मन्दाग्नि रोग का कुछ ही मिनटों में रामबाण इलाज


मन्दाग्नि का रामबाण इलाज मन्दाग्नि का अर्थ है- 

परिपाक-शक्ति का कमजोर होना । जिन-जिन कारणों से खाया हुआ भोजन पाक होता है, उन-उन कारणों में गड़बड़ी पैदा हो जाती है, जिससे भोजन का अच्छा परिपाक नहीं होता। इसी का नाम ‘मन्दाग्नि’ है। भोजन से शरीर की वृद्धि होती है । यदि शरीर में उन पदार्थों से पूर्ति न की जाय तो शरीर का क्षय होना निश्चित है।  भोजन प्रतिदिन शारीरिक क्षय की पूर्ति करता है, परन्तु जब मन्दाग्नि के कारण भोजन का पाक नहीं होता तब शरीर धीरे-धीरे क्षीण होता है। कई बार स्वादिष्ट और बलकारक भोजन करने पर भी मन्दाग्नि के कारण भोजन का पाक नहीं होता, तब शरीर का क्षीण होना निश्चित है। विश्व उच्च रक्तचाप दिवस क्यों मनाया जाता है ,महत्व
मन्दाग्नि का कारण :- आजकल मन्दाग्नि का रोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जिसका मुख्य कारण है की लोगों ने प्राकृतिक जीवन जीना छोड़ दिया है। वातावरण में आबहवा फैलने पर भी वर्तमान समय के लोगों को दिमागी काम भी बहुत करना पड़ता है। आज के युग में लोगों ने शारीरिक परिश्रम छोड़ दिया है। और अंग्रेजों की देखा-देखी आजकल शिक्षित भारतवासी भी दिन में चार-पांच बार भोजन करना उचित समझते है । कान के रोग का आयुर्वेदिक इलाज कैसे करें ?

जबकि दो समय का भोजन काफी है । किन्तु चार-पांच बार भोजन करना किसी बीमारी को न्योता देने से कम नहीं है। आज शहरों के साथ-साथ गावों में भी विशुद्ध पदार्थों  का मिलना मुश्किल होता जा रहा है। घी, तेल, आटा, आदि में मिलावट के कारण अपच रोग वृद्धि के कारण है । और आजकल एक आम अवधारणा चली हुई है की बिना किसी सहायता के जो भोजन अपने आप पेट में चला जाये उसे उचित भोजन समझा जाता है । एक साल तक नई दिवालिया प्रक्रिया पर रोक…

जबकि भोजन के जीवित नहीं रहा जाता है बल्कि जीने के लिए भोजन किया जाता है। जो जीवन के लिए भोजन वाली धारणा रखते है उन्हें मसालेदार और स्वादिष्ट भोजन की आवश्यकता नहीं पड़ती। जितनी भूख है पेट उतना अपने आप मांग लेगा । आवश्कयता से अधिक भोजन करने के कुछ समय निश्चित ही मन्दाग्नि की बीमारी पैदा हो जायगी । और जो लोग शारीरिक परिश्रम कम और दिमागी परिश्रम ज्यादा करते है उन्हें यह रोग जल्दी अपना शिकार बना लेता है । भगत सिंह का नामकरण बिना किसी पंडित के हुआ था ?

मन्दाग्नि के लक्षण :- 
कब्जी का होना । 
पतला दस्त होना । 
पेट का भारीपन और ढकारे आना । 
मुख से पानी का उठना । 
प्रश्वास में दुर्गन्ध । 
छाती का धड़कना । 
अच्छी तरह नींद नहीं आना । 
सिरदर्द और भूख का मारा जाना । 
अपच से रोगी धीरे-धीरे कमजोर और रक्तहिन हो जाता है। 

मन्दाग्नि से बचाव :- यदि नियमानुसार पालना न करें तो मन्दाग्नि की चिकित्सा करना बहुत कठिन है। संभव है की कोई औषध मन्दाग्नि को दूर कर दे, परन्तु कुछ समय के लिए । मन्दाग्नि से छुटकारा पाने के लिए औषध की अपेक्षा नियमो पर अधिक ध्यान रखकर पाया जा सकता है । यदि नियमों का पालन करते हुए साथ-साथ दवा का सेवन किया जाए, तो इस रोग से आराम मिल सकता है । इसके लिए कुछ चूर्ण है जो साधारणतया दुकानों से भी ख़रीदे जा सकते है या उन्हें बनाया भी जा सकता है । UP में शर्तों के साथ नए तरीके से लागू होगा लॉकडाउन

जैसे :- संजीवनी वटी, गंधक वटी, लवणभास्कर चूर्ण, हिंग्वष्टक चूर्ण , शंख वटी, अग्नितुण्डी वटी, लहसुनवटी, रामबाण रस, अग्निकुमार रस, अग्निमुख चूर्ण आदि में से किसी का भी सेवन करने से जल्द ही मन्दाग्नि की समस्या से छुटकारा मिल सकता है । और भी बहुत सी बीमारियों में इन्हें प्रयोग में लाया जा सकता है | Chanakya Neeti (चाणक्य नीति श्लोक) भाग-6, 101 से 120

मन्दाग्नि की रोकथाम के घरेलू उपाय :- समय पर उठकर फ्रेश होना चाहिए । प्रतिदिन व्यायाम करने चाहिए । पानी का सेवन उचित मात्रा में करें । उचित मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए । दिन में केवल दो बार ही खाना खाना चाहिए । -Alok Prabhat

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