न्यायकारी राजा और किसान King and Farmer Story


न्यायकारी राजा और किसान King and Farmer Storyधर्म में भक्ति का महत्व (भक्तियोग)

ईरान देश का राजा बड़ा न्यायकारी, पवित्र आत्मा और प्रजा-पालक था जिसका शुभ नाम नौशेरवान था । Mutual Fund क्या है, इसमें कैसे करें निवेश?

एक समय वह सैर करने निकला तो एक बूढ़े किसान को जिसकी आयु 80 वर्ष की होगी , देखा । वह खेत में एक फलदार वृक्ष लगा रहा था । उसको देख राजा बोला-ऐ भले आदमी तुम्हारे पाँव तो कब्र में लटक रहे है अर्थात मृत्यु सिर पर है , क्या तुम इस वृक्ष का फल खा सकोगे अर्थात जब तक यह वृक्ष बड़ा होकर फल देगा तब तक तुम मर चुके होगे । बूढ़ा किसान बोला राजन! मेरे दादा ने जो वृक्ष लगाए थे उनका फल मेरे पिता आदि ने खाया और जो वृक्ष मेरे पिता जी ने लगाए थे उसका फल हम खाते रहे और खा रहे है। अब जो मैं लगा रहा हूँ इसका फल मेरी संतान और पीछे होने वाले मनुष्य खाएँगे, मैं दूसरों के उपकार के लिए ही इसको लगा रहा हूँ ।  वायुसेना ने बनाया 10 साल का रोडमैप, विजन-2030 के लिए तय किए लक्ष्य

राजा बूढ़े की शुद्ध भावना व उच्च विचारों को सुनकर बड़े प्रभावित हुए और उसी समय एक सौ दिनार दिया । किसान हंस पड़ा और उस धन को स्वीकार करता हुआ बोला-“राजन! मेरे वृक्ष तो बोते ही मुझे फल देने लग गए अर्थात जो पुरस्कार स्वरूप दिनारे मिली । एक लाख करोड़ का दान जुटेगा राम मंदिर के लिए…

शिक्षा :- हमें अपनी ही उन्नति से संतुष्ट नहीं रहना चाहिए किन्तु सबकी भलाई व उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए । अपने लिए तो पशु-पक्षी भी जीते है । मनुष्य को परोपकारी होना अनिवार्य है ।  यही बात महर्षि दयानन्द जी ने आर्यों के लिए नियम बनाते समय कही थी। -Alok Arya

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