ताजमहल Taj Mahal को मुसलमानी मकबरा बनाने के लिए अधिकृत कर लिया गया, यह असंदिग्ध, अनावृत आत्मस्वीकृति शाहजहाँ के दरबारी इतिहास History में उसके वैतानिक इतिहासकार मुल्ला अब्दुल हमींद लाहौरी Mulla Abdul Hameend Lahauri द्वारा लिखित है। ‘इलियट’ और ‘डौसन’ की पुस्तक में लिखा है –“अब्दुल हमींद लाहौरी द्वारा रचित ‘बादशाहनामा’ शाहजहाँ के प्रथम बीस वर्षों का इतिहास History है। अपनी भूमिका में स्वयं अब्दुल हमीद लिखता है कि बादशाह किसी ऐसे लेखक Writer को चाहता था जो कि अब्दुल फजल के ‘अकबरनामा’ Akbarnama की भांति उसके शासन की संस्मरणों को लिख सके उस कार्य के लिए उसको, अब्दुल हमीद की सिफारिश की गई और उसे पटना Patna (U.P) से, जहाँ वह सेवानिवृति का जीवन व्यतीत कर रहा था, बुलाया गया”। KCC से 2 लाख करोड़ रुपये का मिलेगा लोन 2.5 करोड़ किसानों को
इस उद्धरण से यह स्पष्ट है कि मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी ने शाहजहाँ के अपने आदेशानुसार फारसी भाषा Farsi Language में ‘बादशाहनामा’ (दरबारी इतिहास) लिखा । और ताजमहल Taj Mahal से सम्बन्धित सभी बाते उसी से ली गई है जिसे मुल्ला हमीद लाहौरी ने शाहजहाँ के कहने पर इतिहास History बना दिया जिसे सभी सच समझ सके। और हुआ भी ऐसा ही महज तीन सौ वर्षों 300 Years में ‘अकबरनामा’ पुस्तक से फारसी Farsi को समझ कर कुछ ऐसा प्रस्तुत किया गया है। Maharishi Dayanand Saraswati (महर्षि दयानन्द सरस्वती ) का मृत्यु रहस्य
Bharat/India/Hindustan/Aryawart के आगरा नगर Agra City में यमुना नदी के तट पर एक सुन्दर भव्य भवन Vishal Bhawan खड़ा है, जो ताजमहल Taj Mahal नाम से विख्यात हैं। भारत के आनेवाले पर्यटकों का यह प्रमुख आकर्षण केंद्र तथा विश्व में अति प्रसिद्द भवनों में एक है। तीन सौ वर्ष 300 Years के भ्रामक प्रचार के दबाव के फलस्वरूप दर्शकों का ध्यान इसके अन्य विशेष लक्षणों को छोड़कर कवर दो कब्रों की ओर केन्द्रित किया जाता है जो ताजमहल Taj Mahal के अन्दर हैं। परिणामस्वरूप इसके इतिहास तथा शिल्पकला, इन दोनों के विस्तृत अध्ययन में अपार क्षति हुई है। जीव जंतुओं की एक प्रजाति…हर 20 मिनट पर विलुप्त हो रही हैं
जब तक विश्व की जनता और शासकों को ताजमहल Taj Mahal दृष्टिकोण को सावधान नहीं किया, तब तक सर्वत्र यही विश्वास किया जाता था कि ताजमहल Taj Mahal मौलिकतया मुस्लिम मकबरा ही हैं। अभिज्ञ सामान्य दर्शक तो केवल पारस्परिक सार्वलौकिक किवदंतियों पर विश्वास करता है कि ताजमहल Taj Mahal का निर्माण भारत के पाँचवे मुग़ल-शासक शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ के प्रति रसिक वृति के कारण हुआ है। उनका विश्वास है कि उसकी मृत्यु पर निराश बादशाह ने उसकी स्मृति में अपने प्रेम Love का प्रतिक यह विस्तीर्ण और विशाल ताजमहल Taj Mahal बनवाया था।
विगत तीन सौ वर्षों 300 Years से शाहजहाँ के ताजमहल Taj Mahal का निर्माता होने के विषय में ऐसी काल्पनिक तथा रहस्यपूर्ण कथाओं की झड़ी लगी रही है कि उनके विषय में किसी को तनिक भी सन्देह क्यों नहीं हुआ, यही आश्चर्य हैं। विश्व के लगभग प्रत्येक भाग से भारतीय इतिहास के ज्ञाता एक के बाद एक, दोहरा रहे हैं कि किस प्रकार ताजमहल Taj Mahal का मूल्य 40 लाख से 9 करोड़ कुछ भी हो सकता है। और इसके निर्माण में तुर्की Turki , इटालियन Italian, ईरानी Irani कोई भी इसका शिल्पकार हो सकता है। इसके निर्माण की अवधी 10 से 22 वर्ष तक कुछ भी हो सकती है और ताजमहल की उस तथाकथित की कथा की हास्यस्पाद विसंगति इसी प्रकार की अन्य अनेक बातें है जिनका भण्डाफोड़ भी किया जा चूका है।भगत सिंह का नामकरण बिना किसी पंडित के हुआ था ?
