ईश्वर God में दृढ़ विश्वास से रक्षा
ईश्वर God में दृढ़ विश्वास से रक्षा कैसे ? एक राजा का मंत्री ईश्वर God में द्रढ़ विश्वास रखता था। उसका विश्वास था की ईश्वर God जो कुछ करता है वह अच्छा ही करता है। ‘किन्तु उसकी इस आस्था का न तो राजा और न दरबारी समर्थन करते थे। उनका स्वार्थपूर्ण और सकीर्ण विचार था की ईश्वर God/Ishwar जो सुख देता है वह तो अच्छा करता है किन्तु जो दुःख देता है वह अच्छा नहीं करता । मंत्री उनकी इस बात को सच्ची आस्था नहीं मानता था क्योंकि यह तो केवल स्वार्थ की मान्यता थी । छत्तीसगढ़ में भगवान राम से जुड़े स्थान पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहे
एक दिन मंत्री को लेकर राजा शिकार के लिए वन में गया । किसी जंगली पशु पर प्रहार करते हुए तलवार राजा के दुसरे हाथ की ऊँगली पर लगी और उंगली कट गयी । मंत्री ने तुरंत मरहम-पट्टी की । दुखित राजा ने मंत्री से कहा-‘मंत्री! देखो हमारी उंगली कट गई और पीड़ा भी सहन करनी पड़ रही है । ईश्वर God ने यह अच्छा नहीं किया ‘।बवासीर का अचूक औषधियों से सम्पूर्ण इलाज
मंत्री ने हाथ जोड़कर कहा-; महाराज, क्षमा करें । मेरा तो द्रढ़ विश्वास है की ईश्वर God हो करता है, वह अच्छा ही होता है।‘ पीड़ा से दुखी राजा को क्रोध आ गया। उसने मंत्री को फटकारते हुए कहा- मेरी तो उंगली चली गयी और तुम्हे यह काम अच्छा लग रहा है। इसका मतलब तुम राजभगत नहीं, राजद्रोही हो। मेरी आँखों के सामने से तुरंत चले जाओ वर्ना मैं तुम्हारी गर्दन Neck उड़ा दूंगा’। बिजनेस के लिए सरकार की इन तीन बड़ी स्कीमों से कैसे और कितना मिलता है लोन
राजा के द्वारा फटकार हुआ मंत्री तुरंत वापस अपने घर लौट आया।
राजा कुछ देर विश्राम करके अपनी राजधानी की और चला। लौटते हुए वन में एक स्थान पर राजा को कुछ जंगली लोगो ने घेरकर पकड़ लिया। उस राज्य में देवी-देवताओं की पूजा के लिए बलिप्रथा जैसी क्रूर प्रथा प्रचलित थी। राजा को पकड़कर वे मंदिर के पुजारी के पास ले गए और कहा की ‘पुजारी जी, आज बहुत सुन्दर, हष्ट-पुष्ट व्यक्ति हमें घूमता मिला है। इस बली को पाकर देवी प्रशन्न हो जाएगी । और हम सबकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी । राजा ने उनको बहुत समझाया की मैं पास के देश का राजा हूँ किन्तु देवी भगतो ने उसकी एक न सुनी। पैरंट्स देते हैं साथ तो बच्चे चढ़ते जाते हैं जीवन में तरक्की की सीढ़ियां, बनाते रिकॉर्ड
पुजारी ने युवा व्यक्ति की तरफ ध्यान से देखा और मंदिर के सेवको से कहाँ की ‘ठीक है, बहुत उत्तम बली है। इसको बली के लिए नहला-सजा कर तैयार किया जाए। मंदिर के सेवक पुजारी पंडित की आज्ञानुसार उसको पकड़कर स्नानघर में ले गए ओर बली के लिए नहलाने लगे । उन्होंने देखा की इसके हाथ की एक ऊँगली कटी है। सेवको ने पुजारी को जानकारी दी। पुजारी ने कहा –‘अंग भंग की बली देना धर्मशास्त्र के विरुद्ध है इसलिए इसको छोड़ दो। पुजारी के आदेश पर राजा को छोड़ दिया गया। जान बचने पर उसने ईश्वर God का धन्यवाद किया ओर उसे मंत्री का वह वाक्य स्मरण हो आया कि ‘ईश्वर God जो कुछ करता है वह अच्छा ही करता है।‘ उसे मंत्री को फटकार कर भगा देने के अपने व्यवहार पर भी खेद अनुभव हुआ। PF अकाउंट का बैलेंस इन चार तरीकों से घर बैठे जाना जा सकता है
जान बचने पर वह अपनी राजधानी लौटा। सीधे वह दरबार में पहुंचा और सिंहासन पर बैठकर उसने मंत्री को बुलवाया। मंत्री घबरा रहा था कि शायद अभी तक राजा मेरी कही बात से रुष्ट है और वे तुझे दण्डित करेंगे। मंत्री का भय तब दूर हो गया जब दरबार में पहुँचने पर राजा ने उसका प्रसन्नता के साथ स्वागत किया। वेदों में बताए देवता God described by Vedas
राजा ने उसे अपने साथ बीती सारी घटना कह सुनाई और कहा कि मुझे भी आज विश्वास हो गया है कि “ईश्वर God जो कुछ करता है वह अच्छा ही करता है।“ बात को आगे बढ़ाते हुए राजा ने मंत्री से प्रश्न किया– मंत्री जी! मेरे साथ ईश्वर God ने अच्छा किया, यह ठीक ही है किन्तु आपको मैंने अपमानित कर फटकार कर भगा दिया और नौकरी से निकाल दिया, यह आपके साथ ईश्वर God ने क्या अच्छा किया ? “यह भी अच्छा ही किया महाराज ! मंत्री ने दृढ़ आस्था के साथ कहा। 3 नियमों का पालन करें दुबलेपन से हैं परेशान, तो रोजाना
“परन्तु कैसे ?” “वह इस प्रकार अच्छा किया कि यदि आप मुझे न भगाते तो मैं आपके साथ रहता। हम दोनों पकड़े जाते। आप तो अंग-भंग के कारण छुट जाते और मुझे बली पर चढ़ा दिया जाता।” मंत्री का उत्तर सुनकर राजा संतुष्ट हो गया और उसे अनुभव हुए कि यह भी अच्छा ही हुआ। उस दिन से राजा कि ईश्वर God के प्रति दृढ़ आस्था हो गयी और वह ईश्वर God की प्रेरणा से परम धार्मिक बन गया। Hindu Right To Propagate Religion
शिक्षा :- संसार सुखों और दुखों का घर है। कर्म फल के अनुसार मनुष्य को सुख-दुःख प्राप्त होते रहते है। मनुष्य का स्वभाव है कि सुख मिलने पर सुखी होता है और दुःख मिलने पर दुखी। यदि भगवान God की न्याय व्यवस्था में विश्वास कर दुःख को भी सहज भाव से स्वीकार कर ले तो उसकी पीड़ा की अनुभूति कम हो जाती है और दूसरा लाभ यह होता है कि वह बुरे कर्मों से बचा रहता है। बुरे कर्म न होने से दुःख रूप फल भी नहीं मिलता। ईश्वर God में सच्ची आस्था से मनुष्य का जीवन सहज, पवित्र, मानवीय और नैतिक बना रहता है । -Alok Nath
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