मोक्ष प्राप्ति क्या है इसे कैसे प्राप्त करें
स्वभाव से अल्पज्ञ जीवात्मा अविद्यावश प्रकृतिपाश अर्थात जन्म और मृत्यु के चक्र में फँसता है और कर्मानुसार विभिन्न योनियों (शरीरों ) को धारण करता है। ईश्वर की व्यवस्था में बंधा हुआ जीवन नाना प्रकार की योनियों में तब तक चक्र काटता है, जब तक मुक्त नही हो जाता । जीव अपने पुण्यकर्मों द्वारा जब मनुष्य के शरीर मे आता है तब मोक्ष अर्थात आवागमन के चक्र से छूटने का अवसर प्राप्त करता है। फांसी का जन्म और विकास कब और कैसे हुआ ?
जन्म -मरण के चक्र से एक निश्चित काल तक छुटकारा प्राप्त करने का नाम ‘मोक्ष’ है। मोक्ष की अवधि में जीव परमात्मा के आनंद में निमग्न होकर बिना किसी पर्यन्त अवधि तक जीवों को मुक्ति का आनंद प्राप्त होता है। अतः मोक्ष की अवधि होगी:-
1 चतुर्युगी = 43,20,000 वर्ष
एक सृष्टि की आयु=1000 चतुर्युगी = +4,32,00,00,000 वर्ष
1 प्रलय की आयु =1000 चतुर्युगी = +4,32,00,00,000 वर्ष
एक सृष्टि तथा एक प्रलय की आयु = 8,64,00,00,000 वर्ष
कैलास मानसरोवर का दर्शन, भारतीय सीमा से भी हो सकता है
36,000 वार सृष्टि की उत्पत्ति व प्रलय का समय =8,64,00,00,000×36,000=31,10,40,00,00,00,000 (Three Hundred Eleven Trillion and Forty Billion Years) अर्थात 31 नील 10 खरब 40 अरब वर्ष मोक्ष की समयावधि होती है। सृष्टि की उत्पत्ति कितने वर्ष पहले हुई ?? जीव मानव तन से ही मुक्ति प्राप्त करता है और मोक्ष का आनंद भोगकर सर्वप्रथम मानव तन में ही आता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए ईश्वर की आज्ञा का पालन, धर्म की बृद्धि, योगाभ्यास, परोपकार, सत्यभाषण, पक्षपातरहित न्याय, तप, स्वकर्तव्य पालन एवं इन्द्रिय संयम आदि का निरंतर अभ्यास आदि आवश्यक है । चीन की सफाई सैनिकों के बीच भिड़ंत पर- आक्रामक नजरिए की बात आधारहीन
मुक्ति का मार्ग
जो व्यक्ति संसार के सभी प्राणियों का हित चिन्तन, आर्षग्रंथों का पठन पाठन और विधिवत ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना, उपासना करते हैं तथा विषयासक्ति से बचे रहते हैं-वे ही मुक्ति का आनंद पा सकते हैं। अविद्या से ग्रसित, पक्षपाती,अधर्मी, कुसंगी, दुर्व्यसनी, अन्यायी, मांसाहारी, मादक-पदार्थो जैसे-भांग, गांजा, तम्बाकू, बिड़ी (Biri), सिगरेट (Cigrate), गुटका, स्मैक, शराब (Bear) आदि का सेवन करने वाले, रिश्वतखोर, कामचोर, आलसी, निकम्मे, निठल्ले, कुतर्की, दुराचारी, चरित्रहीन, पाखण्डी, अंधविश्वास, धूर्त, कपटी, मतवादी तथा जड़ की पूजा करने वाले अधर्मियों की मुक्ति नही होती। Alok Aarya/Prabhat BLOG’S यथार्थ भारत जागरण yatharthbharatjagran
महर्षि पतंजलि (Maharishi Patanjali) के अष्टांगयोग का विधिवत पालन करने से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। मुक्ति, अव्याहतगति, परमगति तथा स्वर्ग विशेष के नाम से भी जाना जाता है। -आलोक आर्य
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