गायत्री मंत्र सांप्रदायिक नहीं
तमिलनाडू की राजनैतिक पार्टी द्रविड़कडगम ने मद्रास हाइकोर्ट मे एक याचिका प्रस्तुत की कि सन 1983 में सार्वजनिक क्षेत्र की एक संस्था यूनाइटेड ऐश्योरेंस कंपनी ने अपने दिवाली संबंधी शुभकामना कार्ड में गायत्री मंत्र और उसका अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित करके सांप्रदायिकतापूर्ण कार्य किया है । दावे के अनुसार उस कंपनी ने 25 हजार रुपए के सार्वजनिक धन का उपयोग किया है । न्यायालय से प्रार्थना की गई कि सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी को आदेश दिया जाए कि वह इस प्रकार की सांप्रदायिक भावना से दूर रहे । हिंदी भाषा कैसे हिन्दुस्तानी भाषा बनी सम्पूर्ण इतिहास
हाईकोर्ट ने 29 अगस्त 1992 को दिए गए अपने निर्णय में कहा –
“यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है जो वैदिक ज्ञान की कुंजी है । समस्त वेद सदा से ही मानवता के प्रतीक रहे है जिनका संबंध किसी भी धर्म , जाति या संप्रदाय से नहीं रहा है । न्यायधीश ने इस दावे को मानने से भी इंकार कर दिया कि गायत्री मंत्र केवल ब्राह्मणों के लिए है । उन्होने कहा कि इस प्रकार का तर्क भ्रामक एव मिथ्या है । किसी भी स्थान पर ऐसा नहीं लिखा है कि यह मंत्र केवल ब्राह्मणों के लिए है। ” CO2 का उत्सर्जन चार दशक में पहली बार हुआ कम…
मद्रास हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में उसका ‘शब्द ब्रह्म’ के रूप में वर्णन करते हुए घोषणा की कि “गायत्री मंत्र द्वारा शुभकामना व्यक्त करना भारतीय संविधान की किसी भी धारा के विरुद्ध नहीं है।” । वैदिक मंत्रों से मिल सकती है राहत… अमेरिका ने भी माना
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