कांग्रेस की स्थापना का सच Congress establishment truth


कांग्रेस की स्थापना का सच 
महर्षि दयानन्द द्वारा प्रबल राष्ट्रवादी विचारों से प्रबुद्ध जन मानस को बचाने के लिए मि० हयूम ने सन १८८५ ई० में बंबई नगर में कांग्रेस की स्थापना की । जिस समय कांग्रेस की सभाओं का प्रारम्भ “गॉड सेव द किंग” से तथा अन्त ‘ब्रिटिश राष्ट्र दुनियां में ईमानदार राष्ट्र है’ के नारे से होता था उसी समय महर्षि दयानन्द के द्वारा भेजे गये उनके परम शिष्य पंडित श्याम जी कृष्ण वर्मा लंदन स्थित इंडिया हाउस में अपने शिष्यो की बैठक की शुरुवात मराठी गीत “राजे घरात शिरला तमामी मनियला अर्थात घर में घुसे हुए चोर को हम राजा मानते है “, से करते थे और बैठक का अन्त —“ब्रिटिश हुकूमत संसार में सब से बेईमान और दगाबाज हुकूमत है” से करते थे ।खुजली के उपाय सभी चर्म रोगों का एक झटके में सफाया कैसे करें ?

डा० मजूमदार ने लिखा है—“आर्यसमाज आरंभ से ही उग्रवादी सम्प्रदाय था , उसका मुख्य स्त्रोत तीव्र राष्ट्रियता था।” इतिहासकारों के मत में क्रांतिकारी युवकों में तो 90% आर्यसमाजी थे ही बल्कि  बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय और गोपालकृष्ण गोखले, जिन्होने हमारे राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया, आर्यसमाजी थे । ….. कांग्रेस में उग्रवादी भावना के आरम्भ होने का एक कारण हिन्दू धर्म की भावना थी और इसमें सन्देह नहीं की आर्यसमाज ने उग्र भावना के निर्माण में सहयोग प्रदान किया था । HC आरोग्य सेतु ऐप की अनिवार्यता के खिलाफ याचिका, इनकार…

यहाँ आपको बताना आवश्यक है कि महर्षि दयानन्द जी को मारने का मुख्य षड्यंत्र तो अंग्रेज़ो ने किया। उन्हें डर था कि महर्षि दयानन्द के शिष्य 1857 जैसी  क्रांति को करने की अप्रत्यक्ष रूप तैयारी कर रहे है। इसी कारण उन्हें मारने का षड्यंत्र मुस्लिम डाक्टर की सहायता से अंग्रेजों ने रचा था। जिसमें रसोईया व नाचने-गाने वाली नन्ही को भी शामिल किया गया था। वेद भाष्य कौन से है और किस भाष्यकार के उत्तम भाष्य है ? भारत राष्ट्र का दुर्भाग्य था कि यह षड्यंत्र सफल हुआ। जो भी हो आर्यों की वैदिक विचारधारा को बढ्ने से रोकने के लिए एक विकल्प के तौर पर अंग्रेजों ने कांग्रेस की स्थापना की थी। अत: हम सभी को इतिहास से सबक लेकर आज भी कुछ तथाकथित सेकुलरवादी एक राष्ट्रवादी पार्टी को हराने के लिए विकल्प बनाने के प्रयास पूरे विश्व के सहयोग से कर रहे है, उन्हें भगाना चाहिए व बुद्धि पूर्वक विचार करके ही कोई राजनीतिक मन बनाना चाहिए। -आलोक प्रभात  बड़ा मंगल क्यों मनाया जाता है और क्या है इसका ऐतिहासिक महत्व

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