आर्यों का विज्ञान व ए. ओ. ह्यूम की अज्ञानता


आर्यों का विज्ञान व ए. ओ. ह्यूम की अज्ञानता 

कैलास मानसरोवर का दर्शन, भारतीय सीमा से भी हो सकता है

१० आषाढ़ शुदि १९३२ वि. को अपने एक प्रवचन में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा था कि “प्राचीन काल में दरिद्रों के घर में भी विमान थे । उपरिचर नामक राजा सदा हवा में ही फिरा करता था , पहले के लोगों को विमान रचने की कला , विद्या भली प्रकार से विदित थी । पहले के लोग विमान आदि के द्वारा लड़ाई लड़ते थे । मैंने भी एक विमान-रचना का पुस्तक देखा है । भला आप सोचे कि उस व्यवस्था और विज्ञान के सन्मुख आज इस रेलगाड़ी की प्रतिष्ठा ही क्या हो सकती है । ” दान देने वालों को मिलेगी इनकम टैक्स में छूट…

ए. ओ. ह्यूम जिन्होंने बाद में भारतीय कांग्रेस की स्थापना की , उन्होने स्वामी जी का उपहास करते हुए कहा , ‘व्यक्ति का उड़ना गुब्बारों तक ही सीमित रह सकता हैं , यान बनाकर तो केवल सपनों में ही उड़ा जा सकता है । लेकिन जब विमान का आविष्कार हुआ तो ए. ओ. ह्यूम ने बाद में उदयपुर में स्वामी श्रद्धानंद जी ( स्वामी दयानन्द जब देह त्याग चुके थे और स्वामी श्रद्धानंद उनके उत्तराधिकारी समझे जाते थे , इसलिए क्षमा उनसे मांगी गयी ) से अपने उपहास के लिए क्षमा मांगी थी । विदुर नीति (Vidur Niti) प्रमुख श्लोक एवं उनकी व्याख्या

उसी ए० ओ० ह्यूम ने महर्षि जी के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा था कि :- “स्वामी दयानन्द के सिद्धांतों के विषय में कोई मनुष्य कैसी ही सम्मति स्थिर कर ले, परंतु यह सबको मान लेना पड़ेगा कि स्वामी दयानन्द अपने देश के लिए गौरवरूप थे। दयानन्द को खोकर भारत को महान हानि उठानी पड़ी है। वे महान और श्रेष्ठ पुरुष थे।” -आलोक आर्य खुजली के उपाय सभी चर्म रोगों का एक झटके में सफाया कैसे करें ?
साभार :- 
* स्वामी दयानन्द – अनुज जैन , पृष्ठ १४२ 
* ऋषि दयानन्द निर्वाण शताब्दी १९८३ स्मारिका – संपादक क्षितीश वेदलंकार,पृष्ठ- ७३

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