चोर और राजा का प्रजा पर दुराचार


चोर और राजा की प्रमाणिकता का फल 
महाराष्ट्र Maharastra  के संत, महात्मा एवं कवि नामदेव महाराज Naamdev Maharaj  एक बार घूमते  हुए किसी गावँ में पहुँचे। रात्रि का समय था। सामने से एक चोर (Thief) आ रहा था। नामदेव महाराज Naamdev Maharaj को देखकर वह ठिठरा और घबराता आगे बढ़ गया। नामदेव महाराज Naamdev Maharaj  समझ गए कि वह चोर (Thief) है और कतरा कर भाग रहा है । उन्होंने उसे रोका और चोरी न करने का उपदेश देने लगे। तभी चोर तपाक से बोला-“मैं यह धन्धा छोड़ दूं तो मेरे बाल-बच्चों का पेट कौन भरेगा?” UN ने की सराहना भारत की ओर से फलस्तीनी शरणार्थियों को आर्थिक मदद की

नामदेव जी ने कहा-“ठीक है, तुम चोरी का धन्धा चालू रखो, परंतु मेरी एक बात मानो।” “कौन-सी बात?” “आज से तुम सच (True) बोलने का नियम करो।” नामदेव जी की बात सुनकर पहले तो चोर आनाकानी करने लगा, परन्तु दूसरा कोई मार्ग न देख उसने ‘हाँ’ कर दी। आधी रात को चोरी करने निकला । मार्ग में वेश बदल कर घूमते हुए राजा Raja उसे मिल गया । राजा ने पूछा-“राम-राम भाई, कहाँ चले? ” चोर ने कहा-“चोरी करने”। ऐसा स्पष्ट उत्तर सुनकर राजा को बहुत आश्चर्य हुआ। चोर भी विवश था। उसने नामदेव जी को सच बोलने का वचन जो दिया था। राजा ने सोचा-क्यों न इसकी परीक्षा लूँ?अभिमन्यु की चक्रव्यूह रचना का पर्दाफास

राजा ने चोर से कहाँ-“अच्छा हुआ तो मिल गए । मैं भी चोर हूँ। राजमहल Rajmahal  में चोरी करने जा रहा हूँ। चलो मेरे साथ, मैं तुम्हे अंदर जाने का गुप्त मार्ग दिखाता हूँ। तुम अंदर जाकर राजकोष के पास वाले कमरे में रखे सन्दूक में से जो माल मिले वह ले आओ। उसमें से आधा तुम्हारा व आधा मेरा होगा।”  SC ने अर्णब गोस्वामी केस में जांच CBI को सौंपने से किया इनकार

आप पढ़ रहे है चोर और राजा कुछ सोचकर चोर राजा के साथ चल दिया। महल के अन्दर जैसे राजा ने बताया था, उसे सन्दूक में तीन हीरे Three Diamond  मिले। महल के अन्दर जैसे राजा ने बताया था, उसे सन्दूक में (तीन हीरे Three Diamond) मिले। वह कुछ देर सोचता रहा कु इन तीन हीरों को आधा-आधा कैसे किया जाएगा? उसने तीनो उठा लिये। दो आपने पास रखे और एक साथी को देने का विचार किया। उसने सोचा- उसको क्या पता कि इस सन्दूक में कितने हीरे हैं। पूछेगा तो कह दूंगा कि दो ही थे। परंतु उसी समय उसी समय उसकी आंखों के सामने नामदेव महाराज की छवि घूम गयी। उसे सच बोलने का स्मरण आ गया। अब क्या करे ? चुपके से उसने एक हीरा सन्दूक में  रख दिया। बाहर आकर उसने एक हीरा साथी को दे दिया और स्वयं लेकर चला गया। महल में आकर राजा ने सन्दूक खोला तो उसमें एक हीरा (One Diamond) ज्यों का त्यों रखा मिला।Maharishi Dayanand Saraswati (महर्षि दयानन्द सरस्वती ) का मृत्यु रहस्य

दूसरे दिन राजा ने आरक्षी प्रधान Mantri को हीरे की चोरी की बात बताई और चोर पकड़कर लाने को कहा। प्रधान ने कई चोर पकड़कर राजा के सामने खड़े का दिए। रात वाले चोर को देखकर राजा को प्रसन्नता हुई। उसकी ओर देखकर राजा ने कहा-“कल रात गुप्त मार्ग से आकर राजमहल से किसी ने हीरे चुराए हैं। चुपचाप चोर आगे आ जाये नहीं तक …..” सब चुप थे। राजा को क्रोध आया। वह कुछ ऊँचे स्वर में चिल्लाया-“सच -सकब बताओ, चोरी किसने की?”   आप पढ़ रहे है चोर और मंत्रीपढ़ रहे है चोर और राजा की कहानी चोर को नामदेव महाराज Naamdev Maharaj को दिया वचन स्मरण आया। वह बोला-“महाराज, मैंने चोरी की है।” “तुमने?””जी हाँ।” चोर ने उत्तर दिया। भारत की धरती पर सुपर साइक्‍लोन 21 वर्षों के बाद !

राजा ने आरक्षी प्रधान Mantri से कहा-“सन्दूक ले आओ।” प्रधान ने जब सन्दूक खोला तो उसे एक हीरा मिला। उसका मन ललचाया तो उसने सोचा-चोरी हुई ही है, चोर ने हाँ भर ली है, फिर क्यों न यह हीरा में लें लूँ? उसने ऐसा ही किया और खाली सन्दूक राजा के सामने ले जाकर रख दिया। राजा आरक्षी प्रधान का दुराचरण समझ गया। उसने चोर से कहा-“कल रात की पूरी घाटना सुनाओ।” चोर ने घटना सुना दी और राजा के सामने हीरा रख दिया। उसी समय राजा ने अपने पास का हीरा रखते हुए आरक्षी प्रधान से कहा-“अब अपने पास का हीरा तुम निकालो।” प्रधान ने घबराते हुए हीरा रख दिया। भगत सिंह का नामकरण बिना किसी पंडित के हुआ था ?

आप पढ़ रहे है चोर और राजा का प्रजा के प्रति अत्याचार राजा ने चोर से कहा-“मुझे तुम जैसा सत्यनिष्ठ ओर सत्यव्रती मंत्री चाहिए।” तभी चोर राजा के पैरों पर गिरता हुआ कहने लगा-“जिनकी एक ही बात मानने पर मुझे यह पद मिल गया, यदि उनकी हर बात सुनू तो संभवतः मुझे भगवान ही मिल जाये।” वह सीधा नामदेव के पास पहुंचा और उनका शिष्य बन गया।   अगर आपको चोर और राजा की प्रमाणिकता की कहानी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें | -Alok Prabhat

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