फांसी का जन्म और विकास कब और कैसे हुआ ?



फांसी का सम्पूर्ण इतिहास 

फांसी देने के प्रथा कब से चली या कहना बहुत कठिन है। क्योंकि हर जगह जहाँ भी फांसी को हथियार बनाया गया वहां समय अलग-अलग था। फांसी का अर्थ है कि मनुष्य के प्राणों का किसी न किसी प्रकार हरण करना। इसमे कोई भी तरीका चुना जा सकता है जिससे मनुष्य के प्राण लिए जा सके। जैसे -गले मे रस्सी डालकर, कुत्तों से नुचवा कर, या पत्थरों से मार कर किसी भी रूप में मनुष्यों को फांसी दी जा सकती है। यह बड़ा ही चिंताजनक विषय भी है जिस पर यूरोप भाषाओ में बहुत सी पुस्तकें लिखी जा चुकी है। विदुर नीति (Vidur Niti) प्रमुख श्लोक एवं उनकी व्याख्या

प्राचीन काल मे दण्ड देते समय लोगों में एक धारणा होती थी कि जब तक मनुष्य स्वयं अपना अपराध स्वीकार न कर ले ,जब तक न ही वह अपराधी है और न ही उसे दण्ड दिया जाएगा।  ज्यादा संदेहजनक व्यक्तियों को इस प्रकार के भिन्न-भिन्न कष्ट दिए जाते थे। इस दौरान उनकी मृत्यु भी हो जाती थी। फांसी की रस्म चलने के बाद से भिन्न-भिन्न समयों में भिन्न-भिन्न यंत्र होते आए हैं। इतिहास के मुताबिक अब तक 600 प्रकार के फांसी यंत्र अविष्कृत हुए है। जिनमे बहुत से यंत्र विचित्र प्रकार के हैं। वैदिक मंत्रों से मिल सकती है राहत… अमेरिका ने भी माना

फांसी देने के प्रयोग में लाए जाने वाले यंत्र 

1 अंग्रेजी हुकुमत में फांसी देने की प्रथा यह थी कि अपराधी को फांसी पर लटका दिया जाता था और  जब वह अधमरा हो जाता तो उसे उतार कर ज़मीन पर लिटा दिया जाता था। उस समय उसका सिर औरत की जंघा पर रख दिया जाता था। जिससे अपराधी को कष्ट में भी शांति मिले, तब उसका पेट चीरकर उसकी आतें निकाल ली जाती थी। SBI के जरिए प्री-अप्रुव्ड पर्सनल लोन देने की तैयारी में YONO App

2 इंग्लैंड में अपराधी को लोहे के तार से बांध देते थे और मरने के लिए छोड़ देते थे। इस प्रथा का नाम लोगो ने Scavenger’s daughter रख दिया था। 

3 फंदे  के तरीकों में “रशिया की गांठ” (Russian Knont) एक प्रसिद्ध तरीका है। जिसमें एक चमड़े के चाबुक में एक ही गाँठ रहती है। चमड़े को पानी में भिगोकर और फिर सुखाकर कड़ा बना लिया जाता है। इस चाबुक से अपराधी की पीठ को उधेड़ दिया जाता है। जिससे उसकी शीघ्र ही मृत्यु हो जाती है। 

4 दण्ड का सबसे आसान तरीका है पानी में डुबोकर मारना। प्राचीन काल में खुंखार अपराधियों को पानी के कड़ाह में डाल कर मार दिया जाता था। पेट की गैस का आयुर्वेदिक दवा से रामबाण इलाज कैसे करें ?

5 फांसी के एक तरीके में  अपराधी के गले के नीचे तक एक टीप (Funnel) घुसेड़ दिया जाता था। इसमें अपराधी के पेट में अधिक मात्रा में पानी डाल दिया जाता था जिससे उसकी मौके पर मौत हो जाती थी। 

6 प्रायः स्त्रियों को भी “Ducking Stool” नाम का यंत्र फांसी देने के काम आता था। जिसमे अपराधी को कुर्सी से बांधकर पानी में डुबाते ओर निकालते फिर डुबोने के समय को बढ़ाकर उसे जल समाधि बनाने के लिए पानी में ही छोड़ देते जिससे दम फूलने पर अपराधी मर जाता।     

7 अपराधी के प्राण हरण करने के लिए अग्नि भी प्रयोग में लाई जाती थी। इसके अंतर्गत अग्नि में या इसपर गरम किये हुए पानी या तेल के कड़ाह में अपराधी को डाल देने से शीघ्र ही मर जाता ।  