यह आश्चर्य की बात है कि किस प्रकार विगत सौ वर्षों 100 Years तक संसार इस नितान्त भ्रामक बात पर विश्वास करता रहा कि ताजमहल Taj Mahal अद्भुत् स्मारक, कम से कम भारत में, किसी के यौन-प्रेम की स्मृति में बनाया जा सकता है। रोमांटिक काल्पनिक कथाओं में तो इस प्रकार का भोला विश्वास ठीक माना जा सकता है किन्तु मध्यकालीन मुसलमानी राजदरबारों के कटु तथ्यों के प्रसंग में इसे कठिनाई से ही युक्तियुक्त माना जा सकता है। UP का औद्योगिक विकास विभाग सिर्फ स्वदेशी वस्तु इस्तेमाल करेगा
‘काल्पनिक कब्र’ की कथा पर विश्वास करने से पूर्व दो प्रश्न पूछे जा सकते हैं। प्रथम यह कि मुमताज़, जो कि शाहजहाँ के उसके प्रति प्रेमानुराग का ऐतिहासिक लेखा-जोखा कहाँ हैं? दुसरे यह कि मुमताज़ की मृत्यु पर उसकी स्मृति में भव्य भवन बनवाएं ?
इन दोनों प्रश्नों Questions पर इतिहास History मौन हैं। प्रथम प्रशन का तो उत्तर Answer यही हो सकता है कि क्योंकि शाहजहाँ और मुमताज़ के मध्य प्रेम-व्यापार था ही नहीं, अत: उसका कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। वह तथाकथित प्रेम-व्यापार तो केवल ताजमहल Taj Mahal को अनोखा मकबरा सिद्ध करने के लिए कल्पित हैं। दुसरे प्रश्न का उत्तर है कि शाहजहाँ Shahjahan नें मुमताज़ Mumtaz के लिए न तो उसके जीवन-काल में और न ही उसकी मृत्यु पर कोई भवन बनवाया था।
किसी भी विषय पर अनुसन्धान करने से पूर्व अनुसन्धाता को चाहिए कि वह इस बात की पुष्टि कर लें कि उसकी धारणाये निर्भ्रांत हैं, हम यह बात द्रढ़ता से कहेंगे कि शाहजहाँ का मुमताज़ के प्रति जो प्रेम था उसकी स्मृति में उसने संगमरमर का ताजमहल Taj Mahal बनवाया, यह पाश्चात्य विचारों के व्यक्तियों को भले ही रोचक प्रतीत हो, किन्तु इसमें तथ्य कुछ भी नहीं है। मध्युगीन भारत Bharat में ऐसा कभी नहीं हुआ और सम्भवतया संसार में ऐसा कहीं अन्यत्र भी नहीं हुआ। प्रत्येक मुग़ल बादशाह के हरम में कम-से-कम पांच हजार Five Thousand रखेलें होती थीं और उसने कहीं अधिक उसके राज्य में होती थीं। इन सह्त्रों रखेलों में से किसी एक के प्रति प्रेम व्यक्त करने का उसे समय ही कहाँ मिल सकता था? भारत को दिया एक अरब डॉलर का कर्ज ब्रिक्स बैंक ने
यह बड़े दुःख की बात है कि इतिहास के विद्वान् बिना किसी जाँच-पड़ताल के विगत तीन सौ वर्षों 300 Years से मुमताज़ के प्रति शाहजहाँ के प्रेम की कल्पित कहानी को दोहराते रहे हैं। इस प्रक्रिया में वे इस तथ्यों की जाँच करना भूल गए कि वे परस्पर असंगत हैं। परिणामस्वरूप इतिहास तथ्यविहीन विवरण से लद गया है। बादशाह शाहजहाँ Badshah Shahjahan की बेगम अर्जुमंद्बानो की मृत्यु बुरहानपुर Burhanpur में सन 1623-32 के मध्य हुई। वहां एक उधान में उसका शव दफनाया गया। किन्तु लगभग छ: मास बाद उसे वहां से उखाड़कर आगरा Agra में ताजमहल Taj Mahal लें जाया गया। यही एकमात्र विवरण किसी भी विवेकशील एवं विचारशील व्यक्ति को सचेत करने के लिए पर्याप्त था कि शाहजहाँ Shahjahan को एक पूर्वनिर्मित मकबरा मिल गया था। अन्यथा वह कब्र में भली भांति दफनाए गए शव को वहां से उखाड़कर 600 मील दूर ताजमहल Taj Mahal क्यों ले गया?
