आर्ष ज्ञान के स्त्रोत Arsh Knowledge Sources

 

आर्ष ज्ञान के स्त्रोत(Arsh knowledge sources)  ओवरी में न बने सिस्‍ट, जीवनशैली में करना होगा कुछ बदलाव

शिष्य – गुरु जी वेद(veda) कितने हैं ?

गुरु – वेद चार हैं । 

शिष्य – कौन – कौन से ? 

गुरु – ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद । 

शिष्य – वेदांग कौन – कौन से हैं ? सरकारी बैंकों पर है काफी दबाव रेहड़ी पटरी वालों को लोन देने के लिए…

गुरु – शिक्षा , कल्प , व्याकरण , निरुक्त , छन्द , ज्योतिष – ये वेद के 6 अंग है । 

शिष्य – गुरु जी वेद के उपांग कौन – कौन से है ? 

गुरु – न्याय , वैशेषिक , सांख्य , योग , मीमांसा , वेदान्त – ये वेद के उपांग है । इन्हीं को 6 शास्त्र और दर्शन भी कहते हैं । 

शिष्य – क्या वेदांगों से ही ज्ञान हो जायेगा ? 

गुरु – इनके अतिरिक्त उपवेद,ब्राह्मण तथा उपनिषदों के पढ़ने की भी आवश्यकता है । 

शिष्य – उपवेद कितने है ? महापुरुषों के कथन क्यों होते हैं प्रभावी, किस कारण से लोग करते हैं अनुसरण

गुरु – उपवेद चार हैं । 

शिष्य – कौन – कौन से ? 

गुरु – अथर्ववेद , धनुर्वेद , गन्धर्ववेद और आयुर्वेद । 

शिष्य – किस – किस वेद के कौन – कौन से उपवेद हैं ? 

गुरु – ऋग्वेद का आयुर्वेद , यजुर्वेद का धनुर्वेद , सामवेद का गन्धर्ववेद और अथर्ववेद का अर्थवेद । 

शिष्य – ब्राह्मण(brahmana) कितने है ? किस वेद का कौन सा ब्राह्मण है ? 

गुरु – ऋग्वेद का ऐतरेय ब्राह्मण , यजुर्वेद का शतपथ , सामवेद का साम और अथर्ववेद का गोपथ । 

शिष्य – उपनिषदें कितनी हैं ? 

गुरु – यूं तो आजकल लोगों ने बहुत – सी उपनिषदें बना राखी हैं परंतु उनमें से पढ़ने योग्य ग्यारह उपनिषदें हैं । 

शिष्य – कौन – कौन सी ? बड़ी रोचक है काैड़ी से सिक्के तक विकास यात्रा की कहानी, जिज्ञासुओं की जिज्ञासा शांत करने को बुला रहा यह म्यूजियम

गुरु – ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , ऐतरेय , तैंत्तिरीय , छान्दोग्य , बृहदारण्यक , श्वेताश्वतर । 

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अत: इनके अलावा हमें किसी अन्य वेद-विरुद्ध ग्रन्थों का अध्यन नहीं करना चाहिए । आज वेद-विरुद्ध साहित्य के कारण ही वैदिक धर्मी पापी व झूठे  मत-पंथों में उलझकर पतन के मार्ग पर है जिसके कारण धर्मांतरण , गरीबी , अशिक्षा , नास्तिकता , नकली गुरु-घंटाल  आदि तीव्रगति से फैलता जा रहा है जो धर्म की बहुत बड़ी हानि का कारण बंता जा रहा है। हमें फिर से विश्वगुरु बनने के लिए ऋषियों के इनही सत्य वेद के अनुसार ग्रन्थों का स्वाध्याय करना चाहिए । -Alok Arya राधा कृष्ण की दिव्य लीलाओं को महसूस करना चाहते हैं तो चले आइए गोवर्धन पर्वत

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