प्राणायाम सबसे बड़ी औषधि
हरियाणा में भले ही कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा एक लाख से पार हो चुका, लेकिन फिलहाल एक्टिव मरीज 22 हजार के आसपास हैं। सीरो सर्वे में 22 लाख लोग यानी आठ प्रतिशत आबादी ऐसी सामने आई, जिनमें कोरोना आकर जा भी चुका है। ऐसे तमाम लोगों में एंटी बाडी विकसित हो गए हैं। अगर हम योग को अपने जीवन में अंगीकार करें तो कोरोना से बचाव और जंग आसान हो जाएगी। पतंजलि योग पीठ हरिद्वार के मुख्य केंद्रीय प्रभारी, केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अधीन काम करने वाले योग प्रमाणन बोर्ड के सदस्य तथा हरियाणा योग परिषद के चेयरमैन डा. जयदीप आर्य का कहना है कि प्राणायाम सबसे बड़ी औषधि है। इसके साथ मास्क की अनदेखी खतरनाक है। वैदिक साहित्य का परिचय Vedic Literature
पतंजलि योग पीठ हरिद्वार के मुख्य केंद्रीय प्रभारी और हरियाणा योग परिषद के चेयरमैन हैं डा. जयदीप आर्य डा. जयदीप आर्य का कहना है कि थोड़ी सावधानी, थोड़ा उपचार और थोड़ा योग कर संयमित दिनचर्या का अनुपालन कर लें तो कोरोना को पूरी तरह से मात दी जा सकती है। काेरोना से बचाव में प्राणायाम सबसे महत्वपूर्ण है। दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ अनुराग अग्रवाल ने डा. जयदीप आर्य से तमाम शंकाओं पर बातचीत की। पेश है लोगों को जागरूक और सचेत करने वाली इस बातचीत के प्रमुख अंश-
हरियाणा और देश में कोरोना तेजी से फैल रहा है। लोग संक्रमित भी हो रहे और ठीक भी हो रहे। ऐसी स्थिति में अब लोगों को क्या करना चाहिए? - जिस तेजी से संक्रमण फैल रहा है, सबसे पहले उसमें भयमुक्त होना जरूरी है। भय बढ़ने से रक्तचाप (बीपी) बढ़ रहा है और शरीर में लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। भय के चलते वायरस को हराने की क्षमता भी प्रभावित होती है। अगर मुंह का स्वाद चला गया तो भी भोजन करना नहीं छोड़ें। तरल भोजन लें। फलाहार करें। विटामिन सी के लिए नींबू, मौसमी और अनार का प्रयोग करें। सेब का रस भी उपयोगी है। नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें, ताकि मुंह का स्वाद बना रहे। खाली पेट बिल्कुल न रहें। प्रकृति की गोद में रहें। फीवर हो भी गया है तो धूप अवश्य लें। कानूनी प्रावधानों को किसानों तक पहुंचाना भी अहम…
आज हर कोई कोरोना टेस्ट कराने से डर रहा है। लोगों को अपनी इम्युनिटी पावर पर संदेह होने लगा। उन्हें डर है कि यदि वह कोरोना पाजिटिव निकले तो परिवार प्रभावित होगा? - कोरोना का टेस्ट कराने से डरना जायज बात है। व्यक्ति खुद को आइसोलेट नहीं कर पाता। पूरे परिवार पर इसका असर पड़ता है। बिना लक्षण के कोरोना होने पर भय ज्यादा होता है, जबकि हमें यह समझने की जरूरत है कि अब कोरोना वायु में आ चुका है। यह वायरस बड़े पैमाने पर फैल चुका। उससे बचने का तरीका शारीरिक दूरी, मास्क व सफाई (हाथ धोने) का है। हर व्यक्ति यह मानकर चले कि मेरे सामने वाले को संक्रमण है। इसलिए उससे निश्चित दूरी पर बैठे और मिले। डिजिटल क्रांति के नए दौर में निखरी हिंदी, समय के साथ मिला है बढ़ावा