मुमताज़ Mumtaz के शव को यदि बुरहानपुर Burhanpur से हटाया गया है तो केवल इसलिए कि उस समय तक आगरा Agra में जयसिंह का प्रासाद (महल) उसको दोबारा दफ़नाने के लिए प्राप्त कर लिया गया था। आगरा Agra में मुमताज़ Mumtaz को दफ़नाने के लिए जो स्थान चुना गया वह बहुत ही हरा-भरा था जैसा कि बादशाहनामें में अंकित है। यह प्रकट करता है कि मानसिंह प्रासाद (महल) के चारों और सुन्दर राजकीय उधान था। उसके मध्य मानसिंह का प्रासाद (महल) था जो उन दिनों उसके पौत्र जयसिंह के अधिकारों में था-ऐसा बादशाहनामा कहता है।चाणक्य नीति हिंदी (Chanakya Niti Hindi) भाग-7, 121 से 149
यह ध्यान देने की बात है कि राजा मानसिंह का प्रासाद कहने से यह अभिप्राय नहीं कि वह उसी के द्वारा बनवाया गया था। इसका केवल यही अभिप्राय है कि जयसिंह के समय में उसको राजा मानसिंह का प्रासाद (महल) कहा जाता था। क्योंकि मानसिंह इस प्रासाद का अंतिम प्रमुख निवासी था। वह प्राचीन हिन्दू भवन था जो मानसिंह को उत्तराधिकारी में प्राप्त हुआ था और उसके बाद जयसिंह को। यहाँ यह स्मरण रखना चाहिए कि यह आवश्यक नहीं कि ताजमहल Taj Mahal मानसिंह की पीढ़ी-दर-पीढ़ी से उत्तराधिकारी में मिला होगा। ऐसे भवन, अन्य सम्पतियों Assets की भांति क्रय, उपहार Gift, दहेज़, विजय और विनियम में हस्तांतरित होते रहते थे। समय-समय पर वह प्राचीन हिन्दू भवन विभिन्न व्यक्तियों के अधिकार में गया और फिर एक ऐसा भी समय आया जब वह विजेता मुसलमान के हाथ में आया। एक बल्लेबाज ने ठोके हैं लगातार 4 शतक वनडे क्रिकेट में…
बादशाहनामे के अनुसार मुमताज़ Mumtaz का शव आगरा पहुँचाने पर उसे राज्यधिकृत मानसिंह के प्रासाद (महल) के गुम्बद के तले दफनाया गया। जैसा की शव सदा किसी गर्त में ही दाबा जाता है, अत: गर्त को भरने के लिए शव के ऊपर मिट्टी डालने की क्रिया ‘कब्र की नींव रखी’ मानी जाएगी। इसका अर्थ लाक्षणिक भी है। हिन्दू प्रसाद (महल) में शव को दफनाकर शाहजहाँ नें मुसलमानी कब्र की नींव रखी।
इतिहास को बरगलाने के लिए शाहजहाँ Shahjahan ने किसी प्रकार की भवन-निर्माण-सामग्री के लिए आदेश दिए बिना अपनी पत्नी की कब्र की नींव रखी। क्योंकि उसने कार्य करने के लिए अधिकृत भवन को चुन लिया था और यह ध्यान रखने की बात है कि अनेक मुस्लिम कथाकारों ने ‘नींव रखी’ जैसे भ्रामक शब्दों का प्रयोग कर इस झूठ को प्रचलित करने जा प्रयत्न किया कि ‘मुस्लमान बादशाहों’ ने बड़े-बड़े भवन निर्माण करवाए।
संभवतः यह विदित नहीं है कि वह कोई गांव Village था, या खुला मैदान Open Ground , या पथरीली पहाड़ी या और कोई ऐसी भूमि जिसका कि विवरण लिखित में देना सम्मानजनक नहीं समझा गया। जब कोई भी ऐसा स्थान नहीं मिला जिसे प्रासाद (महल) के विनियम में जयसिंह को दिया गया था, तो इतिहासकारों ने अपनी स्वछंदता का दुरूपयोग कर उसे खुली भूमि का टुकड़ा घोषित कर दिया। और भ्रम उत्पन्न करने के लिए उन्होंने यह निराधार ही अनुमान लगा लिया की शाहजहाँ ने भी विनियम में खुली भूमि का एक टुकड़ा प्राप्त किया। फांसी का जन्म और विकास कब और कैसे हुआ ?
यदि उसने ऐसा किया था तो जयसिंह की दिए गए भूमि के टुकड़े के स्थान का संकेत क्यों नहीं किया? बादशाहनामे में स्पष्ट लिखा है कि जयसिंह को भूमि का टुकड़ा दिया गया और विनियम में शाहजहाँ Shahjahan को मानसिंह का उधान-प्रासाद प्राप्त हुआ। यह एक ऐसा विवरण है जो सिद्ध करता है की ताजमहल Taj Mahal के सम्बन्ध में शाहजहाँ Shahjahan की सारी कहानी आदि से अंत तक पूर्णतया कपोलकल्पित है। इनमे सबसे अधिक उलझन-भरी घटना ताजमहल Taj Mahal की मौलिकता के सम्बन्ध में है । -आलोक आर्य
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