भारत के विभिन्न राज्यों में 12 लाख एकड़ जमीन वक्फ बोर्डो के पास है। भारतीय रेलवे और रक्षा मंत्रालय की भू-संपत्ति के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक जगह है इसी तरह वक्फ बोर्ड के तहत बनी कब्रगाहों के क्षेत्र भी निर्धारित है। वक्फ का इतिहास गरीबों के कल्याण से जुड़ा रहा है। भारत में 800 वर्षों से वक्फ का प्रावधान है। और देश में 3,00,000 अचल संपतियां वक्फ समिति के तहत अब भी पंजीकृत है। उपरोक्त 12 लाख करोड़ की संपत्ति से होने आय 12,000 करोड़ रूपए है। लेकिन फिर भी भारत सरकार द्वारा मुस्लिमों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। जिसका फायदा मुस्लिम संगठन उठाते है और जिहाद और इस्लाम जैसी लाइलाज बीमारियों को पनपाते है। भारत में मंदिरों की जगह मस्जिद भी इसी बोर्ड के तहत बनाई जाती है। विदुर नीति (Vidur Niti) प्रमुख श्लोक एवं उनकी व्याख्या
वक्फ बोर्ड एक चुनौती
भारत में आज किसी भी गांव में केवल दो परिवार इस बोर्ड के तहत 1 एकड़ में कब्रिस्तान बनवा सकते है। 8-10 परिवार मिलकर एक मस्जिद का प्रस्ताव पास करवा सकते है और बनवा सकते है। इस कार्य में कोई भी सरकार अवरोध उत्पन्न नहीं कर सकती है । लेकिन श्री राम मंदिर के समर्थन में लाखों-करोड़ों लोग खड़े है मुस्लिम दबाव के चलते बहुप्रतीक्षित अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के चलते इस केस की सुनवाई को 2019 तक टाल दिया है। फिर कुछ मुस्लिम नेताओं के विरोध के चलते सरकार द्वारा आज तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। वक्फ बोर्ड के तहत भारत सरकार द्वारा भारत में रहने वाले मुस्लिमों को हज यात्रा पर सब्सिडी दी जाती है ताकि ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम हज यात्रा करें। लेकिन अगर भारत के ही लोग अगर किसी मंदिर में जाते है तो उन्हें टैक्स देना पड़ता है। वक्फ बोर्ड की कुल संपत्ति और इससे होने वाली आय से भारत में पाकिस्तान बसाया जा रहा है जिस विषय पर आज भी सरकार चुप्पी साधे हुए है। प्रतिदिन मुस्लिम परिवार भारत में वक्फ बोर्ड के तहत बसाये जा रहे है। लेकिन पाकिस्तान में हिन्दुओं पर बुरी तरह हत्याचार किया जा रहा है । SC- शराब की दुकानें बंद कराने को लेकर याचिका…
मुस्लिम बोर्ड एक चुनौती कैसे ? वक्फ बोर्ड क्या है ?
वक्फ बोर्ड एक कानून निकाय है, जिसका गठन वर्ष 1964 में भारत सरकार ने वक्फ कानून 1954 के तहत किया था। जिसका मकसद भारत में इस्लामिक इमारतों, संस्थानों और जमीनों के सही रखरखाव और इस्तेमाल को देखना था। वक्फ बोर्ड संस्था में 1 अध्यक्ष और बतौर 20 सदस्य थे। इन सभी सदस्यों को केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। और भारत के प्रत्येक राज्य में अलग-अलग वक्फ बोर्ड है। वक्फ एक्ट 1954 के अंतर्गत इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति चल या अचल संपत्ति का किसी भी कार्य में प्रयोग कर रहा हो जिसे मुस्लिम कानूनों के तहत धार्मिक, पवित्र तथा चैरिटेबल संस्थान की मान्यता मिली हो। वक्फ के स्वामित्व में एक अहम बात यह भी है कि उससे होने वाले मुनाफे या अच्छी चीजों में दान करना होता है। बंग भंग विरोधी आन्दोनल और नाकाम अंग्रेज
मुस्लिम कानून के अंतर्गत वक्फ बोर्ड बनाने का कोई खास तरीका नही लिखा है। फिर भी इसे इसी तरह बनाया गया हैं।
जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति के समर्पण की घोषणा करता है तो उसे वक्फ के बराबर माना जाता है। यह उस समय भी हो सकता है जब कोई व्यक्ति अंतिम सांस ले रहा हो। लेकिन ऐसे समय में वह व्यक्ति वक्फ के लिए अपनी संपत्ति का एक तिहाई भाग से अधिक दान नही दे सकता है। कोई भी मुस्लिम वसीयत बनाकर भी अपनी संपत्ति को दान कर सकता है।
जब किसी सम्पति को अनिश्चित समय के लिए धार्मिक या चैरिटेबल प्रयोग में लिया जाता है। तब इन सभी सम्पतियों को वक्फ से संबंधित माना जाता है। इस प्रकार की संपत्ति को वक्फ को सौंपने के लिए किसी भी प्रकार की घोषणा की आवश्यकत नही होती। भारत और अमेरिका आमने-सामने अफगानिस्तान में शांति बहाली के मुद्दे पर
वक्फ बोर्ड के प्रकार साधारण रूप से वक्फ बोर्ड दो प्रकार के होते है-1. पब्लिक 2. प्राइवेट।
पब्लिक वक्फ सामान्य चैरिटेबल कामों में लिया जाता हैं। जबकि प्राइवेट वक्फ प्रॉपर्टी मालिक की संतानों के लिए होता है। वक्फ प्रमाणीकरण अधिनियम 1913 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति अपने वंश या संतानो के लिए प्राइवेट वक्फ बना सकता है, लेकिन इस वक्फ से होने वाला फायदा चैरिटी को जाएगा। - आलोक आर्य
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