फांसी देने के क्रूर तरीके 

पत्थरदिल वाले अधिकारियों  को ये सहन नहीं हुआ कि अपराधी अपने प्राण इतनी आसानी से गवाए इसलिए उन्होंने कई तरीकों से अविष्कार किए जिनमे अपराधियों की तकलीफ बढ़ जाए। 

1 इसमे अपराधी के हाथ-पैर बांधकर उसे भालों की नोंक पर उठाकर आग में धीरे-धीरे झुलसाया जाता था।                                         
2 कभी-कभी लोहे के पहियों में अपराधी को बांधकर पहिये के नीचे आग लगा देते थे,  और पहियों को चारों तरफ घुमाते जिससे प्राण धीरे-धीरे कष्ट से निकले । बंग भंग विरोधी आन्दोनल और नाकाम अंग्रेज

3 में एक सीज़र के विषय में कहा है कि वे अपराधियों को मोम से लपेटवा देते थे और रात में उनमे आग लगवा देते थे, जिससे उनका राज-भवन रात में प्रकाशित होता था। यहां सच्चाई है या नही लेकिन एक पुराने चित्र में यह बात दिखलाई गई हैं। 

4 चर्खी के प्रत्येक पहियों में तेज धारदार छुरियां निकलती रहती हैं। और इसमें अपराधी को खड़ा कर देते थे। जिससे ये छुरियां अपराधी के शरीर को क्षत-विक्षत कर देती। इस यंत्र से अपराधी जल्द ही मर जाता लेकिन तकलीफ बहुत ज्यादा होती थी। 

5 ‘क्रॉस’ पर लटका कर फांसी देने का तरीका बहुत पुराना है। इसमें अपराधी के दोनों हाथो को साइड वाली जगहों पर बांध कर उसमे कील गाड़ दी जाती थी और इसी प्रकार पैरों में भी कील गाड़ कर बांध दिया जाता  था जिससे अपराधी के निरंतर वाले खून से उसकी शीघ्र मौत हो जाती थी। और ईसाई के ईशा मसीह को भी इसी यंत्र पर किलों से गाड़कर मौत के घाट उतारा गया  था। 

6 ‘मृत्यु-सेज’ नामक दण्ड विधान बढ़ा दारुण है। जिसमे एक तख्ते पर किले जड़ी रहती है। उसी पर अपराधी को सुलाकर बांध देते है और शिकंजे से इस प्रकार कसते है कि अपराधी के शरीर में कीलें गड़ जाए। इसमे  अपराधी असहाय कष्ट भोगकर मर जाता हैं।  10 बातें हमेशा ध्यान रखें ATM से पैसा निकालते वक्त

7 एक तरीक़े में तेज कील लगे तख्ते पर खड़ा कराकर कोड़े लगाते थे।     

8 काबुल में अब तक फांसी के पिंजड़े का प्रयोग किया जाता है इस पिंजड़े में अपराधी को बंद कर देते  है और धूप में रख देते हैं या किसी ऊँचे मकान या पेड़ पर टांग देते हैं। इसमे अपराधी बिना अन्न-जल और असह्य गर्मी के कारण अपराधी कुछ ही दिनों में मार जाता है। 

9 दीवार में चुनवाना , ऐसे हिंसक पशुओं के पिंजड़े में छोड़ देना जो कई दिनों से भूखे हो, पत्थर से मरवाना, आदि बहुत प्रकार के तरीके है फांसी देने के।                                 

10 आजकल भारतीय जेलों में  बिजली से फांसी देने के तरीके का भी अविष्कार हो चुका है। इसमें अपराधी को एक कुर्सी पर बैठा देते है और उसका संबंध बिजली पैदा करने वाली मशीन से करा देते है। सेकंड में काम तमाम हो जाता है। मैंगो बाबा और बागवान मित्र आम के लिए ‘आरोग्य सेतु’ होंगे

आजकल ऐसे लोग आगे आये है जिनका कहना है कि जब मनुष्य, स्वयं मनुष्य की सृष्टि नही कर सकता तो उसे किसी का प्राण-हरण करने का क्या अधिकार है? इसलिए इस प्रथा को एकदम रोक देना चाहिए । ईश्वर अधिकारी वर्गों को ऐसी सुमति दें कि संसार से फांसी का लोप हो जाये या फांसी जैसे क्रूर यंत्र को इस संसार से विलुप्त कर दिया जाए। -आलोक

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