World Alzheimer Day 2020: जरूरत है सहानुभूति के साथ देखभाल की


बीता सोमवार दिल्ली की शालिनी अरोड़ा के लिए बेहद तनाव भरा रहा। पति काम पर गए थे और कोरोना संक्रमण के कारण वह बेटी की ऑनलाइन क्लास करने में मदद कर रही थीं। क्लास समाप्त होने के बाद उन्हें पता चला कि उनके फादर इन लॉ अशोक अरोड़ा घर पर नहीं हैं। शालिनी ने पति को फोन कर सूचना दी और अशोक जी की तलाश में निकल पड़ीं। काफी ढूंढ़ने के बाद वह उन्हें पार्क में अकेले बैठे मिले, तब जाकर शालिनी की जान में जान आई। दरअसल, 71 वर्षीय अशोक अरोड़ा अल्जाइमर के साथ जी रहे हैं। इसलिए अरोड़ा दंपति उनकी सेहत को लेकर हमेशा सतर्क रहते हैं। वीडियो आधारित KYC करने की अनुमति Irdai ने दी बीमा कंपनियों को


इस बीमारी से ग्रसित लोगों की याददाश्त समय के साथ जाती रहती है, जिससे उन्हें खाना खाने, समय से दवा खाने या अपने ही लोगों के नाम याद रखने, उन्हें पहचानने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दिक्कत बढ़ने के साथ ही ऐसे लोगों में वर्तमान को भूलने की समस्या भी बढ़ती जाती है। किसी अल्जाइमर रोगी की देखभाल करना मुश्किल भरा होता है और कोरोना संक्रमण के दौरान तो घर के सदस्यों के लिए उनकी तीमारदारी बड़ी चुनौती बन चुकी है। कोरोना संक्रमण से संबंधित जिन एहतियातों का आप पालन कर रहे हैं, उन्हें अल्जाइमर रोगी को भी करवाना बेहद जरूरी है, क्योंंकि वे पूूरी तरह से आप पर ही निर्भर हैं।  भारतीय समाज, कानून व मूल्य नहीं देते समलैंगिक शादी को इजाजत

बीमारी का प्रमुख कारण अभी तक इस बीमारी का न तो कोई पुख्ता इलाज आ पाया है और न ही पूरी तरह से यह साबित हो पाया है कि आखिर यह बीमारी होती क्यों है, लेकिन नवीनतम शोधों के अनुसार, मस्तिष्क में अरबों की संख्या में मौजूद कोशिकाओं में जब प्राकृतिक रूप से एमिलॉइड प्रोटीन की मात्रा बढ़ने लगती है तो न्यूरॉन नष्ट होते हैं और याद्दाश्त, सोचने की शक्ति व रोगी का व्यावहारिक व बौद्धिक ज्ञान प्रभावित होता है। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने ऑक्‍सीजन की ढुलाई कर रहे वाहनों को परमिट से छूट दी है...  2020 के 17 यंग लीडर्स की घोषणा संयुक्‍त राष्‍ट्र ने की , भारत के उदित सिंघल भी हैं इसमें शामिल



संवेदनाओं की थेरेपी: कई शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है कि किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के साथ चिकित्सक या तीमारदार का व्यवहार दवाओं की तरह ही फायदा पहुंचता है। निश्चित रूप से अल्जाइमर रोग के साथ जी रहे बुजुर्ग की देखभाल करना बड़ी जिम्मेदारी है। कई बार आप न चाहकर उनकी जिद या व्यवहार से नाराज हो जाते हैं, लेकिन हमें बीमारी को संज्ञान में रखते हुए संयमित रहने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि जब आप खुशी-खुशी देखभाल करते हैं और उनके साथ शालीनता से पेश आते हैं तो आपका यह व्यवहार थेरेपी की तरह काम करता है।  भारत की उभरती वैश्विक छवि से बेचैन चालबाज चीन


रहें चिकित्सक के संपर्क में: बढ़ती उम्र के चलते ऐसे रोगियों में अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं। इसलिए दूसरे चिकित्सकों के संपर्क में जरूर बने रहें। समय-समय पर उनकी जांच कराते रहने से भी आप उन्हें अन्य तकलीफों से बचा सकते हैं। चूंकि फिलहाल कोरोना संक्रमण चल रहा है। इसलिए उन्हें अस्पताल ले जाने के बजाय चिकित्सक से टेलीफोन या वीडियो कॉलिंग के जरिए परामर्श लें। दाल-रोटी नहीं, अब एंटी वायरल खाद्य पदार्थ भी शामिल हुए Diet में


रूटीन चार्ट बनाएं: ऐसे बुजुर्गों को कब दवा देनी है और कितनी डाइट रखनी है, यह आपको निश्चित करना होगा। चूंकि यह तकलीफ ऐसी है, जिसमें उस व्यक्ति का भोजन, दवा आदि का समय पर सेवन करना भूल जाना ही मुख्य परेशानी है। इसलिए एक चार्ट बनाकर उसमें दिनचर्या लिख लें या मोबाइल में रिमांइडर लगा लें। QUAD की नई नीति आएगी काम चीन को सबक सिखाने और उसके कदमों को रोकने के लिए


पौष्टिक आहार जरूर दें: अल्जाइमर के रोगियों के लिए हाई प्रोटीन डाइट, मौसमी फल, हरी सब्जियां, विटामिंस से भरपूर खाद्य पदार्थ और चिकित्सक की सलाह पर सप्लीमेंट और समय पर दवाओं का सेवन बहुत जरूरी है। इससे इम्युनिटी मजबूत रहेगी। -Alok Prabhat  प्राणायाम सबसे बड़ी औषधि




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