ताजमहल का कलश 466 किलोग्राम सोने का था , तांबे में बदल गया ये कैसे, कौन ले गया वो सोना?

 

मुगल काल में शाहजहां के शासन काल को स्वर्ण युग कहा जाता है। शाहजहां ने सोने का तख्त-ए-ताउस (मयूर सिंहासन) बनवाया था जिसमें कोहिनूर समेत करोड़ों रुपये के जवाहरात जड़े हुए थे। इसे 1739 में दिल्ली के लाल किले से नादिरशाह लूटकर ले गया था। शाहजहां ने ताज के गुंबद पर लगा कलश भी सोने से बनवाया था। इसमें 466 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ था। वर्ष 1810 में इसे उतरवाकर अंग्रेज अधिकारी जोसेफ टेलर ने सोने की पॉलिश किया हुआ तांबे का कलश लगवा दिया। यह कलश अब तक तीन बार बदला जा चुका है। इतिहास में सोने की चिडि़या कहे जाने वाले हिंदुस्‍तान को अगर लूटा न गया होता तो आज का भारत हकीकत में मालामाल होता। पाक गिलगित-बाल्टिस्तान की स्‍थ‍िति बदलने की कोशिश ना करे- भारत

इतिहासविद राजकिशोर राजे ने अपनी किताब 'तवारीख-ए-आगरा' में ताजमहल के कलश को तीन बार बदले जाने का पूरा जिक्र किया है। राजे लिखते हैं कि ताजमहल का कलश 40 हजार तोले (466 किलो) सोने का बना था। यह सोना शाही खजाने से दिया गया था। लाहौर से बुलवाए गए काजिम खान की देखरेख में यह कलश तैयार हुआ था। इसके शीर्ष पर चंद्रमा और कलश बने हैं। सोने के इस कलश को ब्रिटिश अधिकारी जोसेफ टेलर ने वर्ष 1810 में उतरवा दिया था। उसकी जगह सोने की पॉलिश किया हुआ तांबे का बना कलश लगाया गया था। Family Planning : छोटे परिवार की अलख जगाएं, समाज में खुशहाली लाए

इस कलश को इसके बाद वर्ष 1876 अौर 1940 में बदला गया। मेहमानखाना के सामने चमेली फर्श पर ताजमहल के कलश की आकृति वर्ष 1888 में नाथूराम द्वारा अंग्रेज पुरातत्ववेत्ताओं के दिशा-निर्देशों पर बनाई गई थी। इसे इसलिए बनवाया गया था, जिससे कि भविष्य में कलश की नापजोख में किसी तरह की परेशानी नहीं हो। ताजमहल के गुंबद पर वर्तमान में लगे हुए कलश की ऊंचाई 9.29 मीटर है। डी. दयालन ने अपनी किताब 'ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन' में इसकी जानकारी दी है। लैब में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की जांच करते चिकित्‍सक। भारत बोला सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में, आतंकवाद मिटाए बगैर सार्क क्षेत्र में शांति नहीं

आज करोड़ों में होती कीमत सोने के दामों में आजकल उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। आगरा में बुधवार दोपहर सोने के दाम 52721 रुपये प्रति 10 ग्राम रहे। ताजमहल का सोने से बनाया गया कलश अगर बदला नहीं गया होता तो अाज उसकी कीमत साेने के बाजार मूल्य के हिसाब से 245 करोड़ रुपये से अधिक होती। हालांकि, पुरातात्विक महत्व का होने से उसका मूल्य कहीं अधिक होता। आगरा-मथुरा हाईवे पर एसआरके मॉल। लॉकडाउन शुरू होने से लेकर अब तक यहां मल्‍टीप्‍लेक्‍स नहीं खोला गया है। समलैंगिक शादी को भारतीय समाज, कानून व मूल्य नहीं देते इजाजत

होनी है सफाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रसायन शाखा जब ताजमहल के गुंबद पर मडपैक कर उसे साफ करेगी तो कलश की भी केमिकल क्लीनिंग की जाएगी। इससे गंदा नजर आने वाला कलश चमक उठेगा। पूर्व में ताजमहल की मीनारों पर मडपैक के दौरान उन पर लगे छोटे-छोटे कलश साफ किए जा चुके हैं। -Alok Arya

Post a Comment

0 Comments