योग के फायदे
योग शब्द वेदों, उपनिषदों, गीता एवं पुराणों आदि में अति पुरातन काल से व्यवहृत होता आया है। भारतीय दर्शन में योग एक अति महत्त्वपूर्ण शब्द है। तो आइये जानते है योग के फायदे। आत्मदर्शन एवं समाधि से लेकर कर्मक्षेत्र तक योग का व्यापक व्यवहार हमारे शास्त्रों में हुआ है। योगदर्शन के उपदेष्टा महर्षि पतञ्जलि ‘योग’ शब्द का अर्थ चित्तवृत्ति का निरोध करते हैं। प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा एवं स्मृति ये पञ्चविध वृत्तियाँ जब अभ्यास एवं वैराग्यादि साधनों के द्वारा निरुद्ध हो जाती हैं और (आत्मा) अपने स्वरूप में अवस्थित हो जाता है, तब योग होता है।
योग क्या है? What is Yoga
योग शब्द संस्कृत धातु 'युज' से निकला है। जिसका मतलब है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का रूह से मिलन। योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी जीवन शैली है। हालांकि बहुत से लोग इसे बस योग को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं, जहाँ लोग शरीर को मोडते, मरोड़ते और खींचते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके को अपनाते हैं। यह एक प्रकार भावनात्मक एकीकरण और रहस्यवादी तत्व का स्पर्श लिए हुए एक आध्यात्मिक ऊंचाई है। ये आपको सभी कल्पनाओं से परे की कुछ एक झलक देता है। क्या आप किसी योगासन के बारे में जानना चाहते है
योग के तीन पहलू
योग के मुख्य रूप से तीन पहलू हैं- एक- योग का ज्ञान, दूसरा- अभ्यास तथा तीसरा आचरण पक्ष। योग एक बहुत ही प्राचीन, वैज्ञानिक, व्यावहारिक एक पंथनिरपेक्ष सत्य है। योग विद्या का प्रामाणिक रूप में यथार्थ बोध होना यह बहुत ही आवश्यक है; क्योंकि योग के नाम पर आंशिक आधा अधूरा अल्पज्ञान, मिथ्याज्ञान एवं अप्रामाणिक व अवैज्ञानिक ज्ञान भी प्रचलित हो रहा है। अत योग के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं, संगठनों एवं योग्य व्यक्तियों का यह बहुत बड़ा दायित्व व कर्त्तव्य है कि योग के सन्दर्भ में प्रामाणिक यथार्थ ज्ञान का ही प्रचार-प्रसार करें तथा उसी के अनुरूप योग के अभ्यास अर्थात् योगाभ्यास में एकरूपता होने से वैश्विक स्तर पर योग की विश्वसनीयता, लोकप्रियता एवं प्रामाणिकता बढ़ेगी। योग एक स्वस्थ, समृद्ध, प्रगतिशील, सभ्य, उन्नत भव्य एवं दिव्य जीवन का पथ है।
इसका सम्बन्ध मात्र कुछ यौगिक प्रक्रियाओं एवं अभ्यासों से ही नहीं है, अपितु श्रेष्ठतम दिव्य आचरण या दिव्य जीवन जीना ही योग का अन्तिम ध्येय है। बीमारियों, बुराइयों एवं तनाव आदि से मुक्त स्वस्थ सुखमय एवं शान्तिमय जीवन- यह योग का एक पहलू है। योगी व्यक्ति सब अविद्या, अज्ञान एवं अज्ञानजनित दोषों एवं समस्त दोषपूर्ण प्रवृत्तियों व दुःखों से मुक्त हो जाता है यही निर्वाण, मोक्ष या मुक्ति है। योगी का जब योग साधना एवं सेवा, पुरुषार्थ व परमार्थ, योग व कर्मयोग से शरीर, इन्द्रियां, चित्त व चरित्र शुद्ध हो जाता है और शुद्ध विवेक जागृत हो जाता है तो वह शील, समाधि व प्रज्ञा से युक्त होकर स्वयं में एवं समष्टि में पूर्णता की अनुभूति करता हुआ पूर्ण कृतज्ञतापूर्वक पूर्णज्ञान, पूर्णनिष्ठा एवं पूर्ण पुरुषार्थ के साथ निमित्त मात्र होकर अपने कर्त्तव्य का दिव्यतापूर्वक निर्वहन करता है। योगी का ऐसा दिव्यता युक्त आचरण या दिव्य जीवन ही योग का अन्तिम परिणाम है।
