जब खरीदना चाहिए तब शेयरों को बेच देते हैं आम निवेशक, जानिए क्या है सही रणनीति


वैश्विक लॉकडाउन्स और यूएस चुनावों के चलते तेज गिरावट से पहले बाजार ने फिर से 11,900 के स्तर को छुआ। लेकिन हमारे विचार से यह मंथली एक्सपायरी के लिए था। इस सप्ताह बाजार में अच्छी-खासी गिरावट देखने को मिली। इसके बावजूद निवेशकों के लिए कोई चिंता वाली बात नहीं थी, क्योंकि मिड कैप, जहां आम जनता निवेश करती है, उसमें बड़ी गिरावट देखने को नहीं मिली। इस हफ्ते निफ्टी 11500 के स्तर तक लुढ़क आया, फिर थोड़ा संभलकर 11600 तक पहुंचा। निफ्टी की गिरावट में डाउ का भी कुछ प्रभाव रहा। यूरोप में लॉकडाउन दो हफ्तों से अधिक नहीं है। इसलिए क्या हम यह मान सकते हैं कि दो सप्ताह बाद बाजार सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा? इस हफ्ते यूएस चुनाव हैं, इसलिए क्या हम डाउ में आगे और गिरावट देख सकते हैं, जिसमें पहले से ही 10 फीसद की गिरावट है। World Brain Stroke Awareness Day : तीन घंटे में मिले इलाज, तो सुरक्षित हो सकता है ब्रेन

शेयर बाजार के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pixabay

हम मानते हैं कि बाजार में निवेश करना एक कला है। व्यक्ति किसी बाजार में निवेश करके पैसा बना सकता है, लेकिन बड़ी गिरावट में निवेश करने से आपकी किस्मत बन सकती है। हमने देखा है कि कई अलग-अलग कारणों से साल 2001, 2003, 2006, 2008, 2010, 2013, 2015, 2018 और 2020 में बाजार टूटा था और फिर नई ऊंचाईयों पर गया था, क्योंकि बाजार के अपने तरीके और अपनी चाल होती है। यह समय भी कुछ अलग नहीं है। हम डाउ और वैश्विक संकेतों को फॉलो करने की कोशिश करते हैं, किंतु ये व्यापारियों की संतुष्टि के लिए है और कम अवधि की हलचलें पैदा करते हैं। ये कारक चल रही उछाल को रोक नहीं सकते हैं, लेकिन निस्संदेह गिरावट पर खरीदने का मौका देते हैं। हमारा मानना है कि सप्ताह के अंत में गिरावट का प्रमुख कारण डाउ या लॉकडाउन या फिर यूएस चुनाव नहीं, बल्कि नया सेटलमेंट था। डिजिटल फॉर्मेट में गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स के रूप में सोना खरीदा जा सकता है। ट्रंप व बिडेन में छिड़ी जुबानी जंग चुनाव के अंतिम दौर के प्रचार में

यहां आपको अवश्य ही यह देखना चाहिए कि जिन लोगों ने कॉल्स और पुट्स के माध्यम से लास्ट सेटलमेंट का लाभ कमाया है, उन्होंने कभी प्रीमियम पर पॉजिशंस बनाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने बाजार को कम स्तर पर रखा और इसके लिए डाउ और लॉकडाउन ट्रिगर्स का उपयोग किया है। उन्होंने इन दो ट्रिगर्स पर बाजार को कम करने के लिए जुआरियों को अनुमति दी और अब बाजार इन छोटे विक्रेताओं को फंसाते हुए यूएस चुनावों के बाद ऊपर चढ़ेगा। हम आपका ध्यान बाजार के सबसे बड़े तत्व की ओर आकर्षित करेंगे जो कि एफपीआई है। 90 फीसद निवेश डीआईआई और एफपीआई से आता है और अभी डीआईआई शुद्ध विक्रेता है। इस तरह एकमात्र मार्गदर्शक निवेशक वर्ग एफपीआई है। महिला किसान ने तैयार किया प्राकृतिक कीटनाशक 'ब्रम्हास्त्र' और 'नीलास्त्र'

