अपनी फसलाें को कीटों और बेसहारा मवेशियों से बचाने के लिए किसान यहां नीलास्त्र और ब्रम्हास्त्र चला रहे हैं। सुनने में यह अटपटा और चौंकाने वाला जरूर है, लेकिन सच है। नीलास्त्र और ब्रम्हास्त्र को किसी आधुनिक प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों ने तकनीकों के सहारे मोटी रकम लगाकर तैयार नहीं किया है। यह तो जिले की एक महिला किसान अकबरपुर ब्लॉक के ग्राम सैदापुर निवासी कांती देवी के दिमाग की सफल उपज है। पूर्णतया प्रकृति पर निर्भर नीलास्त्र और ब्रम्हास्त्र एक घोल है। फिलहाल जनपद स्तर पर इसकी मांग बढ़ी है। लावारिस कुत्ते की शव यात्रा बैंड बाजे के साथ निकाली, रखा तेरहवीं का भोज...
लागत कम और फायदे ज्यादा खेती को कीट, रोग समेत जानवरों से बचाने की चुनौती में यह प्राकृतिक घोल मददगार बना है। वहीं रोग नियंत्रण में रसायन के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव से बचा रहा है। इससे फसल शुद्ध और किसानों की जेब पर पड़ने वाला बोझ भी हल्का हुआ है। श्रीराम पथ यात्रा टूरिस्ट ट्रेन देश की सभी राजधानियों से चलेगी…
पशुओं और कीटों से फसलों को बचाता है घोल कांती देवी बताती हैं कि पशुओं और कीटों से फसलों को बचाने के लिए ग्रामीण महिलाओं को इस अभियान से जोड़ा है। इसमें कीटों से बचाने के लिए 200 लीटर पानी में गाय का गोबर, नीम की पत्ती, धतूरा की पत्ती, पपीते की पत्ती को पीस कर मिलाया जाता है। इसके बाद इसमें बरगद के पेड़ के नीचे की 250 ग्राम मिट्टी डालकर घोल तैयार किया जाता है। वहीं पोषक तत्वों को पूरा करने के लिए आम, पीपल, बरगद, गोबर, गुड़ मिलाकर घोल तैयार किया जाता है। योग के फायदे
कृषि विज्ञान केंद्र पांती के कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामजीत ने बताया कि प्राकृतिक घोल फसलों में नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। गोबर, मिट्टी में अधिकांश ऐसे तत्व मिलते हैं। नीम व धतूरे से सूक्ष्म कीट समाप्त होते है। यदि किसान ऐसे घाेल का फसलों पर प्रयोग करते हैं तो उन्हें कम लागत में अच्छी व आर्गेनिक उत्पादन मिलता है। - उप कृषि निदेशक रामदत्त बागला ने बताया कि कांती देवी को कृषि विभाग ने कृषि सखी नामित किया है। वह क्षेत्र के 10 महिला समूहों में ऐसे उत्पादनों का निर्माण कराती हैं ताकि लोगों को बेहद कम मूल्य पर अच्छा लाभ मिल सके। -Alok Arya HC : विवाह को साबित करने के लिए सिर्फ विवाह प्रमाण पत्र पर्याप्त सबूत नहीं
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