ये मूर्धान: क्षितीनामदब्धास: स्वयशस: ।
व्रता रक्षन्ते अद्रुह: ॥ – (ऋ० ८ । ६७ । १३)
शब्दार्थ :- (ये) जो लोग (अदब्धास:) अहिंस्य , न दबनेवाले (स्वयशस:) स्वयशवाले , स्वयं यश उपार्जन करने वाले (अद्रुह:) द्रोह रहित होते हैं और (व्रता) अपने व्रतों की (रक्षन्ते) रक्षा करते हैं वे (क्षितीनाम्) मनुष्यों में (मूर्धान:) शिरोमणि होते हैं । वेद भाष्य कौन से है और किस भाष्यकार के उत्तम भाष्य है ?
भावार्थ :- यदि आप मनुष्यों में शिरोमणि बनना हैं तो मंत्र में वर्णित चार गुणों को अपने जीवन में लाइए ।
१. अदब्धास: – आप अदम्य बनिए । किसी से न दबिए । विघ्न और बाधाओं से घबराकर हथियार मत डाल दीजिये । कितना ही भीषण विरोध , कैसी ही कैसी ही प्रतिकूल परिस्थिति हो , आप दबिए मत । जब संसार की शक्ति आपको दबाना चाहें तो आप गेंद की भांति ऊपर उछलिए । विदुर नीति (Vidur Niti) प्रमुख श्लोक एवं उनकी व्याख्या
२. स्वयशस: – अपने यश से यशस्वी बनिए । अपने पूर्वजों बाप-दादा के यश पर निर्भर मत रहिए । स्वयं महान बनिए । ऐसे कार्य कीजिये जिससे संसार में आपका नाम व यश हो ।
३. अद्रुह: – द्रोहरहित बनिए । किसी से वैर मत कीजिये । किसी को हानि मत पहुंचाइए । किसी के विषय में बुरा चिंतन मत कीजिये । किसी के प्रति ईर्ष्या और वैर-विरोध की भावनाएं मत रखिए । द्रोह को त्यागकर सबके साथ प्रेम कीजिये । HC के फैसले ने दी योगी सरकार को शिक्षकों की सबसे बड़ी भर्ती में बड़ी राहत
४. अपने व्रतों का पालन कीजिए । मर्यादाओं का उल्लंघन मत कीजिए । आपके जीवन के जो व्रत (लक्ष्य) है उन पर द्रढ़ता से आचरण कीजिए । आप निश्चित रूप से विश्वशिरोमणि बनेंगें । थल सेना प्रमुख बोले, भूभाग में अनिश्चितताओं को दूर करने की जरूरत
इस प्रकार आर्य(श्रेष्ठ) मनुष्य वेदों के द्वारा बताए इन गुणों को अपनाकर मनुष्यों में शिरोमणि बन सकते है। इनहीं वैदिक शिक्षाओं के कारण हमारा आर्यावर्त राष्ट्र विश्वगुरु व सारी धरती पर शिरोमणि रहा है वो भी कुछ सौ साल नहीं बल्कि लगभग 2 अरब साल तक हम आर्यों(हिंदुओं) ने धरती पर पूर्ण धर्मयुक्त, शांतिपूर्ण, सुखदायी शासन किया है। अत: हे आर्यों(हिंदुओं) अपनी वेद की आज्ञाओं को जानकार फिर से सारे विश्व में ईश्वरीय ज्ञान को प्रचारित-प्रसारित कर दो। - आलोक आर्य
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