आइए अब इसके आंकड़े जानते हैं। एफपीआई ने मार्च और अप्रैल महीने में 80,000 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी, जब महामारी का प्रकोप शुरू हुआ था और लॉकडाउन की घोषणा हो चुकी थी। हम समझ सकते हैं कि मार्च में कोई भी कोरोना वायरस का समाधान नहीं जानता था। हालांकि, अगस्त में एफपीआई ने 47,000 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस तरह कैलेंडर वर्ष 2020 में 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो चुका है। अब अगर हम यह सोचते हैं कि यूएस चुनाव परिणाम एफपीआई को प्रभावित नहीं करेंगे, तो हम मूर्ख हैं। एफपीआई जिन्होंने 7500 के निचले स्तर पर 80,000 करोड़ की बिकवाली की, उत्ततम स्तर के करीब 12,000 के स्तर पर 1,00000 करोड़ से अधिक की खरीदी की, उन्हें यूएस चुनाव परिणाम भला प्रभावित क्यों नहीं करेंगे। Love Jihad or Human trafficking Conspiracy

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इसका मतलब है कि एफपीआई कुछ ऐसा जानते हैं, जो सामान्य निवेशक नहीं जानते। हम फिर से दोहराते हैं कि 13 लाख करोड डॉलर के लिए क्यूई प्लान्ड है और अब तक हमने तीन लाख करोड़ डॉलर भी पूरे नहीं देखे हैं। यहां तक कि भारतीय वित्त मंत्री ने सात नवंबर के बाद अगले राहत पैकेज की घोषणा करने का फैसला लिया है, जो कि यूएस चुनाव परिणामों के बाद है। इसका मतलब है कि हम यूएस चुनाव परिणामों के बाद भी धन का भारी प्रवाह देखेंगे। दूसरे शब्दों में, यह शायद ही मायने रखता है कि अमेरिका का अगला राषट्रपति कौन होगा। नीतियां अपरिवर्तनीय हैं। टैक्स में कटौती जारी रहेगी। जब ट्रंप चुने गए थे, तो बाजार ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी और फिर चार साल में डाउ दोगुने के करीब जा पहुंचा। हम एक बार फिर डाउ को अगले चार वर्षों में दोगुना होता हुए देखेंगे। इसलिए हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे निवेश करना जारी रखें। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार साल 2013 के 111 बिलियन डॉलर के स्तर से उठकर छह वर्षों में 555 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा है। इस बार का ब्‍लू मून क्‍यों है इतना खास, जानें वैज्ञानिक वजह और इसका धार्मिक महत्‍व…

हमारा मानना हे कि अगले तीन वर्षों में यह एक लाख करोड़ डॉलर को पार कर जाएगा। अब हमारे प्रधानमंत्री के बयान पर प्रकाश डालते हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था उबर रही है और हम इसे साल 2024 तक पांच लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंचाएंगे। इसका भी मतलब है कि हम तेजी से विकास करेंगे और तीन साल से भी कम समय में अर्थव्यवस्था को दोगुना करेंगे। यह बहुत बड़ा लक्ष्य है। आइए अब जमीनी हकीकत पर आते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है, दूसरी तिमाही की आय पटरी पर है। कई जगहों पर हम इसे कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर पर भी देख रहे हैं। इसका मतलब है कि हम उम्मीद से अधिक तेजी से रिकवर कर रहे हैं। योग के फायदे

This Time is Crucial to Do Investment Wisely and Avoid Trickery Tactics of  Banks

जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं कैलेंडर वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में संघर्ष कर रही हैं, तब भारत ने कोरोना वायरस के प्रभाव को पहली तिमाही की तुलना में सीमित करते हुए दूसरी तिमाही में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। यह एक मुख्य कारण है कि एफपीआई भारत में निवेश कर रहे हैं। विदेशी निवेशक नंबर्स और आंकड़ों पर भरोसा करते हैं, जबकि हम मीडिया और विपक्षियों की आलोचना पर भरोसा करने की कोशिश करते हैं। हम हमेशा किसी भी मंदी की खबरों या विचारों पर सहमत हो जाते हैं और शोध उन्मुख समझदार निवेशक बनने की बजाय संशयवादी हो जाते हैं। यही कारण है कि हम हमेशा उस समय शेयर खरीदते हैं, जब बेचना चाहिए और उस समय बेचते हैं, जब खरीदना चाहिए। (लेखक सीएनआई रिसर्च लिमिटेड के सीएमडी हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।) -SabharAlok Prabhat 7 तरह के डेबिट कार्ड से निकाल सकते हैं पैसा, जानिए हर कार्ड की डेली लिमिट्स

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