ब्‍लू मून क्‍यों है इतना खास, जानें वैज्ञानिक वजह और इसका धार्मिक महत्‍व...

शनिवार को आसमान में एक दुर्लभ नजरा दिखाई देगा। समाचार एजेंसी पीटीआइ ने मुंबई के नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद प्रांजपेय के हवाले से कहा है कि 31 अक्टूबर को 'ब्लू मून' (Blue Moon) का नजारा दिखाई देगा। खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि 31 अक्टूबर की रात कोई भी टेलीस्कोप की मदद से ब्लू मून को देख सकता है। खगोल विज्ञानी अध्‍ययन के लिए इस घटना को लेकर उत्‍सुक हैं। इस दशक इंसानी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनेगा चंद्रमा...

'ब्लू मून' (Blue Moon) होता क्‍या है आइये सबसे पहले इसे वैज्ञानिक नजरिए से समझते हैं। यह दुर्लभ ही होता है कि एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा पड़ जाए यानी पूर्ण चंद्र दिखाई दे तो दूसरे पूर्ण चंद्र को 'ब्लू मून' के नाम से जानते हैं। मुंबई के नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद प्रांजपेय ने बताया कि बीते एक अक्टूबर को पूर्णिमा थी और अब दूसरी पूर्णिमा 31 अक्टूबर को पड़ रही है। अमूमन ब्लू मून पीले और सफेद दिखते हैं लेकिन कल चंद्रमा सबसे अलग दिखाई देगा। Right to Information & The Collegium System in India

शनिवार को 'ब्लू मून' (Blue Moon) का बेहद दुर्लभ नजारा दिखाई देगा।

अमेरिका स्‍पेस एजेंसी नासा के अनुसार, 'ब्लू मून' की घटना बेहद दुर्लभ होती है। भले ही इस घटना को 'ब्लू मून' नाम दिया गया हो लेकिन ऐसा नहीं है कि चांद दुनिया में हर जगह नीले रंग का दिखने लगता है। असल में जब वातावरण में प्राकृतिक वजहों से कणों का बिखराव हो जाता है तब कुछ जगहों पर दुर्लभ नजारे के तौर पर चंद्रमा नीला प्रतीत होता है। यह घटना वातावरण में कणों पर प्रकाश के पड़कर उसके बिखरने से होती है। पति ने मांग लिया भरण-पोषण भत्ता, जानें- क्या है मामला…

इस खगोलीय घटना में कुछ गणितीय गणना भी शामिल है। निदेशक अरविंद प्रांजपेय के मुताबिक, 30 दिन वाले महीने में पिछली बार 30 जून 2007 को 'ब्लू मून' की घटना हुई थी। अगली बार ठीक ऐसी घटना 30 सितंबर 2050 को होगी। 31 दिन वाले महीने के हिसाब से देखें तो साल 2018 में दो बार ऐसा अवसर आया जब 'ब्लू मून' की घटना हुई। उस दौरान पहला 'ब्लू मून' 31 जनवरी जबकि दूसरा 31 मार्च को हुआ। गणना के मुताबिक, अगला 'ब्लू मून' 31 अगस्त 2023 को होगा। लावारिस कुत्‍ते की शव यात्रा बैंड बाजे के साथ निकाली, रखा तेरहवीं का भोज...

खगोल विज्ञानियों के मुताबिक, एक माह में दो पूर्ण‍िमा होने पर दूसरी पूर्ण‍िमा के फुल मून को ब्लू मून कहा जाता है। नासा की मानें तो नीला चांद दिखना दुर्लभ जरूर है लेकिन असामान्‍य नहीं… इसके पीछे वातवरण की गतिविधियां शामिल होती हैं। उदाहरण के तौर पर साल 1883 में क्राकोटा ज्‍वालामुखी फटा था जिससे निकला धूल का गुबार वातावरण में घुल गया था। इससे चंद्रमा नीला नजर आया था। 7 तरह के डेबिट कार्ड से निकाल सकते हैं पैसा, जानिए हर कार्ड की डेली लिमिट्स

अरविंद प्रांजपेय ने बताया कि चंद्र मास की अवधि 29.531 दिनों यानी 29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 38 सेकेंड की होती है। ऐसे में एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा होने के लिए पहली पूर्णिमा उस महीने की पहली या दूसरी तारीख को होनी चाहिए। वहीं दिल्ली के नेहरू तारामंडल की निदेशक एन रत्नाश्री का कहना है कि 30 दिन के महीने के दौरान ब्लू मून होना बेहद दुर्लभ है। आइये अब इसके अध्‍यात्‍मिक पहलू पर गौर करते हैं।Same Sex Marriage in India

इस बार संयोग है कि शरद पूर्णिमा के मौके पर यह घटना हो रही है। आम तौर पर शरद पूर्ण‍िमा का महत्‍व चंद्रमा की खूबसूरती के साथ साथ धार्मिक भी है। ज्‍योतिष के जानकारों और हिंदू मान्‍यता के अनुसार इस रात मां लक्ष्‍मी की कृपा विशेष तौर पर प्राप्‍त होती है। धर्माचार्यों की मानें तो इस रात चंद्रमा की किरणों में सुधा यानी अमृत की बारिश होती है। पूर्वांचल के ग्रामीण इलाकों में इस रात चंद्रमा की रोशनी में खास पकवान के तौर पर खीर रखने की भी मान्‍यता है।Women Role In Society

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन धन वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। पौराणिक मान्यता यह भी है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मी जी का अवतरण हुआ था। इस बार की पूर्णिमा ईसाई मत के अनुसार भी बेहद खास होने जा रही है। 31 अक्‍टूबर को शरद पूर्णिमा के साथ साथ इसाइयों का पर्व हैलोवीन भी है। ईसाई धर्म के लोगों की मान्‍यता है कि इस दिन आत्‍माएं सक्रिय होती हैं।  -Alok Arya फ्रांस के साथ खड़ा हुआ भारत, कहा- आतंकवाद किसी सूरत में न्यायोचित नहीं…



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