तुलसी: किसी के लिए हेल्थ तो किसी के लिए बनी वेल्थ, पान व चाय के उद्योग में बढ़ी मांग

कोरोना काल में तुलसी की डिमांड में वैश्विक स्तर पर तेजी आई है। हालत यह है कि भारत में ही डिमांड का केवल एक चौथाई उत्पादन कर पा रहे हैं। तुलसी भले ही कुछ लोगों के लिए सेहत का मंत्र हो लेकिन अच्छी बात यह है किसानों के लिए यह 'वेल्थ' साबित हो रही है। मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक यहां तक की वन क्षेत्र में भी किसान तुलसी की खेती कर अपनी अाय बढ़ा रहे हैं।किसानों के साथ उद्योगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सीमैप लगातार अधिक तेल देने वाली किस्मों के साथ आसान कृषि प्रौद्योगिकी विकसित करने में जुटा है।महापुरुषों के कथन क्यों होते हैं प्रभावी, किस कारण से लोग करते हैं अनुसरण 

वहीं उद्योग की मांग को देखते हुए दर्जन भर से अधिक प्रकार की तुलसी की वैरायटी भी तैयार की गईं हैं। खासतौर पर पान व चाय के उद्योग में तुलसी की मांग जबरदस्त बढ़ी है। यही वजह है कि सीमैप अब वन विभाग के साथ वन क्षेत्र में भी तुलसी की खेती को प्रोत्साहित कर रहा है। उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ कि मैं अपने मिर्जापुर के वन क्षेत्र में तुलसी की सिम शिशिर किस्म लगवाई है जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। चीनी वर्चस्व वाली SCO बैठक में शामिल होगा भारत तनाव के बावजूद

Tulsi Health Benefits Not Just Cough Tulsi Leaves Can Also Cure These  Ailments

सीमैप के निदेशक डॉ.प्रबोध कुमार त्रिवेदी बताते हैं कि संस्थान द्वारा तुलसी पर सतत अनुसंधान किया जा रहा है। दो किस्मों से तैयार की गई सिम शिशिर वैरायटी ठंडक में भी आसानी से उगाई जा सकती है। यानी यह पहाड़ी इलाकों के लिए भी मुफीद है। खास बात यह है कि इसमें किसान 250 किलोग्राम तेल प्रति हेक्टेयर प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. त्रिवेदी बताते हैं कि इसकी खेती के लिए वैज्ञानिकों ने मेक्रो एग्रोटेक्नोलॉजी भी विकसित की है जिससे बड़ी आसानी से किसान इसे रोककर साल में तीन कटिंग प्राप्त कर सकते हैं। समय की मांग है कि प्रत्येक व्यक्ति प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण, चिंतन-वंदन की ओर अग्रसर हो

जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक डॉ.सुनीता सिंह भवन बताती हैं कि इन दिनों तुलसी की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई है। आलम यह है कि आयात और निर्यात में एक बहुत बड़ा गैप है। ऐसे समय में किसानों के लिए इसकी खेती एक मुनाफे का सौदा साबित होगा। वहीं मांग बढ़ने से तेल की कीमत भी 600-700 रूपये प्रति किलो के मुकाबले बढ़कर 1600 से 2300 रूपये किलो तक पहुंच गई है। वह बताती हैं कि तुलसी का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधनों, दवाइयों, एरोमा थेरेपी, खाद्य पदार्थ, इत्र के अलावा चाय उद्योग में बहुत ज्यादा किया जाता है। डॉ.धवन ने बताया कि मिर्जापुर में वन विभाग के सहयोग से बड़े पेड़ों के नीचे खाली पड़े स्थानों पर इस की सफल खेती कराई जा रही है। वहीं शिलांग जैसे ठंडे स्थानों पर भी सिम शिशिर बहुत अच्छी उपज दे रही है। महापुरुषों के कथन क्यों होते हैं प्रभावी, किस कारण से लोग करते हैं अनुसरण

benefits of neem tulsi and guava leaves is better than eating millions of  medicines cures skin hair weight loss infection cold cough fever stomach  diseases

ठेके पर खेती डॉ.धवन बताती हैं कि कोशिश यह है कि इंडस्ट्री और किसानों के बीच संबंध स्थापित करा कर ठेके पर खेती कराई जाए इससे किसान सीधे इंडस्ट्री को अपनी उपज और ऑयल दे सकेंगे। एसेंशियल ऑयल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष योगेश दुबे कहते हैं कि इस समय तुलसी की जबरदस्त मांग है। जिस तरह से तेल के दाम बढ़ रहे हैं यह किसानों के लिए जबरदस्त मुनाफे का सौदा साबित होगी। कहती हैं कि यदि कोई इसके बारे में जानकारी चाहता है तो सीमैप से संपर्क कर सकता है। नई शिक्षा नीति में शिक्षक तकनीकी रूप से भी दक्ष हों

मानव शरीर के लिए तुलसी है वरदान, जानिए फायदे - Amazing Health benefits of  Tulsi in Hindi

अलग अलग गुणों वाली वैरायटी तुलसी एंटीऑक्सीडेंट, जरा विरोधी, छाती के संक्रमण में, विशेष रूप से लाभकारी है। इसके अलावा दवाइयों एरोमा थेरेपी खाद्य पदार्थों में भी बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जाता है। सीमैप द्वारा विकसित सिम सुवास में पान में पाया जाने वाला चेविबिटोल होता है। इसके च्यूंगम और फ्लेवर की इंडस्ट्री में जबरदस्त मांग है। इसी तरह से लौंग के फ्लेवर वाली राम तुलसी, लेमन खुशबू वाली सिम ज्योति, सिम आयु, सिम कंचन, सिम स्निग्धा, सिम सुखदा, सिम शिशिर अपने आप में खास हैं। फैजाबाद, सुल्तानपुर, बाराबंकी, मथुरा एवं बुदेंलखंड के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी किसान तुलसी की खेती कर रहे हैं। -Alok Vaidy  नई शिक्षा नीति में शिक्षक तकनीकी रूप से भी दक्ष हों

तुलसी पौधा के लाभ व् औषधीय गुण Tulsi Plant Benefit (Uttarakhand)... -  Uttarakhand Darshan

Post a Comment

0 Comments