हिंदी साहित्य से जुड़ा शायद ही कोई शख्स होगा, जिसने महान लेखक चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की अमर कहानी 'उसने कहा था' का रसास्वादन नहीं किया हो। चंद्रधर शर्मा गुलेरी भारतीय साहित्य जगत के इकलौते लेखक हैं, जो सिर्फ 3 कहानियां लिखकर हिंदी ही नहीं, बल्कि समूचे भारतीय साहित्य में अमर हो गए। चंद्रधर शर्मा ने ‘सुखमय जीवन’ व ‘बुद्धू का कांटा’ और ‘उसने कहा था’ सिर्फ 3 कहानियां लिखीं, लेकिन वह हमेशा हिंदी साहित्य के प्यारे सितारे बने रहेंगे। 1915 में लिखी यह कहानी चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की अप्रतिम रचना है। 'उसने कहा था' जैसा कि अपने नाम में ही रहस्य लिए हुए है, यह कहानी बेहद लोकप्रिय होने के साथ लोगों के दिलों को छू लेने वाली साबित हुई। संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों से कहा-किसानों-श्रमिकों में आत्मनिर्भरता का भाव करें जागृत
त्याग-बलिदान की यह अमर प्रेम कहानी आज भी प्रासंगिक है। एक प्रेमी जो अपनी प्रेमिका को अनजाने में ही दिया हुआ वचन पूरा करने के लिए अपना जीवन समाप्त कर लेता है। कहानी के चरमोत्कर्ष में नायक लहना सिंह का अपने करीबी वजीरा सिंह से संवाद पाठकों को रुला तक देता है।लेखक ने इस रचना में यह रहस्य भी रख छोड़ा है कि कहानी यह भी नहीं बताती कि लहना सिंह का बलिदान कभी उसकी शादीशुदा प्रेमिका को पता चलता भी है या नहीं। दरअसल, 11 सितंबर, 1922 को इस अमर कहानी के लेखक चंद्रधर शर्मा का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। यह विडंबना ही है कि नई पीढ़ी न तो अब 'उसने कहा था' पढ़ती है और न ही इसके लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी को ही याद करने को तैयार है। आर्ष ज्ञान के स्त्रोत Arsh Knowledge Sources
चंद्रधर शर्मा की कहानी 'उसने कहा था' को 100 साल से अधिक हो गए हैं, लेकिन गंभीर पाठकों को आज भी यह नई-ताजा कहानी प्रतीत होती है। इसकी वजह है इसका कला पक्ष, जो पाठक यह कहानी पढ़ना शुरू करता है, वह पूरा पढ़कर ही दम लेता है। कहानी का अंत बेहद भावुक कर देने वाला है। ज्यादातर पाठक यह कहानी पढ़कर रो पड़ते हैं तो कुछ भावुक हो जाते हैं। यही इस कहानी की सफलता है। हिंदी की अमर कहानियों में शुमार 'उसने कहा था' को लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने 1915 में लिखा था, यानी पूरे 105 साल पहले। कहानी पढ़ने के दौरान पाठक को कहानी के हर किरदार अपने से लगते हैं। मसलन कहानी का नायक लहना सिंह, प्रेमिका सूबेदारनी और लहना का साथी वजीरा सिंह हकीकत के किरदार लगते हैं। RBI :माइक्रो-फाइनेंस कंपनियों के लिए कैपिटल बफर तैयार करना, नकदी का प्रबंधन अहम
'उसने कहा था' हिंदी की 10 कहानियों में शुमार एक सर्वेक्षण के मुताबिक, चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की लाजवाब कहानी ‘उसने कहा था’ न केवल प्रेम-कथाओं, बल्कि हिंदी की 10 उम्दा कहानियों में शुमार है। साहित्य जगह के नामी आलोचक नामवर सिंह की मानें तो गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का समुचित मूल्यांकन होना अभी बाकी है। अभी इसे और समझे और पढ़े जाने की जरूरत है। आपके शरीर का हाल बताते हैं नाखून, इन संकेतों की मदद से रखें सेहत का ध्यान
जानिये- लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी के बारे में महान लेखकर चंद्रधर शर्मा गुलेरी के पूर्वज मूलतः गुलेर जिला कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) से थे, लेकिन इनके पिता पंडित शिवराम कामधंधे के सिलसिले में जयपुर चले गए। इस तरह शिवराम शास्त्री के घर चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 7 जुलाई, 1883 को हुआ था। अध्ययन के शौकीन चंद्रधर शर्मा को संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी, बांग्ला, अंग्रीज, लैटिन और फ्रैंच भाषा का ज्ञान था। वह बीए की परीक्षा में सर्वप्रथम रहे । 1904 में वह जी मेयो कॉलेज अजमेर में अध्यापन करने लगे। चंद्रधर शर्मा की आसाधारण योग्यता से प्रभावित होकर पंडित मदनमोहन मालवीय ने उन्हें बनारस बुला लिया और और हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद थमा दिया। -Alok Prabhat राजीव से हिमाचल की सत्ता में वापसी की उम्मीद हाईकमान को
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