हजारों लोग ऐसे हैं, जो संक्रमित हुए और ठीक होकर आ गए, लेकिन फिर भी उनमें संक्रमण का खतरा बरकरार है? - ऐसे लोगों में रक्त का थक्का जमने की बात सामने आती है। इसलिए थक्का तोड़ने के लिए एस्प्रिन या डिस्प्रिन देने की सलाह डाक्टर देते हैं, ताकि रक्त पतला हो सके। आयुर्वेद में सैर और सादा भोजन इसके विकल्प हैं। रक्त का थक्का न जमने दें। फेफड़ों में सात करोड़ छिद्र होते हैं। जब वह काम करना कम कर देते हैं तो प्राणायाम सबसे बड़ी औषधि के रूप में सामने आता है। प्राणायाम से फेफड़ों की गतिशीलता बनी रहती है।रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट से किया जा सकेगा दान
लोगों में इस बात का बड़ा संदेह है कि क्या बीमार व्यक्ति प्राणायाम कर सकता है? डाक्टर उन्हें आराम करने की सलाह देते हैं? - हम तीन प्रकार से प्राणायाम को बांट सकते हैं। जिन्हें संक्रमण नहीं, वह नियमित अभ्यास और आसन करें। जिन्हें संक्रमण हो गया है, उन्हें सांस लेने में दिक्कत आती है और खांसी होती है, वे आसन नहीं कर सकते। उन्हें सिर्फ प्राणायाम सुबह और शाम एक-एक घंटा करना चाहिए। भस्त्रिका, कपालभाति और अनुलोम-विलोम भी जरूरी है। तनाव मुक्ति के लिए भ्रामरी, उद्गित और प्रणव ध्यान प्राणायाम जरूरी है। इनसे बीपी मेंटेन रहेगा और तनाव नहीं होगा। सकारात्मका बनी रहेगी। आइआइटी की 'गाथा' में बच्चे फिर सुनेंगे दादा-दादी और नाना-नानी की कहानियां, बनेंगे संस्कारवान
पतंजलि योगपीठ ने दावा किया कि आयुर्वेदिक दवाई कोरोनिल से कोरोना ठीक हो सकता है, मगर एलोपैथी इसे मानने को तैयार नहीं है? - अभी तक पूरी दुनिया में कोरोना की दवाई नहीं बनी है। स्वामी रामदेव के नेतृत्व वाले पतंजलि योगपीठ ने आयुर्वेदिक औषधि बनाने का दावा किया है। यह औषधि प्रामाणिक दस्तावेजों पर आधारित है। वर्ल्ड जनरल में इन्हें स्थान मिल रहा है। ऐसा वातावरण बना दिया गया कि एलोपैथी के बिना इलाज संभव नहीं है। हमारा एलोपैथी से कोई विरोध नहीं है, लेकिन बाकी पद्धतियों को भी सम्मान मिलना चाहिए। अब देश आयुर्वेद की तरफ मुड़ रहा है। आने वाला समय इस बात को मान्यता प्रदान कर रहा है कि केवल एक पैथी नहीं बल्कि सामूहिक पैथी की जरूरत है। दाल-रोटी नहीं, अब एंटी वायरल खाद्य पदार्थ भी शामिल हुए Diet में
आजकल कई तरह के बुखार चल रहे, जिससे लोगों में भय बना हुआ है। लोग संशय में रहते हैं कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं? - फ्लू और कोरोना में काफी अंतर है। फ्लू में नाक बहती है। बुखार भी होता है, लेकिन कोरोना में सूखी खांसी होती है। गले की खराश होती है। स्वाद चला जाता है। फ्लू दो तीन दिन में ठीक हो जाता है। खांसी ज्यादा नहीं होती। दोनों स्थिति में गरम पानी अवश्य पिएं। काम पर जाने वाले लोग तुलसी वाला पानी नियमित पीएं। बीच में जब मास्क उतारते हैं तो यह सबसे खतरनाक है। पांच मिनट के लिए मास्क उतारने का मतलब है सारे संक्रमण को दावत देना। हाथ धोते रहें और नाक में सरसों का या अणु तेल डालें। नानावटी अस्पताल मुंबई के डाक्टर नियमित रूप से गरम पानी से नेती करते हैं और नाक में तेल डालते हैं। उनका आज तक कोई डाक्टर संक्रमित नहीं हुआ है। Usne Kaha Tha: यह Love Story जिसने भी पढ़ी वह रो पड़ा, क्या आप जानते हैं इसके लेखक का नाम
खास बातें -------पांच मिनट के लिए मास्क उतारने का मतलब है सारे संक्रमण को दावत देना।
काम पर जाने वाले व्यक्ति तुलसी मिला हुआ और गरम पानी नियमित पिएं।
हर व्यक्ति यह मानकर चले कि मेरे सामने वाले को संक्रमण है, इसलिए बचाव करें।
प्राणायाम के जरिये जीती जा सकती है किसी भी स्टेज के कोरोना से जंग। -Alok Arya
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