर को शरण देना जारी…

 अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त सुबह 05:59 बजे से 09:38 बजे तक।अवधि  03 घंटे 39 मिनट 

Anant Chaturdashi 2019 Date Time Significance Ganesh Visarjan Shubh Muhurat  Puja Vidhi - Anant Chaturdashi 2019: अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त, पूजा  विधि, व्रत कथा और महत्‍व

अनंत चतुर्दशी का महत्व पौराणिक कथाओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के त्योहार की जड़ें महाभारत से जुड़ी हैं। इस दिन को भगवान विष्णु से जुड़े होने के रूप में मनाया जाता है। स्वामी ने 14 लोकों, तल, अटल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भी, भुव, जन, तप, सत्य, मह का निर्माण किया। इनका पालन करने और उनकी रक्षा करने के लिए, वह 14 विभिन्न अवतारों के रूप में इस नश्वर दुनिया में आए, जिसने उन्हें अनंत होने का नाम दिया। इन अवतारों ने एक प्रमुख भूमिका निभाई। इसलिए, अनंत चतुर्दशी के दिन का बहुत महत्व है, क्योंकि आप स्वयं सृष्टि के स्वामी को प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। नवजात शिशु की मालिश कौन से तेल से करें ?

Anant Chaturdashi 2018 Date Time Puja Vidhi, Shubh Muhurat and Anant  Chaudas Vrat Katha

व्रत का महत्व इस दिन मनाया जाने वाला व्रत भी एक प्रमुख महत्व रखता है। यह सब भगवान विष्णु को खुश करने और आनंद व संतोष से भरा एक शाश्वत जीवन पाने के लिए किया जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन उपवास के साथ, यदि कोई भी व्यक्ति विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। यह व्रत धन, प्रचुरता और समृद्धि को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। पर्याप्त धन, खुशी और बच्चों आदि की इच्छा व्यक्ति को नश्वर अस्तित्व में आशीर्वाद पाने के लिए प्रेरित करती है। यह व्रत भारत के कई राज्यों में प्रचलित है। इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं परिवार के सदस्यों द्वारा सुनी जाती हैं। Psychological Autopsy क्‍या होती है, सुशांत से पहले कुछ मामलों में हुआ है इस्‍तेमाल -Alok Nath

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा व विधि - Utpanna Ekadashi Vrat Katha and Vidhi


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