धनतेरस पर ये चीजें खरीदने से बदल सकता है भाग्य, जानिए महत्व और पूजन विधि भी


पंचोत्सव के पहले पर्व यानि धनतेरस को लेकर लोगों में काफी संशय है। भगवान धन्वंतरि की पूजा के इस दिन बर्तन, आभूषण खरीदने का विशेष विधान है। इस विशेष दिन ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धनतेरस दीप प्रज्जवलन 12 नवंबर को रात 21ः 30 से 21ः 51 के मध्य होगा। वहीं कुबेर पूजन का शुभ समय 13 नवंबर को सुबह सात से नौ बजे के मध्य का है। वायु प्रदूषण से बचना चाहते हैं तो घर पर लगाए ये पौधे…

क्यों मनाया जाता है धनतेरस 

शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान हाथों में अमृत से भरा स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत को देवताओं को पिलाकर अमर बना दिया था। धनवंतरी के जन्म के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धनवंतरी के जन्म के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई इसलिए दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।शिव की नगरी कसपुर को कहते है, यहां खेत-खलिहानों में भी मिलते हैं शिवलिंग

धार्मिक कथा 

धनतेरस से जुड़ी एक दूसरी धार्मिक कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन देवताओं के शुभ कार्य में बाधा डालने पर भगवान विष्णु ने असुरों के गुरू शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी। कथा के अनुसार देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे तो उन्हें मना कर देना।  PM मोदी की पाक को दो टूक SCO की शिखर बैठक में…

लेकिन बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि दान करने के लिए कमण्डल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमण्डल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। तब भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। इसके बाद राजा बलि ने संकल्प लेकर तीन पग भूमि वामन भगवन को दान कर दी। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिल गई और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुणा धन-संपत्ति देवताओं को फिर से प्राप्त हो गई। इस कारण से भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। 'मूंगफली' वजन घटाने के लिए रामबाण दवा है, ऐसे करें सेवन

धनतेरस पूजा विधि 

धनतेरस को संध्या के समय शुभ मुहूर्त में उत्तर दिशा में मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी और कुबेर जी की स्थापना करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और चंदन का तिलक लगाएं।  धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करें। इस दिन कुबेर जी को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन भी अवश्य करें। मां लक्ष्मी के समक्ष भी दीपक जलाएं और तिलक लगाएं। मां लक्ष्मी और गणेश जी को फल, फूल, मिठाई अर्पित करें। इसके बाद मां लक्ष्मी की आरती उतारें। SC: पश्चिमी घाट ईएसए के गठन के खिलाफ में दायर की गई याचिका

इनका खरीदना रहता है शुभ

धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदें और दीपावली के दिन इसी का पूजन करें। 

− धनतेरस के दिन सोने व चांदी की वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन महिलाऐं सोने-चांदी के आभूषण खरीदती हैं लेकिन यदि आपकी जेब अनुमति ना दे तो आप सोने या चांदी का सिक्का भी खरीद सकते हैं। त्‍योहार का समय है बाजारों में मास्‍क पहनकर ही निकलें। ‘ला लीना’ क्या है जिसकी वजह से अभी से परेशान हैं दिल्ली-एनसीआर के लोग

इस दिन धातु के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। विशेषकर चांदी और पीतल को भगवान धन्‍वंतरी का मुख्‍य धातु माना जाता है। धनतेरस के दिन चांदी या पीतल के बर्तन खरीदने चाहिए। 

− मान्‍यता है कि भगवान धन्‍वंतर‍ि समुद्र मंथन के दौरान हाथ में कलश लेकर जन्‍मे थे। इसलिए धनतेरस के दिन पानी भरने वाला बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। वायु प्रदूषण से बचना चाहते हैं तो घर पर लगाए ये पौधे…

− धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन झाड़ू खरीदने से घर से दरिद्रता और नकारत्मक ऊर्जा दूर होती है। जिला जज की अदालत में दायर वाद में बुधवार को नया मोड़ आ गया। 

 − मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन दक्षिणवर्ती शंख, कमलगट्टे की माला, धार्मिक साहित्य या रुद्राक्ष की माला खरीदना शुभ माना जाता है। अमावस्या को मनाया जाने वाला दीवाली का त्योहार एक-दो नहीं, बल्कि पूरे पांच पर्वो का होता है.

− धनतेरस के दिन प्राणप्रतिष्ठित रसराज पारद श्री यंत्र घर में लाना बेहद शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रीयंत्र खरीदने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। -Alok Nath



Post a Comment

0 Comments