योग से जब मनुष्य का विचार, आहार व व्यवहार शुद्ध हो जायेगा तो संसार में विश्वबन्धुत्व, सहअस्तित्व एवं एकत्व अपने आप स्थापित होगा। हैल्थ, हैपीनेस एवं हर्मनी का माध्यम है योग। स्वास्थ्य, विश्वशान्ति एवं विश्व की समग्र, स्थाई विकेन्द्रित एवं न्यायपूर्ण सात्त्विक समृद्धि का भी एकमात्र साधन है योग। यह योग विद्या ही पराविद्या, ब्रह्मविद्या या अध्यात्मविद्या है। योग के सभी पहलुओं को यथार्थ रूप में समझने अभ्यास करने एवं योगयुक्त आचरण करने की आज के विविध चुनौतीपूर्ण वातावरण में नितान्त आवश्यकता है। हठयोग, क्रियायोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग एवं अष्टाङ्गयोग (राजयोग) का जब यथार्थ ज्ञान, अभ्यास एवं आचरण के स्तर पर मनुष्य के जीवन में घटित होगा, तभी यह मानव समाज एवं विश्व बहुत ही स्वस्थ, सुन्दर सुखशान्तिमय एवं पूर्ण समृद्धिमय होगा।
योगा के लाभ Benefits of Yoga
शरीर के लिए योग के क्या क्या फायदे है आइये जानते है -
शरीर से विषैले तत्वों को बहार निकलने में सहयोग देता है।
शरीर में ऊर्जा का सही प्रवाह निर्देशित करना।
मांसपेशियों में लचक और जोड़ों का बराबर संचालन।
अंग - विन्यास (Posture) और शरीर के सरेखण (alignment) को ठीक करना।
पाचन क्रिया, हार्मोन ग्रंथियों और प्रवाह तन्तुओं को निर्देशित करना।
अंगो प्रत्यंगों को मज़बूत करना, शरीर को तन्दुरुसत रखना और यौवन कायम रखना।
अस्थमा, डायबिटीज, ह्रदय रोगों और कई पुरानी बिमारियों से निज़ात दिलाना और वज़न कम करने में सहायता करना।
योग का शरीर, मन व आत्मा पर प्रभाव
योग का अर्थ है अपनी चेतना (अस्तित्व) का बोध अपने अन्दर निहित शक्तियों को विकसित करके परम चैतन्य आत्मा का साक्षात्कार एवं पूर्ण आनन्द की प्राप्ति। इस यौगिक प्रक्रिया में विविध प्रकार की क्रियाओं का विधान भारतीय ऋषि-मुनियों ने किया है। यहाँ हम मुख्य रूप से अष्टांग योग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि) के अन्तर्गत वर्णित आसन, प्राणायाम एवं ध्यानादि की व्याख्या करेंगे और उसी के सहयोगी हठयोग के षट्कर्म आदि का भी वर्णन यहाँ आपको उपलब्ध होगा। इन सब क्रियाओं से हमारी सुप्त चेतना-शक्ति का विकास होता है।
योग से सुप्त (डेड) तन्तुओं का पुनर्जागरण होता है एवं नये तन्तुओं, कोशिकाओं (सेल्स) का निर्माण होता है। योग की सूक्ष्म क्रियाओं द्वारा हमारे सूक्ष्म स्नायुतत्र को चुस्त किया जाता है, जिससे उनमें ठीक प्रकार से रक्त-संचार होता है और नई शक्ति का विकास होने लगता है। योग से रक्त-संचार पूर्णरूपेण सम्यक् रीति से होने लगता है। शरीरविज्ञान का यह सिद्धान्त है कि शरीर के संकोचन एवं प्रसारण होने से उनकी शक्ति का विकास होता है तथा रोगों की निवृत्ति होती है।
योगासनों से यह प्रक्रिया सहज ही हो जाती है। आसन एवं प्राणायामों के द्वारा शरीर की ग्रन्थियों एवं मांसपेशियों में कर्षण-विकर्षण, आकुञ्चन-प्रसारण तथा शिथिलीकरण की क्रियाओं द्वारा उनका आरोग्य बढ़ता है। रक्त को वहन करने वाली धमनियाँ एवं शिराएँ भी स्वस्थ हो जाती हैं। अत आसन एवं अन्य यौगिक क्रियाओं से पेक्रियाज एक्टिव होकर इन्स्युलिन ठीक मात्रा में बनने लगता है, जिससे डायबिटीज आदि रोग दूर होते हैं।
पाचनतत्र की स्वस्थता पर पूरे शरीर की स्वस्थता निर्भर करती है। सभी बीमारियों का मूल कारण पाचनतत्र की अस्वस्थता है। यहाँ तक कि हृदयरोग (हार्ट-डिजीज) जैसी भयंकर बीमारी का कारण भी पाचनतत्र का अस्वस्थ होना पाया गया है। योग से पाचनतत्र पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है, जिससे सम्पूर्ण शरीर स्वस्थ, हल्का एवं स्फूर्तियुक्त बन जाता है। योग से हृदयरोग जैसी भयंकर बीमारी से भी छुटकारा पाया जा सकता है। फेफड़ों में पूर्ण स्वस्थ वायु का प्रवेश होता है, जिससे फेफड़े स्वस्थ होते हैं तथा दमा, श्वास, एलर्जी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है। जब फेफड़ों में स्वस्थ वायु जाती है, तब उससे हृदय को भी बल मिलता है। यौगिक क्रियाओं से मेद का पाचन होकर शरीर का भार कम होता है तथा शरीर स्वस्थ, सुडौल एवं सुन्दर बनता है।
इतना ही नहीं, इस स्थूल शरीर के साथ-साथ योग सूक्ष्म शरीर एवं मन के लिये भी अनिवार्य है। योग से इन्द्रियों एवं मन का निग्रह होता है, यम-नियमादि अष्टांग योग के अभ्यास से साधक असत् अविद्या के तमस् से हटकर अपने दिव्य स्वरूप ज्योतिर्मय, आनन्दमय, शान्तिमय, परम चैतन्य आत्मा एवं परमात्मा तक पहुँचने में समर्थ हो जाता है।
सांस लेने की तकनीक प्राणायाम और ध्यान
सांस का नियंत्रण और विस्तार करना ही प्राणायाम है। साँस लेने की उचित तकनीकों का अभ्यास रक्त और मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन देने के लिए, अंततः प्राण या महत्वपूर्ण जीवन ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद करता है । प्राणायाम भी विभिन्न योग आसन के साथ साथ चलता जाता है। योग आसन और प्राणायाम का संयोग शरीर और मन के लिए, शुद्धि और आत्म अनुशासन का उच्चतम रूप माना गया है। प्राणायाम तकनीक हमें ध्यान का एक गहरा अनुभव प्राप्त करने हेतु भी तैयार करती है।
योगा के स्वास्थ्य लाभ Internal Health Benefits of Yoga
दर्द सहने की क्षमता शरीर में कहीं भी और कभी भी दर्द हो सकता है। खासकर, जोड़ों में दर्द को सहना मुश्किल हो जाता है। वहीं, जब आप योग करते हैं, तो शुरुआत में इस दर्द को सहने की शारीरिक क्षमता बढ़ने लगती है। साथ ही नियमित अभ्यास के बाद यह दर्द कम होने लगता है।
नींद के लिए योग के फायदे दिनभर काम करने के बाद रात को अच्छी नींद लेना जरूरी है। इससे शरीर को अगले दिन फिर से काम करने के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। पर्याप्त नींद न लेने पर दिनभर बेचैनी, सिरदर्द, आंखों में जलन और तनाव रहता है। चेहरे पर भी रोनक नजर नहीं आती। वहीं, अगर आप नियमित योग करते हैं, तो मन शांत होता है और तनाव से छुटकारा मिलता है, जिससे रात को अच्छी नींद सोने में मदद मिलती है।
ह्रदय रोग से बचाव के लिए योग के फायदे ह्रदय हमारे शरीर का नाजुक हिस्सा है। गलत खानपान, असंतुलित दिनचर्या और तनाव का सीधा असर आपके ह्रदय पर होता है। आगे चलकर ह्रदय से जुड़ी कई बीमारियां हो जाती हैं। इससे बचने का बेहतरीन तरीका योग है। नियमित योग व स्वस्थ खानपान से ह्रदय मजबूत रहता है। जब आप ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए योग करेंगे, तब आपको योग का महत्व आसानी से समझ आएगा।
कब्ज में योग के फायदे यह ऐसी बीमारी है, जो अन्य बीमारियों के होने का कारण बनती है। पाचन तंत्र में समस्या आने पर कब्ज होती है। इसे ठीक करने के लिए दवाइयों से बेहतर योग है। योग के जरिए कब्ज जड़ से खत्म हो सकती है। योग सबसे पहले पाचन तंत्र को ठीक करेगा, जिससे कब्ज अपने आप ठीक हो जाएगी और आप तरोताजा महसूस करेंगे।
कमर दर्द में योग के फायदे आजकल हमारा ज्यादा काम बैठकर होता है। इस वजह से किसी न किसी को कमद दर्द की शिकायत रहती है। अगर आप योग्य प्रशिक्षिक की निगरानी में योग करें, तो रीढ़ की हड्डी में लचक आती है, जिससे किसी भी तरह का दर्द दूर किया जा सकता है।
तनाव कम करने में योग के फायदे तनाव हर किसी के लिए नुकसानदायक है। जो व्यक्ति तनाव में होता है, उसके लिए सामान्य जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है। तनाव से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता योग है। जब आप योग करेंगे, तो नई ऊर्जा से भर जाएंगे। इससे तनाव का कम होना स्वाभाविक है।
शारीरिक क्षमता का बढ़ना गलत तरीके से उठने-बैठने और चलने-फिरने से शरीर की मुद्रा बिगड़ जाती है। इस वजह से शरीर में जगह-जगह दर्द, मांसपेशियों में विकार और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इन समस्याओं से बचने का सही तरीका योग है। नियमित रूप से योग करने से हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत होती हैं, शरीर का आकार बेहतर होता है और शारीरिक क्षमता बेहतर होती है। -Alok Arya
0 Comments